-मीरा बाई

सारांश

भोर और बरखा’ मीरा बाई द्वारा रचित है। इसमें दो पद हैं। पहले पद में मीराबाई ने ब्रज की भोर का सुंदर वर्णन किया है। दूसरे पद में सावन ऋतु का वर्णन है।

पहले पद में माता यशोदा श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए ‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यार’, ‘लाल जी’, उपर्युक्त कथन कहते हुए अपने पुत्र श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास कर रही हैं।

माता यशोदा श्रीकृष्ण को जगाने के अपने प्रयास में कृष्ण से निम्न बातें कहती हैं कि रात बीत चुकी है, सभी के दरवाजें खुल चुके हैं, देखो गोपियाँ दही बिलो कर तुम्हारा मनपसंद माखन निकाल रही है, द्वार पर देव और मानव सभी तुम्हारे दर्शन की प्रतीक्षा में खड़े हैं, तुम्हारे मित्रगण भी तुम्हारी जय-जयकार कर रहें हैं, सभी अपने हाथ में माखन रोटी लेकर गाएँ चराने के लिए तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहें हैं। अत: तुम जल्दी उठ जाओ।

दूसरे पद में सावन का बड़ा ही मनोहारी वर्णन किया गया है। सावन के महीने में मनभावन वर्षा हो रही है। बादल उमड़-घुमड़कर कर चारों दिशाओं में फैल जाते हैं। बिजली चमकने लगती हैं। वर्षा की झड़ी लग जाती है। वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूंदें गिरने लगती हैं पवन भी शीतल और सुहावनी हो जाती है। सावन का महीना मीरा को श्रीकृष्ण की भनक अर्थात् श्रीकृष्ण के आने का अहसास कराता है।

भावार्थ

जागो बंसीवारे ललना!

जागो मोरे प्यारे!

रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।

गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।

उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।

ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।

माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।

भावार्थ- मीरा बाई के इस पद में वो यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का वर्णन कर रही हैं।

यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि ‘उठो कान्हा! रात ख़त्म हो गयी है और सभी लोगों के घरों के दरवाजे खुल गए हैं। ज़रा देखो, सभी गोपियाँ दही को मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन निकाल रही हैं। हमारे दरवाज़े पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। तुम्हारे सभी ग्वाल-मित्र हाथ में माखन-रोटी लिए द्वार पर खड़े हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वो सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा!

बरसे बदरिया सावन की।

सावन की, मन-भावन की।।

सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।

उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।

नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।

भावार्थ- अपने दूसरे पद में मीराबाई सावन का बड़ा ही मनमोहक चित्रण कर रही हैं। पद में उन्होंने बताया है कि सावन के महीने में मनमोहक बरसात हो रही है। उमड़-घुमड़ कर बादल आसमान में चारों तरफ फैल जाते हैं, आसमान में बिजली भी कड़क रही है। आसमान से बरसात की नन्ही-नन्ही बूँदें गिर रही हैं। ठंडी हवाएँ बह रही हैं, जो मीराबाई को ऐसा महसूस करवाती हैं, मानो श्रीकृष्ण ख़ुद चलकर उनके वास आ रहे हैं।

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कविता से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 120)

प्रश्न 1 बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यारे’, ‘लाल जी’, कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी बातें कहती हैं?

उत्तर- यशोदा श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास करती हैं। वह कहती हैं कि रात बीत गई है, सुबह हो गई है। सबके घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ दही मथ रही हैं, उनके कंगन की खनक सुनाई दे रही है। मेरे लाल उठ जाओ। सुबह हो गई है। देवता और मनुष्य द्वार पर खड़े हैं। ग्वाल-बाल शोर मचा रहे हैं और तुम्हारी जयकार लगा रहे हैं। अतः अब उठ जाओ।

प्रश्न 2 नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए-

‘माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे’

उत्तर- गायों की रक्षा करने वालों ने हाथ में माखन रोटी ली हुई है। वे तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। हे कृष्णा उठो और जाओ।

प्रश्न 3 पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।

उत्तर- ब्रज में भोर होते ही घरों के दरवाजे खुल जाते हैं। गोपियाँ दही मथने लगती हैं। उनके कंगन की खनक हर घर से सुनाई देने लगती है। ग्वाल-बाल गायों को चराने के लिए वन जाने की तैयारी में निकल जाते हैं।

प्रश्न 4 मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?

उत्तर- मीरा को सावन मनभावन लगने लगा क्योंकि उन्हें श्रीकृष्ण के आने का आभास हो गया।

प्रश्न 5 पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- सावन में बादल चारों दिशाओं से उमड़-घुमड़ कर आते हैं। बिजली चमकने लगती है, वर्षा की झड़ी लग जाती है। नन्ही-नन्ही बूंदें बरसने लगती हैं और ठंडी-शीतल हवा बहने लगती है।

कविता से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 120)

प्रश्न 1 मीरा भक्तिकाल की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। इस काल के दूसरे कवियों के नामों की सूची बनाइए तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।

उत्तर-

भक्ति काल के कविरचना
कबीरदासबीजक
सूरदाससूरसागर
तुलसीदासरामचरित मानस
मलिक मोहम्मद जायसीपद्मावत
रैदासभक्ति पद

प्रश्न 2 सावन वर्षा ऋतु का महीना है, वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीनों के नाम लिखिए।

उत्तर- वर्षा के तीन महीने मुख्य हैं। आषाढ़, सावन और भादों। सावन से पहले आषाढ़ आता है और उसके बाद भादों का महीना।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 121)

प्रश्न 1 सुबह जगने के समय आपको क्या अच्छा लगता है?

उत्तर- सुबह जगने के समय पक्षियों की चहचहाहट सुनना तथा आकाश में सूर्योदय की लालिमा देखना अच्छा लगता है।

प्रश्न 2 यदि आपको अपने छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े, तो कैसे जगाएँगे?

उत्तर- यदि छोटे भाई बहन को जगाना पड़े, तो प्यार से उनके बालों को सहलाते हुए जगाएँगे।

प्रश्न 3 वर्षा में भींगना और खेलना आपको कैसा लगता है?

उत्तर- वर्षा में भींगना और खेलना मुझे बहुत अच्छा लगता है।

प्रश्न 4 मीरा बाई ने सुबह का चित्र खींचा है। अपनी कल्पना और अनुमान से लिखिए कि नीचे दिए गए स्थानों की सुबह कैसी होती है-

  1. गाँव, गली या मुहल्ले में
  2. रेलवे प्लेटफॉर्म पर
  3. नदी या समुद्र के किनारे
  4. पहाड़ों पर

उत्तर-

  1. गाँव में सुबह होते ही गायों के रंभाने और चिड़ियों के चहचहाने की आवाज सुनाई देती होगी। मंदिर में घंटियों के बजने की आवाज आती होगी। लोग भजन गाते हुए अपने-अपने काम पर लग जाते होंगे। किसान हल लेकर खेतों पर जाने को तैयार हो जाते होंगे।
  2. रेलवे प्लेट फॉर्म पर सुबह-सुबह गाड़ी पकड़ने के लिए तैयार यात्री आते दिखाई देते होंगे। सफाई कर्मचारी झाडू लगाना शुरू कर देते होंगे। स्टेशन पर रुकी गाड़ियों से रात की यात्रा के बाद अलसाए और थके यात्री उतरते नजर आते होंगे। कुछ लोग पत्र-पत्रिकाएँ तथा उस दिन का अखबार खरीदते दिखाई देते होंगे।
  3. नदी या समुद्र के किनारे सुबह के समय सूरज निकलने से आकाश लाल दिखाई देता होगा। नदी या समुद्र के पानी में उनकी परछाई से लाल आभा नजर आती होगी। पक्षी चहचहाते और उड़ते दिखाई देते होंगे। सुबह-सुबह सैर पर निकले लोग किनारे पर टहलते, दौड़ते या व्यायाम करते नजर आते होंगे।
  4. पहाड़ों पर सुबह सुहानी लगती होगी। उगते हुए सूरज की किरणे अत्यंत मनोरम लगती होगी। ठंडी, मंद हवा मन को सुकून देती होगी।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 121)

प्रश्न 1 कृष्ण को ‘गउवन के रखवारे’ कहा गया है जिसका अर्थ है गौओं का पालन करनेवाला। इसके लिए एक शब्द दें।

उत्तर- गौओं का पालन करने वाले कृष्ण को गोपाल कहते हैं।

प्रश्न 2 नीचे दो पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें से पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द दो बार आए है, और दूसरी पंक्ति में भी दो बार। इन्हें पुनरुक्ति (पुनः उक्ति कहते) हैं। पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द विशेषण है और दूसरी पंक्ति में संज्ञा।

‘नन्ही-नन्ही बूंदन मेहा बरसे’

‘घर-घर खुले किंवारे’

  • इस प्रकार के दो-दो उदाहरण खोजकर वाक्य में प्रयोग कीजिए और देखिए कि विशेषण तथा संज्ञा की पुनरुक्ति के अर्थ में क्या अंतर है? जैसे-मीठी-मीठी बातें, फूल-फूल महके।

उत्तर-

विशेषण पुनरुक्ति-

छोटे-छोटे: मुझे छोटे-छोटे बच्चे बड़े प्यारे लगते हैं।

मीठे-मीठे: मीठे-मीठे फल मुझे पसंद है।

सुंदर-सुंदर: बाग में सुंदर-सुंदर फूल खिले हैं।

मधुर-मधुरः मीरा मधुर-मधुर गीत सुनाती है।

ठंडी-ठंडी: पहाड़ों पर ठंडी-ठंडी हवा चलती है।

संज्ञा पुनरुक्ति-

गली-गली: आज गली-गली में रौनक है।

घर-घर: घर-घर में तुम्हारी ही चर्चा है।

कोना-कोना: मैने घर का कोना-कोना छान मारा।

गाँव-गाँव: यह प्रथा गाँव-गाँव में विद्यमान है।

कुछ करने को प्रश्न (पृष्ठ संख्या 121)

प्रश्न 1 कृष्ण को ‘गिरधर’ क्यों कहा जाता है? इसके पीछे कौन सी कथा है? पता कीजिए और कक्षा में बताइए।

उत्तर- कृष्ण को ‘गिरिधर’ कहा जाता हैं क्योंकि उन्होंने गिरि अर्थात् पर्वत को अपनी उँगली पर उठाया था। इसके पीछे एक कथा इस प्रकार है। ब्रज के लोग पारम्परिक रूप से इन्द्र देवता की पूजा किया करते थे। श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों से इंद्र की पूजा करना छोड़ गोवर्धन की पूजा करने का आह्वान किया। ब्रजवासियों ने ऐसा ही किया। इससे इंद्र कुपित हो उठे और ब्रज के लोगों को सबक सिखाने के लिए ब्रज में मूसलाधार वर्षा शुरू करा दी जिससे ब्रज की गलियाँ, नदी-नाले सभी भर गए। ब्रज के लिए यह घोर संकट था। उनके घरों में पानी भरने लगा। लोग अपने प्राणों की रक्षा हेतु श्री कृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली पर छतरी की तरह उठा लिया जिसके नीचे शरण लेकर ब्रजवासियों ने अपनी जान बचाई। इस घटना के बाद श्रीकृष्ण का अन्य नाम गिरिधर पड़ गया।