-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

सारांश

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता ‘शाम-एक किसान’ में शाम के समय का बड़ा ही मनोहर वर्णन किया है। शाम का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इस दौरान पहाड़ – बैठे हुए किसी किसान जैसा दिख रहा है। आकाश उसके माथे पर बंधे एक साफे (पगड़ी) की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के पैरों पर पड़ी चादर जैसी लग रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल किसी अंगीठी में रखे अंगारों की तरह दिख रहे हैं। फिर पूर्व दिशा में गहराता अंधेरा भेड़ों के झुंड जैसा लगता है। अचानक मोर के बोलने से सब बदल जाता है और शाम ढल जाती है।

भावार्थ

आकाश का साफ़ा बाँधकर

सूरज की चिलम खींचता

बैठा है पहाड़,

घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,

पास ही दहक रही है

पलाश के जंगल की अँगीठी

अंधकार दूर पूर्व में

सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्‍ले-सा।

नए शब्द /कठिन शब्द

साफ़ा- सिर पर बाँधने वाली पगड़ी

चिलम- हुक्के के ऊपर रखने वाली वस्तु

चादर-सी –चादर के समान

दहक रही है – जल रही है

पलाश- एक प्रकार का वृक्ष जिस पर लाल रंग के फूल खिलते हैं

सिमटा- दुबका हुआ

गल्ले-सा- समूह के समान

भावार्थ- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी अपनी कविता शाम एक किसान की इन पंक्तियों में शाम होने के समय प्राकृतिक दृश्य का बड़ा ही मनोरम वर्णन कर रहे हैं।

उनके अनुसार, शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के घुटनों पर रखी किसी चादर जैसी लग रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल पुष्प कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों की तरह प्रतीत हो रहा है।

पश्चिम दिशा में मौजूद सूरज चिलम पर रखी आग की तरह लग रहा है। चारों तरफ एक मनभावन शांति छाई है।

अचानक- बोला मोर।

जैसे किसी ने आवाज़ दी-

‘सुनते हो’।

चिलम औंधी

धुआँ उठा-

सूरज डूबा

अंधेरा छा गया।

भावार्थ- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता शाम एक किसान के इस पद्यांश में शाम के मनोहर सन्नाटे के भंग होने का वर्णन किया है। चारों तरफ छाई शांति के बीच अचानक एक मोर बोल पड़ता है, मानो कोई पुकार रहा हो, ‘सुनते हो!’ फिर सारा दृश्य किसी घटना में बदल जाता है, जैसे सूरज की चिलम किसी ने उलट दी हो, जलती आग बुझने लगी हो और धुंआ उठने लगा हो। असल में, अब सूरज डूब रहा है और चारों तरफ अंधेरा छाने लगा है।

NCERT SOLUTIONS

कविता से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 64-65)

प्रश्न 1 इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है- यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।

उत्तर- दूसरी एकरूपता – चिलम सूरज-सी

चौथी एकरूपता – अँगीठी पलाश के फूलों-सी

पाँचवी एकरूपता – अंधकार भेड़ों के गल्ले-सा

प्रश्न 2 शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए–

  1. शाम कब से शुरू हुई?
  2. तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?
  3. इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर-

  1. शाम छः बजे से शुरू हुई।
  2. सूरज को डूबने में करीब एक घंटा लगा।
  3. इस बीच आसमान का रंग लाल और कुछ देर बाद पीले रंग में परिवर्तित हो गया और कुछ देर बाद सूरज आसमान से गायब हो गया और चारों ओर अँधेरा छा गया।

प्रश्न 3 मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो- ‘सुनते हो’। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिए-

कबूतर, कौआ ,मैना, तोता, चील, हंस

उत्तर- कबूतर- भाई, ख़त ले लो।

कौआ- सुनते हो, घर में मेहमान आने वाले हैं।

मैना- कैसे हो?

तोता- राम! राम! भाई।

चील- अरे,वह देखो नीचे क्या पड़ा है।

हंस- मेरी तरह शांत और स्वच्छ रहो

कविता से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 65)

प्रश्न 1 इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का प्रयोग करना होगा?

उत्तर- इस कविता को चित्रित करने के लिए हमें पीला, भूरा, लाल, सफ़ेद, काला, हरा, आदि अनेक रंगों का प्रयोग करना पड़ेगा।

प्रश्न 2 शाम के समय ये क्या करते हैं? पता लगाइए और लिखिए-

पक्षी, खिलाड़ी, फलवाले,माँ, पेड़-पौधे, पिताजी, किसान, बच्चे

उत्तर- पक्षी-अपने घोंसलों की ओर लौटने लगते हैं।

पेड़-पौधो-शांत खड़े रहते हैं मानो विश्राम कर रहे हों।

खिलाड़ी-खेल खत्म कर विश्राम करने लगते हैं।

पिताजी-आफिस से घर लौटते हैं।

फलवाले बचे हुए फल जल्दी बेचकर घर जाना चाहते हैं।

किसान-खेतों से घर लौटने लगते हैं।

माँ-मंदिर में दिया जलाने जाती है।

बच्चे-खेल में मग्न रहते हैं।

प्रश्न 3 हिन्दी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने संध्या का वर्णन इस प्रकार किया है- 

संध्या का झुटपुट- 

बाँसों का झुरमुट- 

है चहक रहीं चिडि़याँ 

टी-वी-टी–टुट्-टुट् 

  • ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल जी की कविता में आपको क्या मुख्य अंतर लगा? लिखिए।

उत्तर- सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविता में संध्या का दृश्य चिड़ियों के माध्यम से दिखाया है वहीं सर्वेश्वरदयाल जी ने संध्या का दृश्य किसान के माध्यम से प्रस्तुत किया है। यही इन दोनों की कविताओं में मुख्य अंतर है

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 65)

प्रश्न 1 शाम के बदले यदि आपको एक कविता सुबह के बारे में लिखनी हो तो किन-किन चीज़ों की मदद लेकर अपनी कल्पना को व्यक्त करेंगे? नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के आधार पर सोचिए-

पेड़ों के झुनझुने

बजने लगे

लुढ़कती आ रही है

सूरज की लाल गेंद।

उठ मेरी बेटी, सुबह हो गई। -सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

उत्तर- दूर पूर्व आकाश में

किरणों ने

सिंदूरी कालीन बिछाया है,

आने वाले हैं दिनकर

और सोया जग

जगने वाला है।

तो प्रकट हो गए बाल अरुण

एक नया सवेरा आया है,

नई उमंगों, आशाओं संग

नया दिवस एक आया है।

अरुणोदय ने

अंधकार, आलस को दूर भगाया है

रवि की अग्नी और तेज से

हर कण-कण जगमगाया है।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न 1 नीचे लिखी पंक्तियों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखिए-

  1. घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी
  2. सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा
  3. पानी का परदा-सा मेरे आसपास था हिल रहा
  4. मँडराता रहता था एक मरियल-सा कुत्ता आसपास
  5. दिल है छोटा-सा छोटी-सी आशा
  6. घास पर फुदकती नन्ही-सी चिड़िया
  • इन पंक्तियों में सा/ सी का प्रयोग व्याकरण की दृष्टि से कैसे शब्दों के साथ हो रहा है?

उत्तर- इन पंक्तियों में सा/ सी का प्रयोग व्याकरण की दृष्टि से ‘संज्ञा’ और ‘विशेषण’ शब्दों के साथ हो रहा है। ‘चादर’, ‘गल्ला’ और ‘परदा’ संज्ञा शब्द हैं जबकि ‘मरियल’, ‘छोटा’ और ‘नन्ही’ विशेषण शब्द हैं।

प्रश्न 2 निम्नलिखित शब्द का प्रयोग आप किन संदर्भ में करेंगे? शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए-

  1. औंधी
  2. दहक
  3. सिमटा

उत्तर-

  1. औंधी-मुँह के बल या ‘उल्टा’ के अर्थ में-
  • कमरे में टोकरी औंधी पड़ी है।
  • कोप भवन में कैकेयी औंधी पड़ी थी।
  1. दहक-प्रबल वेग होने के अर्थ में-
  • महेश बाबू क्रोध से दहक रहे थे।
  • अँगीठी में आग दहक रही है।
  1. सिमटा-सिकुड़ा हुआ के अर्थ में तथा समाप्त होने के अर्थ में-
  • मोहन रजाई में सिमटा बैठा है।
  • सारा सामान कमरे में सिमटा पड़ा है।
  • जमीन खरीदने तथा घर बनाने का सारा काम सिमट गया है।