
-हरिऔध
काव्यांश
एक तिनका कविता में कवि हरिऔध जी ने हमें घमंड ना करने की प्रेरणा दी है। इस कविता के अनुसार, एक दिन वो बड़े घमंड के साथ अपने घर की मुंडेर पर खड़े होते हैं, तभी उनकी आँख में एक तिनका गिर जाता है। उन्हें बड़ी तकलीफ होती है और जैसे-तैसे तिनका उनकी आँख से निकल जाता है। तिनके के निकलने के साथ ही कवि के मन से घमंड भी निकल जाता है और उन्हें सरल जीवन जीने का महत्त्व समझ आ जाता है।
भावार्थ
मैं घमण्डों में भरा ऐंठा हुआ।
एक दिन जब था मुण्डेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ।
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।1।
भावार्थ- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि वे एक दिन बड़े ही घमंड में भरे हुए अपनी छत की मुंडेर पर खड़े थे। अचानक उसी समय एक तिनका कहीं से उड़कर उनकी आँख में चला जाता है।
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे।
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी ।2।
भावार्थ- इन पक्तियों में कवि ने उनकी आँख में तिनका जाने के बाद उनकी हालत का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि आँख में तिनका चले जाने से उन्हें बड़ी ही बेचैनी होने लगी। उनकी आँख लाल हो गयी और दुखने लगी। लोग कपड़े का उपयोग करके उनकी आँख से तिनका निकालने की कोशिश करने लगे। इस दौरान उनकी ऐंठ और घमंड बिल्कुल चूर हो कर दूर भाग गई।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया।
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा।
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।3।
भावार्थ- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने तिनका निकल जाने के बाद अपनी हालत का वर्णन किया है। वे इन पंक्तियों में कहते हैं कि जैसे-तैसे उनकी आँखों से तिनका निकल गया। इसके बाद उन्हें मन में एक ख़याल आया कि उन्हें घमंड नहीं करना चाहिए था, उनका घमंड तो एक मामूली तिनके ने ही तोड़ दिया।
साथ ही इन पक्तियों के द्वारा कवि हमें घमंड न करने का संदेश भी दे रहे हैं। कवि के अनुसार मनुष्य का घमंड चूर करने के लिए एक तिनके भी काफी होता है।
NCERT SOLUTIONS
कविता से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 100)
प्रश्न 1 नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे- एक तिनका आँख में मेरी पड़ा- मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे- लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।
- एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा-
- आँख में तिनका चले जाने के कारण आँख लाल होकर दुखने लगी-
- ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी–
- जब किसी ढब से निकल तिनका गया–
उत्तर-
- एक दिन जब मैं अपनी छत की मुंडेर पर खड़ा था।
- आँख में तिनका चले जाने के कारण आँख लाल होकर दुखने लगी।
- बेचारी ऐंठ दबे पावों भागी।
- किसी तरीके से आँख से तिनका निकाला गया।
प्रश्न 2 ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उत्तर- ‘एक तिनका’ कविता में ‘हरिऔध’ जी ने उस समय की घटना का वर्णन किया है, जब कवि अपने-आप को श्रेष्ठ समझने लगा था। उसके इस घमंड को एक छोटे से तिनके ने चूर-चूर कर दिया। उस छोटे से तिनके के कारण कवि की नाक में दम हो गया था। उस तिनके को निकालने के लिए कई प्रयास किए गए और जब किसी तरीके से वह निकल गया तो कवि को समझ आया कि उसका अभिमान तोड़ने के लिए एक छोटा तिनका भी बहुत है। अत: कवि और तिनके के उदहारण द्वारा इस कविता में हमें घमंड न करने की सीख दी गई है।
प्रश्न 3 आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर- आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की आँख दर्द के कारण लाल हो गई। वह बैचैन हो उठा और किसी भी तरह से आँख से तिनका निकालने का प्रयत्न करने लगा।
प्रश्न 4 घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?
उत्तर- घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने कपड़े की मूँठ बनाकर उसकी आँख पर लगाकर तिनका निकालने का प्रयास किया।
प्रश्न 5 ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी–
- ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
- एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है–
- तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय।
- कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।
उत्तर- इन दोनों काव्यांश में यह समानता है कि दोनों में ही तिनके के उदाहरण द्वारा यह समझाने का प्रयास किया है कि एक छोटा-सा तिनका भी मनुष्य को परेशानी में डाल सकता है।
इन दोनों काव्यांश में यह अंतर है कि जहाँ कवि हरिऔधजी जी ने हमें घमंड न करने की सीख दी है वहीँ कबीरजी ने हमें किसी को भी तुच्छ न समझने की सीख दी है।
अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 100-101)
प्रश्न 1 इस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरम्भ किया है- ‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़नेवाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़नेवाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में मैं की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव आ जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर- वह घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में उसकी पड़ा।
वह झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूंठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब ‘समझ’ ने यों उसे ताने दिए।
ऐंठता वो किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत उसके लिए।
प्रश्न 2 नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
- इन पंक्तियों में ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनका अभिनय कैसा होता?
उत्तर- ‘ऐंठ’ अकड़कर चलती। घमंड में भरी होती। रूखे स्वर में बात करती। किसी को कुछ न समझती। उसे किसी बात की परवाह न होती।
‘समझ’ शांत स्वभाव की होती। उसका व्यवहार नम्र, विनीत तथा सरल होता। वह सबका आदर करती। उसकी बातों में समझदारी होती।
प्रश्न 3 नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।
उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।
तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास।
उत्तर- जिस प्रकार हवा के झोंके से तिनके उड़कर आकाश में चले जाते हैं उसी प्रकार ईश्वर के प्रेम में लीन हृदय सांसारिक मोह-माया के बंधनों से मुक्त होकर ऊपर उठ जाता है। वह आत्मा का परिचय प्राप्त कर परमात्मा से मिल जाता है अर्थात उसे अपने अस्तित्व की पहचान हो जाती है और वह सभी प्रकार की बाधाओं से विरत हो ईश्वर के करीब पहुँच जाता है।
भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 101)
प्रश्न 1 ‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे धम से वाक्यांश हैं लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए
छप से, टप से, थर्र से, फुर्र से, सन् से
- मेंढक पानी में___________कूद गया।
- नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद ___________चू गई।
- शोर होते ही चिड़िया ___________उड़ी।
- ठंडी हवा___________गुज़री, मैं ठंड में___________काँप गया।
उत्तर-
- मेंढक पानी में छप से कूद गया।
- नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप से चू गई।
- शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
- ठंडी हवा सन् से गुजरी, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।