-भगवतीप्रसाद वाजपेयी

सारांश

मिठाई वाला कहानी एक बहुत ही मार्मिक कहानी है। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो अपने बच्चे किसी कारणवश खो देता है और अब उन्हीं बच्चों का प्यार वह अन्य बच्चों की खुशी में तलाशता है।

कहानी का सार कुछ इस प्रकार है।

नगर में एक मादक-मधुर स्वर में गाने वाला खिलौने वाला आता है। उसका स्वर इतना मादक होता है कि बच्चे तो बच्चे जवान भी उसे देखने के लिए उत्सुक हो उठते थे। खिलौने वाला बच्चों को उनके मनपसंद खिलौने कम दाम में बेचकर निकल जाता था। राय विजयबहादुर के बच्चे भी खिलौने लेकर घर पहुँचते है खिलौने का दाम सुनकर उनकी पत्नी रोहिणी सोच में पड़ जाती है कि इतने सस्ते में खिलौने वाला खिलौने क्यों बेचता होगा।

छह महीने बाद नगर में एक मुरलीवाले के आने का समाचार फैल जाता है। वह भी उसी तरह गाना गाकर मुरली सुनाकर केवल दो पैसों में मुरली बेचता है। रोहिणी भी अपने पति से अपने बच्चों के लिए मुरली खरीदने का आग्रह करती है। मुरली वाले के जाने के बाद फिर रोहिणी विचार करती है कि आज तक बच्चों से इस तरह प्यार से पेश आने वाला उसने कोई फेरीवाला न देखा। और अपना सौदा भी कितना सस्ता बेचता है।

कई महीने इसी तरह बीत गए करीब आठ महीने बाद पुन: गलियों में मिठाई वाले का वही मीठा स्वर गूँज उठता है। ‘बच्चों को बहलाने वाला मिठाईवाला।’

रोहिणी अपने बच्चों के लिए मिठाई खरीदने के लिए उसे बुलाती है। बातचीत के दौरान रोहिणी को पता चलता है खिलौनेवाला, मुरलीवाला और मिठाईवाला ये तीनों एक ही व्यक्ति हैं जो आज उसके सामने बैठा है। रोहिणी को उसके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है और तब उसे मुरलीवाले से पता चलता है कि मुरली वाला संपन्न परिवार से हैं परन्तु किसी कारणवश उसकी पत्नी और बच्चों की मृत्यु हो जाती है। अत: अपने खोये हुए बच्चों का प्यार पाने के लिए ही वह इस प्रकार नगर में घूमकर बच्चों से जुड़े सस्ते दामों में सामान बेचता है।

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कहानी से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 30)

प्रश्न 1 मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

उत्तर- बच्चे एक चीज़ से ऊब न जाएँ इसलिए मिठाईवाला अलग-अलग चीजें बेचता था। बच्चों में उत्सुकता बनाए रखने के लिए वह महीनों, बाद आता था। साथ ही चीजें न मिलने से बच्चे रोएँ, ऐसा मिठाई वाला नहीं चाहता था।

प्रश्न 2 मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?

उत्तर- निम्नलिखित कारणों से बच्चे तथा बड़े मिठाईवाले की ओर खिंचे चले आते थे-

  • मिठाई वाला मादक-मधुर ढंग से गाकर अपनी चीज़ों को बेचता था।
  • वह कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाइयाँ देता था।
  • उसके हृदय में बच्चों के लिए स्नेह था, वह कभी गुस्सा नहीं करता था।
  • हर बार नई चीजें लाता था।

प्रश्न 3 विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या-तर्क पेश करते हैं?

उत्तर- जब विजय बाबू ने मुरलीवाले से मुरली का दाम पूछा तो मुरली वाले ने आदतवश कहा कि दूसरों को तीन-तीन पैसे में देता है, पर उन्हें दो पैसे में ही दे देगा। इस पर वे अपने-अपने तर्क देने लगे विजय बाबू का तर्क- “तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझा मेरे ऊपर ही लाद रहे हो।” मुरलीवाले का तर्क- “यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज़ क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं कि दुकानदार उन्हें लूट रहा है।”

प्रश्न 4 खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर- खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की प्रतिक्रिया निम्नलिखित रूपों में होती थी-

  • बच्चे उत्साहित एवं उल्लसित हो जाते थे।
  • वे अपने खेल-कूद भूलकर उसकी और दौड़ जाते।
  • जल्दवाजी में उन्हें अपने सामान, जूते-चप्पल आदि का ध्यान न रहता।
  • बच्चे गलियाँ, पार्क तथा घरों से निकल पड़ते थे।
  • बच्चे खुशी से पागल हो जाते थे।

प्रश्न 5 रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो गया?

उत्तर- मुरलीवाले का स्वर रोहिणी को जानी पहचानी से लगी। उसे याद आया कि खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था इसलिए उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो गया।

प्रश्न 6 किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

उत्तर- रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने बताया कि उसके भी दो बच्चे थे जो की अब इस दुनिया में नही रहे इसलिए उसने इस व्यवसाय को अपना लिया क्योंकि उसे अपने बच्चों झलक दूसरों के बच्चों में मिल जाती है।

प्रश्न 7 ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ -कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर- कहानी के अंत में मिठाईवाले ने पैसे लेने से इसलिए मन कर दिया क्योंकि पहली बार किसी ने उसके दुःख को समझने का प्रयास किया साथ ही उसे चुन्नू-मुन्नु में अपने ही बच्चे नज़र आए। उसे लगा की वह अपने बच्चों को मिठाई दे रहा है।

प्रश्न 8 इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

उत्तर- शहरों में स्त्रियाँ चिक के पीछे से बात नही करतीं परन्तु आज भी गाँवों में तथा रूढ़िवादी परिवारों में इनका पालन होता है क्योंकि ऐसा करना संस्कार के साथ-साथ सम्मान के तौर पर भी लिया जाता है।

मेरी राय में यह बिलकुल भी उचित नही है चूँकि स्त्रियों के स्वतंत्रता के हनन करने जैसा है। ये उनके प्रगति को तो रोकता ही साथ देश की प्रगति में भी संकट पैदा करता है।

कहानी से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 30)

प्रश्न 1 मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए।

उत्तर- मिठाईवाले का परिवार किसी प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। जैसा कि मिठाईवाले ने बताया था, उसका एक हंसता-खेलता परिवार था। शहर में उसका मान था। आलीशान घर था। व्यवसाय फल-फूल रहा था। नौकर-चाकर, गाड़ी घोड़ा किसी चीज़ की कमी नहीं थी, परंतु अचानक जैसे उसकी हरी-भरी दुनिया को किसी की नज़र लग गई। गाँव में महामारी फैली और उसकी पत्नी और बच्चे चल बसे। उसकी दुनिया ही उजड़ गई और आँखों में आँसू सूखते ही न थे। धीरे-धीरे समय बीता तो मन का दुख कुछ कम हुआ पर अब वही घर अकेले में काटने को दौड़ता था। रह-रह कर बच्चों की याद आती थी। मन को तसल्ली देने का उसने एक तरीका निकाला कि वह घूम-घूमकर बच्चों के पसंद की चीजें बेचा करेगा और अपने मन को बहलाया करेगा। इस प्रकार उसका फेरी लगाने का व्यवसाय आरंभ हुआ और इस काम में उसने संतोष, धीरज और असीम सुख भी पाया।

प्रश्न 2 हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज़्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।

उत्तर- हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों मे हमें घर तथा दुकानों की साज-सज्जा बहुत आकर्षित करती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के व्यंजन और खाद्य पदार्थ भी बहुत लुभावने लगते हैं। घरों की साज-सज्जा के लिए विशेषज्ञ बुलाए जाते होंगे और खाद्य पदार्थों के लिए हलवाई। इनके पहनावे अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकते हैं।

प्रश्न 3 इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूँढ़िए और पढ़िए।

उत्तर- मीठी बोली

बस में जिससे हो जाते हैं प्राणी सारे

जन जिससे बन जाते हैं आँखों के तारे।

पत्थर को पिघलाकर मोम बनाने वाली

मुख खोलो तो मीठी बोली बोलो प्यारे।

रगड़ो-झगड़ों का कड़वापन खोने वाली,

जी में लगी हुई काई को धोने वाली।

सदा जोड़ देने वाली जो टूटा नाता

मीठी बोली बीज-प्यार है बोने वाली।

काँटों में भी सुन्दर फूल खिलाने वाली,

रखने वाली कितने ही मुखड़ों की लाली।

निपट बना देने वाली है बिगड़ी बातें

होती मीठी बोली की करतूत निराली।

जी उमगाने वाली, चाह बढ़ाने वाली,

दिल के पेचीदे ताले की सच्ची ताली।

फैलाने वाली सुगन्ध सब ओर अनूठी

मीठी बोली है विकसित फूलों की डाली। -अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 30-31)

प्रश्न 1 आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।

उत्तर- हमारी गली में कई फेरीवाले आते हैं। जैसे फलवाला, सब्जीवाला, बरतनवाला, खिलौनेवाला, कपड़ेवाला आदि। वे सब बड़ी ही लयात्मक आवाज में पुकार-पुकार कर अपनी चीजें बेचते हैं। ये लोग गरीबी के कारण इस तरह घूम-घूमकर चीजें बेचते हैं। अगर इनके पास अधिक पैसे होते, तो ये भी घूमने की बजाए दुकान खोलकर बैठते। इनके पास सामान कम होते हैं। इन्हें बेचने के बाद वे और सामान खरीदते हैं। छात्र अपनी गली में आने वाले फेरीवालों से बात करें और उनके विषय में जानने का प्रयास करें।

प्रश्न 2 आपके माता पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।

उत्तर- माता-पिता के जमाने मे फेरीवाले बड़ी संख्या में आया करते थे और मधुर आवाज में गा-गाकर अपना सामान बेचा करते थे। फेरीवाले लगभग हर तरह की चीजें लाया करते थे, परंतु आजकल फेरीवालों की संख्या बहुत कम हो गई है। कारण यह है कि लोग अब दुकानों में जाकर पैकेट और मुहर लगी चीज़ों को खरीदने को ही प्राथमिकता देते हैं। फेरीवाले अब पहले की तरह गाते हुए पुकार भी नहीं लगाते। उनकी आवाज की वह मधुरता अब कहीं खो गई-सी लगती है।

प्रश्न 3 क्या आपको लगता है कि वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।

उत्तर- वक्त के साथ फेरीवालों के स्वर कमै हुए हैं। यह सच है क्योंकि अब बाजारों और दुकानों का विस्तार हुआ है। पर्दाप्रथा की समाप्ति के बाद औरतें भी घर के सामान लेने बेहिचक बाज़ार जाने लगी हैं। दूसरी बात यह भी है कि लोग पैक और मुहर बंद चीजों को खरीदना ही उचित समझने लगे हैं, इसलिए फेरीवालों की संख्या कम हुई है।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 31)

प्रश्न 1 मिठाईवाला, बोलनेवाली गुड़िया

ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-

  1. ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या है?
  2. ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?

उत्तर- 

  1. मिठाई शब्द संज्ञा है और बोलना क्रिया।
  2. ‘मिठाईवाला’ शब्द में वाला लग जाने से यह शब्द विशेषण बन जाता है जो उस व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है, जो मिठाई बेचता हो। ‘बोलने वाली गुड़िया’ में बोलने वाली शब्द विशेषण है जो गुड़िया की विशेषता बता रहा है।

प्रश्न 2 “अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

  • उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ठे बटुली।
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें

प्रश्न 3 “ये भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”

“क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”

“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। ज़रा कमरे में चलकर ठहराओ।”

  • भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे?

उत्तर- “लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं।”भैया, इस मुरली का मूल्य क्या है?” “दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा जाकर उसे कमरे में बुलाओ।”

कुछ करने को प्रश्न (पृष्ठ संख्या 31)

प्रश्न 1 फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे। यह जानने के लिए तीन-तीन के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से बात करे।

उत्तर- फेरीवाले का जीवन काफ़ी कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक गलियों में चक्कर लगाते रहते हैं। उनका घर-परिवार उनसे अलग गाँव या दूसरे शहर में होता है या किसी छोटी कॉलोनियों में। उनके जीवन में अनेक समस्याएँ आती होंगी। जैसे पूरा सामान न बिकना, सामान का खराब हो जाना या सड़ जाना, तबियत खराब होने, अधिक बारिश होने पर, या अधिक गरमी पड़ने से घर से बाहर न निकल पाना। कभी-कभी इन्हें खरीद से कम में भी माल बेचना पड़ता है जिससे कि इनका मूल धन डूब जाए, इस प्रकार की और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रश्नानुसार आज अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से उनकी समस्याएँ व जीवन के बारे में बात करें।

प्रश्न 2 इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।

उत्तर- हाँ, फेरीवाले की कथा से यही लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है। हम अपने अनुमान से भी यह जान सकते हैं कि दुख-तकलीफ के समय दूसरों से मिला-जुला जाए तो मन को बहुत सुकून मिलता है और अपना दर्द कुछ कम होता महसूस होने लगता है। कहा भी गया है दुख बाँटने से कम होता है। छात्र आपस में बातचीत करके इस बात की सच्चाई को समझने का प्रयास करें।

प्रश्न 3 अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।

उत्तर-  मिठाईवाला लम्बा, दुबले-पतले शरीर वाला होगा। उसकी घनी मूंछे होंगी। वह कुर्ता-पाजामा पहनता होगा और सिर पर पगड़ी बाँधता होगा। उसके कंधों पर फेरी का सामान होता होगा जिसमें खट्टी, स्वादिष्ट, सुगंधित, सुपाच्य मीठी गोलियाँ होंगी। जब वह मीठी आवाज में गाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़कर उसे घेर लेते होंगे।