अध्याय-12: सममिति

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सममिति

सममिति का अर्थ है कि किसी पैटर्न का किसी बिन्दु या रेखा या तल के सापेक्ष हूबहू पुनरावृत्ति।

एक आकृति में रैखिक (या रेख) सममिति होती है यदि उसे एक रेखा के अनुदिश मोड़ने पर, आकृति के बाएँ और दाएँ भाग एक-दूसरे के पूर्णतया संपाती हो जाएँ। यह रेखा उस आकृति की सममिति (या सममित) रेखा (या अस) कहलाती है।

सममितता केन्द्र (centre of symmetry): क्रिस्टल में स्थित वह काल्पनिक बिंदु जिससे गुजरने वाली लाइन (रेखा) क्रिस्टल के किसी भी तरफ पृष्ठ को समान दूरी पर काटती है , इस काल्पनिक बिंदु को सममितता केन्द्र कहते है।

सम बहुभुजों के लिए सममित रेखाएँ

एक बहुभुज, सम बहुभुज कहलाता है, यदि इसकी सभी भुजाओं की लंबाइयाँ बराबर हों तथा सभी कोणों के माप बराबर हों। इस प्रकार, एक समबाहु त्रिुभज, तीन भुजाओं वाला एक सम बहुभुज होता है। इसीप्रकार सम बहुभुज के अन्य उदाहरण वर्ग जो कि एक सम चतुर्भुज है, सम षट्भुज इत्यादि। प्रत्येक समबहुभुज की उतनी ही सममित रेखाएँ होती हैं, जितनी उसकी भुजाएँ होती हैं।

घूर्णन सममिति

एक पूरे चक्कर (360°) में, एक वस्तु जितनी बार स्थिति के अनुसार, पहले जैसी ही दिखाई देती है, वह संख्या उस घूर्णन सममिति का क्रम कहलाती है। उदाहरणार्थ, एक वर्ग की घूर्णन सममिति का क्रम 4 है तथा एक समबाहु त्रिभुज की घूर्णन सममिति का क्रम 3 है।

घूर्णन का केंद्र

जब कोई वस्तु घूर्णन करती है, तो उसके आकार और माप में कोई परिवर्तन नहीं होता है घूर्णन उस वस्तु को एक निश्चित बिंदु के चारों तरफ घुमाता है। यह निश्चित बिंदु घूर्णन का केंद्र कहलाता है।

घूर्णन कोण

जिस कोण पर वस्तु घूमती है, उसे घूर्णन का कोण कहते हैं।

रैखिक सममिति और घूर्णन सममिति

एक आकृति मे रैखिक सममिति तब होती है, जब कोई ऐसी रेखा प्राप्त की जा सके जिसके अनुदिश उस आकृति को मोड़ने पर, उसके दोनों भाग परस्पर संपाती हो जाएँ। सम बहुभुजों में बराबर भुजाएँ और बराबर कोण होते हैं। यदि घूर्णन के बाद, वस्तु, स्थिति के अनुसार, पहले जैसी ही दिखाई देती है, तो हम कहते हैं कि उसमें घूर्णन सममिति है।

सममिति सम्बंधी मुख्य अवधारणाएं और परिणाम

  1. एक आकृति मे रैखिक सममिति तब होती है, जब कोई ऐसी रेखा प्राप्त की जा सके जिसके अनुदिश उस आकृति को मोड़ने पर, उसके दोनों भाग परस्पर संपाती हो जाएँ।
  2. सम बहुभुजों में बराबर भुजाएँ और बराबर कोण होते हैं। उनकी अनेक अर्थात्‌ एक से अधिक, सममित रेखाएँ होती हैं।
  3. प्रत्येक सम बहुभुज की उतनी ही सममित रेखाएँ होती हैं, जितनी उसकी भुजाएँ होती हैं।
  4. दर्पण परावर्तन से ऐसी सममिति प्राप्त होती है, जिसमें बाएँ-दाएँ अभिमुखों का ध्यान रखना होता है।
  5. घूर्णन में एक वस्तु को एक निश्चित बिंदु के परित घुमाया जाता है। यह निश्चित बिंदु घूर्णन का केंद्र कहलाता है। जिस कोण पर वस्तु घूमती है, उसे घूर्णन का कोण कहते हैं। आधे या अर्ध चक्कर का अर्थ 180⁰ का घूर्णन है तथा एक-चौथाई चक्कर का अर्थ 90⁰ का घूर्णन है। घूर्णन दक्षिणावर्त और वामावर्त दोनों ही दिशाओं में हो सकता है।
  6. यदि घूर्णन के बाद, वस्तु, स्थिति के अनुसार, पहले जैसी ही दिखाई देती है, तो हम कहते हैं कि उसमें घूर्णन सममिति है।
  7. एक पूरे चक्कर (360⁰) में, एक वस्तु जितनी बार स्थिति के अनुसार, पहले जैसी ही दिखाई देती है, वह संख्या उस घूर्णन सममिति का क्रम कहलाती है। उदाहरणार्थ, एक वर्ग की घूर्णन सममिति का क्रम 4 है तथा एक समबाहु त्रिभुज की घूर्णन सममिति का क्रम 3 है।
  8. कुछ आकारों में केवल एक ही सममिति रेखा होती है, जैसे: अक्षर H, कुछ में केवल घूर्णन सममिति ही होती है, जैसे अक्षर H तथा कुछ में दोनों प्रकार की सममितियाँ होती हैं, जैसे: अक्षर K है। सममिति का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका दैनिक जीवन में अधिकांशत: प्रयोग होता है तथा इससे भी अधिक महत्व इस कारण है कि यह हमें सुंदर एवं आकर्षक डिज़ाइन प्रदान कर सकती है।

उद्देश्य

  • एक वृत्त खींचना।
  • एक रेखाखण्ड की रचना करना।
  • एक रेखा पर लंब खींचना। 
  • एक रेखाखण्ड का लंब समद्विभाजक खींचना।
  • एक कोण का समद्विभाजक खींचना।
  • कोणों की रचना करना।

वृत्त की रचना करना

एक वृत्त दो आयामी आकृति होती है।

व्यास = 2 x त्रिज्या

वृत्त की रचना करना

वृत्त खींचने के लिए परकार का उपयोग करें।

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एक वृत्त

चरण 1: परकार को रूलर पर रखिए तथा 3 सेमी की माप तक फैलाइए।

चरण 2: परकार के नुकीले सिरे की सहायता से वृत्त का केन्द्र बिन्दु बनाइए।

चरण 3: वृत्त के केन्द्र पर परकार के एक सिरे को स्थिर रखते हुए पेंसिल वाली भुजा को चारों ओर घुमाइए।

वृत्त की परिसीमा (परिधि) पर स्थित सभी बिंदु वृत्त के केन्द्र से समान दूरी पर होते हैं।

दो प्रतिच्छेदी वृत्त

चरण 1: 4 सेमी की त्रिज्या वाला एक वृत्त खींचिए ।

चरण 2: 5 सेमी की त्रिज्या वाला एक वृत्त इस तरह खींचिए कि यह पहले वृत्त

से होकर गुजरे।

तीन संकेन्द्री वृत्त

संकेन्द्री वृत्त वे वृत्त होते हैं, जिनके केन्द्र बिंदु समान होते हैं, किंतु त्रिज्याएं भिन्न होती हैं।

चरण 1: केन्द्र बिंदु अंकित कीजिए तथा एक 2 सेमी की त्रिज्या वाला एक वृत्त खींचिए। 

चरण 2: उसी केंद्र बिंदु से 3 सेमी की एक भिन्न त्रिज्या वाला एक अन्य वृत्त खींचिए।

चरण 3: पुनः उसी केंद्र बिंदु से 4 सेमी की एक भिन्न त्रिज्या वाला एक अंतिम वृत्त खींचिए।

रेखाखण्ड की रचना

दो अंत बिंदुओं वाला एक रेखाखण्ड, एक रेखा का मापने योग्य हिस्सा होता है।

चरण 1: एक लंबी रेखा m खींचिए ।

चरण 2: इस पर एक बिंदु x अंकित कीजिए।

चरण 3: परकार को एक रूलर पर रखिए तथा इसे 5 सेमी की माप तक फैलाइए।

चरण 4: परकार के नुकीले सिरे को बिंदु x पर रखिए। रेखा पर स्थित एक बिंदु Y पर एक निशान बनाने के लिए पेंसिल वाली दूसरी भुजा को घुमाइए।

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हम उसी माप का एक दूसरा रेखाखण्ड बनाना चाहते हैं। रूलर का उपयोग किए बिना हम यह कैसे करेंगे?

चरण 1: PQ को मापने के लिए परकार का उपयोग करें।

चरण 2: एक लंबी रेखा l बनाएं। इस पर एक बिंदु S चिन्हित करें।

चरण 3: परकार के नुकीले सिरे को बिंद S पर रखें । रेखा पर बिंदु । चिन्हित करने के लिए पेंसिल वाली दूसरी भुजा को घुमाएं।

लंब खींचना

रेखा पर स्थित एक बिंदु से होकर

चरण 1: एक लंबी रेखा m की रचना कीजिए।

चरण 2: इस पर एक बिंदु A को चिन्हित कीजिए।

चरण 3: बिंदु A को केंद्र के रूप में लेकर तथा कोई भी त्रिज्या वाला एक चाप खींचिए, जो एक रेखा m को दो बिंदुओं C तथा D पर काटता है।

चरण 4: CA से अधिक लंबाई की त्रिज्या तथा C को केंद्र के रूप में लेकर पहले चाप के ऊपर

एक चाप खींचिए।

चरण 5: वही त्रिज्या तथा D को केंद्र के रूप में लेकर पहले चाप के ऊपर एक अन्य चाप खींचिए।

लब डालना

रेखा से बाहर स्थित एक बिंदु से होकर

चरण 1: एक लंबी रेखाए m खींचिए।

चरण 2: इसके ऊपर एक बिंदु A अंकित कीजिए।

चरण 3: किसी भी त्रिज्या तथा बिंदु A को केंद्र केरूप में लेकर एक रेखा m को दो बिंदुओं C

तथा D पर काटने वाला एक चाप खींचिए।

चरण 4: CD की लंबाई के आधे से अधिक त्रिज्या तथा C को केंद्र के रूप में लेकर पहले चाप के नीचे एक चाप खींचिए।

चरण 5: वही त्रिज्या तथा D को केंद्र के रूप में लेकर C पहले चाप के ऊपर एक अन्य चाप

खींचिए।

चरण 6: दोनों चापों के प्रतिच्छेदन बिंदु को E से अंकित कीजिए।

चरण 7: रूलर की सहायता से बिंदु E तथा बिंदु A को मिलाइए।

रेखाखण्ड के लंब समद्विभाजक की

रचना करना

एक रेखाखण्ड का एक लंब समद्विभाजक इसे समकोण पर प्रतिच्छेद करता है तथा उसे दो बराबर भागों में विभाजित करता है।

चरण 1: एक रेखाखण्ड XY खींचते हैं।

चरण 2: परकार पर XY की लंबाई के आधे से ज्यादा की एक त्रिज्या मापते हैं।

चरण 3: X को केंद्र बिंदु लेकर, रेखाखण्ड के नीचेऔर ऊपर एक चाप खींचते हैं।

चरण 4: Y को केंद्र बिंदु लेकर, रेखाखण्ड के नीचे और ऊपर एक दूसरा चाप खींचते हैं।

चरण 5: चाप के प्रतिच्छेदन बिंदुओं को A तथा B से अंकित कीजिए।

चरण 6: डिवाइडर से ox तथा OY को मापें ox=OY. 

चरण 7: कोणों XOB तथा YOB को मापिए।

XOB = YOB = 900.

अतः AB, XY का लंब समद्विभाजक है।

कोण के समद्विभाजक की रचना ।

एक कोण का समद्विभाजक इसे दो बराबर भागों में विभक्त करता है।

चरण 1: कोण AOB खींचिए।

चरण 2: 0 को केंद्र बिंदु मानते हुए, एक चाप खींचिए जो कोण की दो अर्द्धरेखाओं OA तथा

OB को क्रमशः P तथा Q पर काटता है।

चरण 3: PQ की आधी लंबाई से अधिक एक त्रिज्या को मापिए। मापी गई त्रिज्या के साथ तथा

P को केंद्र लेकर PQ के ऊपर एक चाप खींचिए।

चरण 4: वही त्रिज्या लेकर तथा Q को केंद्र लेकर, PQ के ऊपर एक दूसरा चाप खींचिए।

चरण 5: चाप के प्रतिच्छेदन बिंदु को C से अंकित 300 कीजिए। 0 तथा C को मिलाइए।

चरण 6: कोणों AOC तथा COB को मापिए।

कोण की प्रति की रचना

एक कोण की प्रति की रचना कैसे की जाती है, जिसकी माप हमें ज्ञात नहीं है?

चरण 1: कोई भी त्रिज्या लेकर तथा 0 को केंद्र मानते हुए, एक चाप खींचिए जो कोण की दो अर्द्धरेखाओं OA तथा OB को क्रमशः P तथा Q पर काटता है।

चरण 2: 1 लंबाई की एक रेखा खींचिए तथा उस पर एक बिंदु S अंकित कीजिए।

चरण 3: 00 त्रिज्या तथा S को केंद्र लेकर, एक चाप खींचिए, जो रेखा ! को T बिंदु पर काटता है।

चरण 4: PQ त्रिज्या लेकर तथा T को केंद्र मानते।हुए, एक चाप खींचिए जो पिछले चाप को

R पर काटे।

चरण 5: R से S को मिलाइए।

RST = AOB

30° का कोण

चरण 1: एक लंबी रेखा m खींचिए।

चरण 2: इस पर एक बिंदु Q अंकित कीजिए।

चरण 3: कोई भी त्रिज्या लेकर तथा Q को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो रेखा, m

को बिंदु R पर काटता है।

चरण 4: वही त्रिज्या लेकर तथा R को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो रेखा m को Q पर

काटता है।

चरण 5: चाप के प्रतिच्छेदन बिंदु को P से अंकित कीजिए।

चरण 6: P से Q को मिलाइए।

चरण 7: कोण को समद्विभाजित कीजिए।

चरण 8: कोणों PQS तथा SQR को मापिए।

∠SQR=300

60° का कोण

चरण 1: एक लंबी रेखा m खींचिए।

चरण 2: इस पर एक बिंदु Q अंकित कीजिए।

चरण 3: कोई भी त्रिज्या लेकर तथा Q को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो रेखा, m

को बिंदु R पर काटता है।

चरण 4: वही त्रिज्या लेकर तथा R को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो रेखा m को Q पर

काटता है।

चरण 5: चाप के प्रतिच्छेदन बिंदु को P से अंकित कीजिए।

चरण 6: P से Q को मिलाइए।

∠PQR=600

1200 का कोण

चरण 1: एक लंबी रेखा m खींचिए।

चरण 2: इस पर एक बिंदु Q अंकित कीजिए।

चरण 3: कोई भी त्रिज्या लेकर तथा Q को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो रेखा, m

को बिंदु R पर काटता है।

चरण 4: वही त्रिज्या लेकर तथा बिंद् R को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो पहले चाप

को बिंदु S पर काटता है।

चरण 5: वही त्रिज्या लेकर तथा बिंदु S को केंद्र मानकर, एक चाप खींचिए जो पहले चाप

को बिंदु P पर काटता है।

चरण 6: P से Q को मिलाइए।

∠PQR=1200

Diagram

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NCERT SOLUTIONS

प्रश्नावली 14.1 (पृष्ठ संख्या 284-286)

प्रश्न 1. निम्नलिखित छेद की हुई आकृतियों की प्रतिलिपियाँ बनाकर (खींच कर) उनमें से प्रत्येक की सममित रेखाएँ ज्ञात कीजिए:

Shape

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उत्तर-

प्रश्न 2. नीचे सममित रेखा (रेखाएँ) दी हुई हैं। अन्य छेद ज्ञात कीजिए।

Shape

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उत्तर-

Diagram

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प्रश्न 3. निम्नलिखित आकृतियों में, दर्पण रेखा (अर्थात् सममित रेखा) बिन्दुकित रेखा के रूप में दी गई है। बिन्दुकित (दर्पण) रेखा में प्रत्येक आकृति का परावर्तन करके, प्रत्येक आकृति को पूरा कीजिए।(आप बिन्दुकित रेखा के अनुदिश एक दर्पण रख सकते हैं और फिर प्रतिबिम्ब (image) के लिए दर्पण में देख सकते हैं)। क्या आपको पूरी की गई आकृति का नाम याद है?

उत्तर-

प्रश्न 4. निम्नलिखित आकृतियों की एक से अधिक सममित रेखाएँ हैं। ऐसी आकृतियों के लिए यह कहा जाता है कि इनकी अनेक सममित रेखाएँ हैं।

निम्नलिखित आकृतियों में से प्रत्येक में विविध सममित रेखाओं ( यदि हों तो), की पहचान कीजिए:

उत्तर-

(हल सहित आकृतियाँ निम्न प्रकार हैं-)

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प्रश्न 5. यहाँ दी गई आकृति की प्रतिलिपि बनाइए। किसी एक विकर्ण की सममित रेखा लीजिए तथा कुछ और वर्गों को इस तरह छायांकित कीजिए, कि यह आकृति इस विकर्ण के अनुदिश सममित हो जाए। क्या ऐसा करने की एक से अधिक विधियाँ हैं? क्या यह आकृति दोनों विकर्णों के अनुदिश सममित होगी?

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उत्तर- 

विकर्ण BD को सममित रेखा के रूप में लिया और कुछ और वर्गों को चित्रानुसार छायांकित किया जिससे यह इस कर्ण के .अनुदिश सममित हो जाए।

ऐसा करने के लिए केवल एक ही विधि है।

हाँ, यह आकृति दोनों विकर्णों के अनुदिश सममित होगी।

प्रश्न 6. निम्नलिखित आरेखों की प्रतिलिपियाँ बनाइए तथा प्रत्येक आकार को इस तरह पूरा कीजिए ताकि वह आकार दर्पण रेखा (या रेखाओं) के अनुदिश सममित हो:

उत्तर-

प्रश्न 7. निम्नलिखित आकृतियों के लिए सममित रेखाओं की संख्याएँ बताइए:

  1. एक समबाहु त्रिभुज
  2. एक समद्विबाहु त्रिभुज
  3. एक विषमबाहु त्रिभुज
  4. एक वर्ग
  5. एक आयत
  6. एक समचतुर्भुज
  7. एक समान्तर चतुर्भुज
  8. एक चतुर्भुज
  9. एक सम षड्भुज
  10. एक वृत्त

उत्तर-

आकृतिसममित रेखाओं की संख्या
(a) एक समबाहु त्रिभुज3
(b) एक समद्विबाहु त्रिभुज1
(c) एक विषमबाहु त्रिभुज0
(d) एक वर्ग4
(e) एक आयत2
(f) एक समचतुर्भुज2
(g) एक समान्तर चतुर्भुज0
(h) एक चतुर्भुज0
(i) एक सम षड्भुज6
(j) एक वृत्तअनन्त

प्रश्न 8. अंग्रेजी वर्णमाला के किन अक्षरों में निम्नलिखित के अनुदिश परावर्तन सममिति (दर्पण परावर्तन से सम्बन्धित सममिति) है:

  1. एक ऊर्ध्वाधर दर्पण
  2. एक क्षैतिज दर्पण
  3. ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दर्पण दोनों।

उत्तर-

  1. एक ऊर्ध्वाधर दर्पण में अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों में परावर्तन सममिति है :

A, H, I, M, O, T, U, V, W, X, Y

  1. क्षैतिज दर्पण के अनुदिश अंग्रेजी अक्षरों में | परावर्तन सममिति है :

B, C, D, E, H, I, KO और X

  1. अंग्रेजी अक्षरों में परावर्तन सममित दोनों ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दर्पणों के अनुदशि : H, I, O और X

प्रश्न 9. ऐसे आकारों के तीन उदाहरण दीजिए, जिनमें कोई सममित रेखा न हो।

उत्तर- सममित रेखा न होने वाले तीन आकारों के उदाहरण हैं:

  1. एक विषमबाहु त्रिभुज
  2. एक समान्तर चतुर्भुज
  3. एक अनियमित चतुर्भुज।

प्रश्न 10. आप निम्नलिखित आकृति की सममित रेखा के लिए अन्य क्या नाम दे सकते हैं?

  1. एक समद्विबाहु त्रिभुज
  2. एक वृत्त।

उत्तर- सममित रेखा का अन्य नाम:

  1. एक समद्विबाहु त्रिभुज में असमान भुजा के संगत शीर्षलम्ब या माध्यिका।
  2. एक वृत्त में वृत्त का व्यास

प्रश्नावली 14.2 (पृष्ठ संख्या 290)

प्रश्न 1. निम्नलिखित आकृतियों में से किन आकृतियों में  11  से अधिक क्रम की घूर्णन सममित है?

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उत्तर-

प्रश्न 2. प्रत्येक आकृति के घूर्णन सममिति का क्रम बताइए।

उत्तर-

  1. 2
  2. 2
  3. 3
  4. 4
  5. 4
  6. 5
  7. 6
  8. 3

प्रश्नावली 14.3 (पृष्ठ संख्या 291-292)

प्रश्न 1. किन्हीं दो आकृतियों के नाम बताइए, जिनमें रैखिक सममिति और क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति दोनों ही हों।

उत्तर- दो आकृतियाँ जिनमें रैखिक सममिति और क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति दोनों ही हों, वे हैं समबाहु त्रिभुज और एक वृत्त या आयत आदि।

प्रश्न 2. जहाँ सम्भव हो, निम्नलिखित की एक रफ आकृति खींचिए:

  1. एक त्रिभुज, जिसमें रैखिक सममिति और क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति दोनों ही हों।
  2. एक त्रिभुज, जिसमें केवल रैखिक सममिति हो और क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति न हो।
  3. एक चतुर्भुज जिसमें क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति हो, परन्तु रैखिक सममिति न हो।
  4. एक चुर्भुज जिसमें केवल रैखिक सममिति हो और क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति न हो।

उत्तर-

  1. प्रत्येक स्थिति की रफ आकृति निम्न है:
Shape, polygon

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प्रश्न 3. यदि किसी आकृति की दो या अधिक | सममित रेखाएँ हों, तो क्या यह आवश्यक है कि उसमें क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति होगी?

उत्तर- जब आकृति में दो या अधिक सममित रेखाएँ होती हैं तो आकृति में क्रम 1 से अधिक घूर्णन सममिति होती हैं।

प्रश्न 4. रिक्त स्थानों को भरिए

उत्तर-

प्रश्न 5. ऐसे चतुर्भुजों के नाम बताइए, जिनमें रैखिक सममिति और क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति दोनों ही हों।

उत्तर- वर्ग।

प्रश्न 6. किसी आकृति को उसके केन्द्र के परित 60° के कोण पर घुमाने पर, वह उसकी प्रारम्भिक स्थिति जैसी ही दिखाई देती है। इस आकृति के लिए ऐसे कौनसे अन्य कोणों के लिए भी हो सकता है?

उत्तर- ऐसे अन्य कोण होंगे : 120°, 180°, 240°, 300°, 360°

प्रश्न 7. क्या हमें कोई ऐसा क्रम 1 से अधिक की घूर्णन सममिति प्राप्त हो सकती है, जिसके घूर्णन के कोण निम्नलिखित हों?

  1. 45°
  2. 17°

उत्तर-

  1. हाँ
  2. नहीं।