अध्याय-8: बाजार में एक कमीज

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बाज़ार में एक कमीज़

कपास किसान का जीवन

कपास किसान का जीवन आसान नहीं होता है। कपास उगाने वाले कई किसानों के पास छोटे खेत हैं और उन्हें कपास की फसल काटने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कपास की कटाई के बाद, किसान आमतौर पर कपास को आसपास के व्यापारियों को बेचते हैं। कुछ व्यापारी किसानों को बहुत अधिक ब्याज दरों पर ऋण भी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, ऋण प्रदान करते समय, वे कभी-कभी किसानों के सामने यह शर्त रखते हैं कि वे अपनी कपास की उपज केवल उन्हें ही बेचेंगे। इस प्रकार किसान अपनी कपास उसी व्यापारी को बेचने के लिए मजबूर होते हैं, जो उन्हें उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य देता है। इसके परिणामस्वरूप कपास किसानों का शोषण और गरीबी होती है।

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एक कपास उगाने वाला किसान

कपड़ा उत्पादन में बुनकरों की भूमिका

  • व्यापारी बुनकरों को कपड़ा बनाने के लिए मिलने वाले ऑर्डर के आधार पर काम देते हैं।
  • बुनकरों को आमतौर पर व्यापारियों से सूत मिलता है। यह बुनकरों के लिए फायदेमंद है क्योंकि उन्हें सूत खरीदने पर अपना पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है।
  • साथ ही उन्हें बने कपड़े को बेचने की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह जिम्मेदारी व्यापारियों द्वारा ली जाती है। बुनकर यह भी पहले से जानते हैं कि उन्हें किस तरह का कपड़ा बुनना है।
  • व्यापारी और बुनकर के बीच इस व्यवस्था को पुटिंग आउट सिस्टम के रूप में जाना जाता है। इस प्रणाली में, व्यापारी बुनकरों को कच्चा माल उपलब्ध कराता है और उनसे तैयार उत्पाद खरीदता है। यह प्रणाली देश के कई हिस्सों में बुनाई उद्योगों में प्रचलित है।
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बुनकर

  • व्यापारियों और बुनकरों के बीच उपरोक्त व्यवस्था का एक नकारात्मक पहलू यह है कि यह व्यापारियों को बहुत शक्तिशाली बनाता है। वे बुनकरों को कपड़ा बुनने के लिए बहुत कम राशि देते हैं।
  • फिर व्यापारी कपड़ा कारखानों को बेचते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं। इस प्रकार बाजार बुनकरों की अपेक्षा व्यापारियों को अधिक मुनाफा देता है।
  • बुनकर का जीवन आसान नहीं होता। बुनकर कपड़ा बुनने के लिए करघे ऊंची ब्याज दर पर उधार लेकर खरीदते हैं।
  • एक बार जब करघे खरीद लिए जाते हैं, तो वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ करघे पर प्रतिदिन बारह घंटे तक काम करते हैं।
  • इसके बावजूद, अधिकांश बुनकर केवल रु. 3,500 प्रति माह उनके काम के माध्यम से कमाते है।

कपडा कारखानों की भूमिका

  • बुनकरों द्वारा बुना गया कपड़ा, व्यापारियों द्वारा उच्च लाभ पर कपड़ा कारखानों को बेचा जाता है।
  • फिर कपड़ा फैक्ट्री कपड़े से कमीज, कपड़े, साड़ी और अन्य प्रकार के कपड़े बनाती है।
  • परिधान कारखाने या तो इन तैयार उत्पादों को देश के विभिन्न हिस्सों में दुकानों को बेचते हैं या कपड़े को विदेशों में निर्यात करते हैं।
  • विदेशी खरीदार आम तौर पर बड़े स्टोर होते हैं जो अपनी शर्तों पर सख्ती से व्यापार करते हैं। वे तैयार कपड़ा बहुत सस्ते दामों पर खरीदते हैं। इसके अलावा, वे उच्च गुणवत्ता के उत्पाद खरीदते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि उत्पादों को निश्चित समय पर वितरित किया जाएगा।
  • आपूर्तिकर्ता इन स्टोर हाउसों की मांगों को पूरा करने की पूरी कोशिश करते हैं।
  • गारमेंट फैक्ट्री के मालिक अपने मुनाफे को अधिकतम करने के लिए उत्पादन की लागत को कम करने की कोशिश करते हैं।
  • यह बेहद कम वेतन पर कामगारों को काम पर रखकर किया जाता है।
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एक कपड़ा कारखाने में महिला श्रमिकों को

न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है

  • अधिकतर, कपड़ा उद्योग में कामगार न्यूनतम संभव मजदूरी पर अधिकतम काम करते हैं।
  • कामगारों के पास नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है क्योंकि उन्हें कम अवधि के दौरान छोड़ने के लिए कहा जा सकता है।
  • महिलाओं को आमतौर पर धागा काटने, बटन लगाने, इस्त्री करने और पैकेजिंग के लिए नियोजित किया जाता है और उन्हें न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है।

बाजारों में लाभ कमाने वाले

बाजार में हर कदम पर कपड़े की खरीद-बिक्री होती है। इस बाजार में लाभ पाने वाले व्यापारी और परिधान कारखाने हैं जो भारी मुनाफा कमाते हैं। परिधान स्टोर जो अपने उत्पादों को बहुत अधिक कीमतों पर बेचते हैं, वे सबसे अधिक मुनाफा कमाते हैं। कपास के किसान और बुनकर जो अधिकांश काम करते हैं, उन्हें नुकसान होता है क्योंकि उन्हें उनके काम के अनुसार भुगतान नहीं मिलता है।

बाजारों में समानता

  • कपड़ा बाजार में परिधान निर्यातक मध्यम मुनाफा कमाते हैं जबकि परिधान भंडार और विदेशी व्यवसायी भारी मुनाफा कमाते हैं।
  • फैक्ट्रियों में कामगारों की मजदूरी इतनी कम है कि वे मुश्किल से अपनी दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा कर पाते हैं।
  • इसी तरह कपास किसान भी अपने परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त कमाई करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि उन्हें बाजार में बिकने वाले कपास का उचित मूल्य नहीं मिलता है।
  • इसलिए, हम देखते हैं कि बाजारों में हर कोई समान रूप से लाभ और कमाई नहीं करता है।
  • उत्पादकों को उनके काम के लिए उचित मुनाफा नहीं मिलता है, जबकि अमीर और शक्तिशाली बाजारों से अधिकतम कमाई करते हैं। चूंकि इन व्यापारियों के पास पैसा, अपनी जमीन और दुकानें हैं, इसलिए समाज के गरीब वर्ग विभिन्न संसाधनों के लिए उन पर निर्भर हैं।
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कपडा शोरूम बाजारों में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाते हैं

  • क्योंकि गरीब लोग समाज के धनी वर्गों पर निर्भर हैं, अमीरों द्वारा उनका शोषण किया जाता है।
  • इसलिए किसानों और बुनकरों के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाए जाने चाहिए।
  • ऐसा ही एक कदम उत्पादकों की विभिन्न सहकारी समितियों का गठन करना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कानूनों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।

कुरनूल में कपास उगाने वाली एक किसान

यहां पर एक छोटी किसान स्वप्ना जो कुरनूल आंध्र प्रदेश की एक छोटी किसान है की घटना बताई गई है यहां पर बताया गया है कि कपास की खेती करने में अधिक निवेश की आवश्यकता पड़ती है जैसे उर्वरक कीटनाशक इत्यादि की जिसके लिए छोटे किसान साहूकारों वह धनी किसानों से कर्जा लेकर इसकी खेती करते हैं तथा उन्हें उनकी लागत के अनुसार लाभ अर्जित नहीं हो पाता।

छोटे किसानों के साथ अपना उत्पादन बेचने के लिए स्थानीय बाजार व व्यपारी पर निर्भर रहना पड़ता है।

इरोड का कपड़ा बाजार

तमिलनाडु में सप्ताह में दो बार इरोड का कपड़ा बाजार लगता है जो संसार के विशाल बाजारों में से एक है इस बाजार में आस-पास के गांव में बुनकरों द्वारा बनाया गया कपड़ा भी बेचा जाता है बाजार के पास कपड़ा व्यापारियों के कार्यालय हैं जो इस कपड़े को खरीदते हैं इस बाजार में बुनकर व्यापारियों के आर्डर के अनुसार कपड़ा तैयार करके लाते हैं तथा यहां से कपड़ा देश विदेश में भेजा जाता है।

दादन व्यवस्था

इस व्यवस्था के अंतर्गत व्यापारी बुनकरों के बीच काम बांट देते हैं बुनकर व्यापारी से सूत लेते हैं और तैयार कपड़ा देते है  बुनकरों  और व्यापारियों के बीच इस व्यवस्था को दादन व्यवस्था कहते हैं।

इस व्यवस्था से बुनकरों को दो प्रकार के लाभ होते हैं

  1. सूत खरीदने के लिए अपना पैसा नहीं लगाना पड़ता
  2. तैयार माल को बेचने की व्यवस्था पहले से रहती है

परंतु इस व्यवस्था में बुनकरों को कम लाभ अर्जित होता है क्योंकि वह पूर्ण रूप से व्यापारियों पर निर्भर रहते हैं तथा कम दाम में कार्य को पूरा करते हैं इस पूरी व्यवस्था में व्यापारियों को अधिक लाभ अर्जित होता है।

दिल्ली के निकट वस्त्र निर्यात करने का कारखाना

व्यापारी बुनकरों द्वारा निर्मित कपड़ा इन कारखानों में या फैक्ट्रियों में भेजता है यहां से तैयार माल को अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में निर्यात किया जाता है कारखाने कपड़े को कम दाम पर खरीदते है तथा उस की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देते है।

यह अपना लाभ अधिक कमाने के लिए कामगारों को न्यूनतम मजदूरी देते है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में वह कमीज

वह कमीज जो भारत में तैयार की गई थी उसकी कीमत बहुत अधिक रखी जाती है जिससे लाभ अधिक अर्जित किया जा सके।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि बाजार में हर व्यक्ति समान रूप से नहीं कमाता जिनिंग मिल :

वह फैक्ट्री जहां रूही के गोलों से 20 अलग किए जाते हैं यहां पर रवि को दबाकर गट्ठर भी बनाए जाते हैं जो धागा बनाने के लिए भेज दिए जाते हैं।

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प्रश्न (पृष्ठ संख्या 101)

प्रश्न 1 स्वप्ना ने अपनी रुई कुर्नुल के रूई – बाजार में न बेचकर, व्यापारी को क्यों बेच दी ?

उत्तर – स्वप्ना ने ऋण लेते समय व्यापारी से वादा किया था कि वह अपनी सारी रुई उसे ही बेचेगी। जबकि उसे कम क़ीमत मिली फिर भी उसने बहस नहीं की क्योंकि व्यापारी गाँव का शक्तिशाली आदमी है और किसानों को कर्ज के लिए उस पर निर्भर रहना पड़ता है – न केवल खेती के लिए बल्कि अन्य आवश्यकताओं के लिए भी, जैसे- बीमारी, बच्चों की स्कूल की फीस आदि। फिर वर्ष में ऐसा समय भी आता है, जब किसानों को कोई काम नहीं मिलता है उनकी कोई आय भी नहीं होती है। उस समय केवल ऋण लेकर ही जीवित रहा जा सकता है। इसलिए स्वप्ना कम मूल्य में ही रुई व्यापारी को बेच देती है।

प्रश्न 2 वस्त्र निर्यातक कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के काम के हालात और उन्हें दी जाने वाली मजदूरी का वर्णन कीजिए। क्या आप सोचते है कि मजदूरों के साथ न्याय होता है ?

उत्तर – कारखाने में काम करने वाले मजदूरों को अस्थायी रूप से रखा जाता था जब भी कारखाने के मालिक को लगता अब इस व्यक्ति की जरूरत नहीं उसे निकाल देते जो कि मजदूरों के लिए अन्याय था। लेकिन उन्हें मजदूरी उनके कौशल के अनुसार ही दी जाती थी, जो जितना काम करता उन्हें उनके पैसे मिल जाते। दर्जी को 3000रु प्रति माह मिलता था। इस्त्री करने वाले को 1.50 रु प्रति पीस मिलता था। जांच करने वाले को 2000रु प्रति माह और धागे काटने और बटन लगाने वाले को 1500रु प्रति माह मिलता था।

प्रश्न 3 ऐसी किसी चीज़ के बारे में सोचिए, जिसे हम सब इस्तेमाल करते हो,  वह चीनी, चाय, दूध, पेन, काग़ज, पेंसिल आदि कुछ भी हो सकती है। चर्चा कीजिए कि यह वस्तु बाजारों को किस श्रृंख्ला से होती हुई, आप तक पहुँचती है। क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्होंने इस वस्तु के उत्पादन व व्यापार में मदद की होगी ?

उत्तर – हम चीनी के बारे में बात करते है। सबसे पहले किसान अपने खेत में गन्ना उगाते है। किसान के पास गन्ने का बीज़ खुद का भी हो सकता है और वह अन्य किसानों से भी ले सकता है या बाज़ार से भी ला सकता है। जब फसल पक जाती है तो किसान गन्ने को साफ करने चीनी मिल में दे देता है। वहां इसकी चीनी बनाई जाती है। जिसे व्यापारी खरीद लेते है। व्यापारियों से दुकानदार ख़रीद लेते है और फिर हम दुकान से ख़रीद कर घर ले आते है।

प्रश्न 4 यहाँ दिए गए नौ कथनों को सही क्रम में कीजिए और फिर नीचे बनी कपास की डोडियों के चित्रों में सही कथन के अंक भर दीजिए । पहले दो चित्रों में आपके लिए अंक पहले से ही भर दिए गए है।

  1. स्वप्ना, व्यापारी को रूई बेचती है।
  2. ग्राहक, सुपरमार्केट में इन कमीज़ों को खरीदते हैं।
  3. व्यापारी, जिनिंग मिलों को रूई बेचते है।
  4. गार्मेंट निर्यातक, कमीज़ें बनाने के लिए व्यापारियों से कपड़ा खरीदते हैं।
  5. सूत के व्यापारी, बुनकरों को सूत देते हैं।
  6. वस्त्र निर्यातक , संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवसायी को कमीज़ें बेचता है।
  7. सूत कातने वाली मिलें, रूई खरीदती हैं और सूत के व्यापारी को सूत बेचती है। 
  8. बुनकर कपड़ा तैयार कर के लाते हैं।
  9. जिनिंग मिलें रूई को साफ़ करती है और उनके गट्ठर बनाती हैं।

उत्तर –

1 . स्वप्ना व्यापारी को रुई बेचती है।

3. व्यापारी जिनिंग मिलों को रुई बेचते है।

9. जिनिंग मिलें रूई को साफ करती है और उनके गट्टर बनाती है।

7. सूत कातने वाली मिल, रुई खरीदती हैं और सूत के व्यापारी को सूत बेचती है।

5. सूत के व्यापारी, बुनकरों को सूत देते हैं।

2. ग्राहक सुपरमार्केट में इन कमीजों को खरीदते है।

8. बुनकर कपड़ा तैयार करके लाते है।

4. गार्मेट निर्यातक कमीज बनाने के लिए व्यापारियों से कपड़ा खरीदते है।

6. वस्त्र निर्यातक, संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवसायी को कमीज़े बेचता है।