अध्याय-10: विधुत धारा और इसके प्रभाव
विद्युत धारा
अगर एक टार्च बल्ब को एक तार द्वारा विद्युत परिपथ से जोड़ दिया जाए तो वह जल जाएगा क्योंकि विद्युत धारा में उर्जा होती है जिसे विद्युतीय उर्जा कहते हैं। विद्युत धारा विद्युतीय बल्बों को जला सकती है, पंखे चला सकती है, ताप उत्पादन द्वारा भोजन पका सकती है तथा बहुत-सारे तरीकों से हमारे उपयोग में लाई जा सकती है। विद्युतीय उर्जा, विद्युत-धारा की सर्वाधिक प्रयोग मे आने वाली उर्जाओं का रूप है जिसका घरेलू तथा औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।
विद्युत धारा के प्रभाव:
- विद्युत धारा का तापीय प्रभाव: जब एक विद्युत प्रवाह एक तार से होकर गुजरता है, तार गर्म हो जाता है। इसे विद्युत धारा के तापीय प्रभाव के रूप में जाना जाता है। जिसका उपयोग कई ताप अनुप्रयोगों में किया जाता है। जैसे: विद्युत हीटर, विद्युत स्त्री, प्रकाश बल्ब आदि।
- विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव: जब विद्युत धारा प्रवाह एक तार के माध्यम से बहता है यह इसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। इस प्रभाव को विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहा जाता है। विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के कई अनुप्रयोग होते हैं। जैसे: बिजली का लिफ्ट, बिजली की घंटी, बिजली का पंखा आदि।
विद्युत परिपथ
एक विद्युत परिपथ, विद्युत धारा के परिपथ के विभिन्न घटकों से प्रवाहित होने का एक निरंतर मार्ग है जो विद्युत के एक स्रोत से जुड़ा हुआ रहता है। विद्युत परिपथ के घटक हैं- बल्ब, तारें, कुंजी, शुष्क सेल, एमीटर, प्रतिरोधक आदि। एक साधारण विद्युत परिपथ, जिसे चित्र द्वारा दर्शाया गया है, खुला अथवा बंद परिपथ हो सकता है।
विद्युत फ्यूज
विद्युत फ्यूज एक विद्युतीय सुरक्षा उपकरण है जो अचानक उच्च विद्युत धारा के विद्युत परिपथ में प्रवाहित होने से परिपथ की क्षति से सुरक्षा प्रदान करता है। एक यंत्र, जिसे लघु परिपथ विच्छेदक कहते हैं, स्वत: ही परिपथ को बंद कर देता है जब विद्युत धारा का प्रवाह अधिकतम विशिष्ट सीमा को पार करता है। अत: चालक में जब विद्युत धारा का प्रवाह होता है तब ताप की उत्पत्ति, विद्युत प्रवाह के तापीय प्रभाव के कारण ही होती है।
परिनालिका
परिनालिका को एक खोखली बेलन के आकार की प्लास्टिक नली पर विद्युतरोधी तार लपेटकर बनाया जा सकता है। जब इसमें से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो यह चुम्बकीय गुणों को प्रदर्शित करती है।
जब किसी चीनी मिट्टी से बनी बेलनाकार नलिका जिसकी लम्बाई अधिक हो तथा त्रिज्या बहुत कम हो, पर ताँबे का तार लपेटा जाता है इस व्यवस्था को परिनालिका कहते है।
चीनी मिट्टी की बेलनाकार आकृति पर फेरे पास पास लपेटे जाते है अर्थात फेरों के मध्य जगह नहीं छोड़ी जाती है।
ऊपर दिखाया गया चित्र परिनालिका का है इसमें आप देख सकते है की एक चीनी मिट्टी की बनी हुई बेलनाकार आकृति पर तांबे का तार लम्बाई के अनुदिश लपेटा हुआ है।
जब किसी परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
जब किसी परिनालिका का सोलेनोइड में धारा I प्रवाहित की जाती है तो चित्रानुसार इसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
इस चुंबकीय क्षेत्र की दिशा समान होती है तथा बाहर के बिन्दुओ पर चुंबकीय क्षेत्र एक दूसरे का विरोध करते है यही कारण है की बाहरी बिंदुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान तुलनात्मक कम होता है।
ताम्बे के फेरे जितने ज्यादा पास पास होते है चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता जाता है , किसी भी आदर्श परिनालिका के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र सभी जगह समान माना जाता है तथा परिनालिका का बाहर शून्य माना जाता है।
विद्युत चुम्बक
विद्युत धारा के प्रभाव से जिस लोहे में चुंबकत्व उत्पन्न होता है, उसे विद्युत चुंबक (Electromagnet) कहते हैं। इसके लिये लोहे पर तार लपेटकर उस तार से विद्युत् धारा बहाकर लोहे को चुंबकित किया जा सकता है। (लोहे पर चुंबक रगड़कर लोहे को चुंबकीय किया जा सकता है जो विद्युत चुम्बकत्व नहीं है)
- ये विद्युतीय चुम्बकीय गुणों को तब तक प्रदर्शित करते हैं जब तक इनमें से विद्युत धारा प्रवाहित होती है। एक मुलायम लोहे पर
- अधिक संख्या मे तार लपेटकर इसे बनाया जा सकता है। विद्युत चुम्बकों का प्रयोग अस्पतालों में आँखों की समस्याओं को दूर करने तथा स्टील कार्य में क्रेनों और भारी बोझ उठाने के लिए क्रैपयार्ड में किया जाता है।
विद्युत चुंबक के प्रकार
- धात्विक तत्त्व चुम्बक (जैसे लोहे के कुछ अयस्क , कोबाल्ट, निकल आदि)
- मिश्र या कम्पोजिट (फेराइट चुम्बक, एल्निको चुम्बक)
- विरल मृदा चुम्बक (समेरियम-कोबल्ट चुम्बक, निओडिमियम-आइरन-बोरॉन चुम्बक)
- एकल-अणु चुम्बक तथा एकल-शृंखला चुम्बक
- नैनो-संरचना चुम्बक
- अस्थायी चुम्बक
विद्युत घंटी
विद्युत घंटी की कार्यशैली विद्युत चुम्बक के प्रभाव के सिद्धांत पर आधारित है। विद्युत घंटी के बटन को दबाते ही, जैसे ही परिपथ पूर्ण होता है, धारा प्रवाहित होना आरंभ कर देती है, इससे मुलायम लौह आर्मेचर विद्युत-चुम्बक की ओर आकर्षित हो जाती है जिसके फलस्वरूप हथौड़ा घंटी पर आघात करता है। जैसे ही यह होता है, परिपथ बिदु ‘क’ पर टूट जाता है और धारा का प्रवाह बंद हो जाता है। विद्युत चुम्बक अपनी चुम्बकीय शक्ति को खो देता है। यह प्रक्रिया पुन: आरंभ होती है जैसे ही स्प्रिंग, आर्मेचर को विद्युत चुम्बक के संपर्क में आने के लिए पुन: खींचता है।
ऐमीटर
ऐमीटर या ‘एम्मापी’ (ammeter या AmpereMeter) किसी परिपथ की किसी शाखा में बहने वाली विद्युत धारा को मापने वाला यन्त्र है। बहुत कम मात्रा वाली धाराओं को मापने के लिये प्रयुक्त युक्तियोंको “मिलिअमीटर” (milliameter) या “माइक्रोअमीटर” (microammeter) कहते हैं।
यह एक उपकरण है जिसका उपयोग परिपथ में धारा को मापने के लिए किया जाता है। यह आमतौर पर एक परिपथ में श्रेणी में जुड़ा होता है। वाल्टमीटर: यह विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विद्युत विभवांतर को मापने के लिए उपयोग किया जाने वाला उपकरण है।
एमीटर का कार्य सिद्धांत
मुख्य एमीटर का सिद्धांत यह है कि इसका प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए और आगमनात्मक प्रतिक्रिया भी कम होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त बहुत कम प्रतिबाधा के कारण बिजली की हानि कम होगी तथा यदि यह समानांतर में जुड़ा हुआ है तो यह लगभग एक छोटा सर्कुलेटेड मार्ग बन जाता है और सभी करंट एमीटर के माध्यम से प्रवाहित होंगे क्योंकि उच्च धारा के परिणामस्वरूप यह उपकरण जल सकता है। तो इस कारण से इसे श्रृंखला में जोड़ा जाना चाहिए। एक आदर्श एमीटर के लिए, यह शून्य प्रतिबाधा होना चाहिए ताकि इसके पार शून्य वोल्टेज ड्रॉप हो जाए ताकि साधन में बिजली की हानि शून्य हो।
एमीटर के प्रकार
एमीटर का वर्गीकरण उसके डिजाईन तथा उससे प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के आधार पर किया जाता है। एमीटर को निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है :-
- PMMC एमीटर
- मूविंग आयरन एमीटर
- इलेक्ट्रो डाइनोमीटर एमीटर
- रेक्टिफायर टाइप एमीटर
PMMC (Permanent Magnet Moving Coil) एमीटर –
इसमें चुंबक का उपयोग करके चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण किया जाता है। घुमने वाली Coil को इस चुम्बकीय क्षेत्र के अंदर रखा जाता है। पॉइंटर इस Coil से जुड़ा हुआ होता है। जब Coil में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तब इसका अपने साम्य अवस्था (rest Position) से Deflect होने लगता है जिससे इससे जुडा हुआ पॉइंटर भी स्केल पर घूमता है। Coil में पैदा होने वाला डिफ्लेक्शन उसमे बहने वाली विद्युत धारा पर निर्भर करता है। PMMC एमीटर का उपयोग केवल DC करंट का मापन करने के लिए किया जाता है।
मूविंग आयरन एमीटर –
यह एक विशेष प्रकार का विद्युत मापन यन्त्र होता है। मूविंग आयरन अमीटर का उपयोग डीसी तथा AC दोनों प्रकार के विद्युत धारा मापने के लिए किया जाता है। मूविंग आयरन अमीटर में एक सॉफ्ट आयरन का टूकडा जो की पॉइंटर से जुड़ा हुआ होता है, को चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करने वाले Coil बीच में एक घुमने वाले सिस्टम की मदद से लटका रहता है। जिस विद्युत धारा को मापना होता है उसे चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाले Coil से जोड़ते है। जब विद्युत धारा Coil में प्रवाहित की जाती है तब यह एक विद्युत चुंबक की तरह कार्य करने लगता है जिससे सॉफ्ट आयरन का टूकडे में डिफ्लेक्शन होने लगता है और इससे जुड़ा हुआ पॉइंटर स्केल पर रीडिंग देने लगता है।
इलेक्ट्रो डाइनोमीटर एमीटर –
यह भी एक विशेष प्रकार का विद्युत का मापन करने वाला यन्त्र होता है। इस एमीटर का उपयोग भी डीसी तथा एसी दोनों प्रकार के विद्युत धारा का मापन करने के लिए किया जाता है। इसमें दो प्रकार के Coil इस्तेमाल किये जाते है। इन दोनों Coil में से एक Coil फिक्स्ड होता है तथा दूसरा घुमने के लिए मुक्त रहता है। फिक्स्ड Coil एमीटर में चुंबकीय क्षेत्र बनाता है तथा दूसरा घूर्णन करने वाला Coil इस बनाये गये चुंबकीय क्षेत्र में घूमता है। इस मुक्त Coil को पॉइंटर से जोड़ा जाता है। जिस विद्युत धारा का मापन करना होता है उसे फिक्स्ड Coil में प्रवाहित कर दिया जाता है जिससे इसमें एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है। इस प्रकार उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र जब घुमने वाले Coil से जोड़ता करता है तब उसमे एक वोल्टेज उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार उत्पन्न वोल्टेज के कारण इस Coil में भी विद्युत धारा का प्रवाह होने लगता है और इस विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र प्रमुख चुंबकीय क्षेत्र से दूर जाने लगता है जिससे पॉइंटर में डिफ्लेक्शन होने लगता है और स्केल पर रीडिंग देने लगता है।
रेक्टिफायर टाइप एमीटर –
इसके द्वारा केवल AC विद्युत धारा का मापन किया जाता है। इसमें सबसे पहले AC विद्युत धारा को Rectifier द्वारा DC में परिवर्तित किया जाता है और फिर से उसे PMMC या दुसरे किसी एमीटर के द्वारा मापा जाता है। Rectifier एमीटर में दो प्रकार के विद्युत सर्किट का उपयोग होता है। पहला सर्किट AC विद्युत धारा को DC विद्युत धारा में परिवर्तित करता है तथा दुसरा सर्किट उस DC विद्युत धारा को PMMC से मापता है।
प्रतिरोधक
प्रतिरोधक (resistor) दो सिरों वाला वैद्युत अवयव है जो विद्युत परिपथ में बहने वाली विद्युत धारा का अवरोध करता है। प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर उससे बहने वाली तात्कालिक धारा के समानुपाती होता है। ये विभिन्न आकार-प्रकार के होते हैं। इनसे होकर धारा बहने पर इनके अन्दर उष्मा उत्पन्न होती है। कुछ प्रतिरोधक ओम के नियम का पालन करते हैं जिसका अर्थ है कि –
V = IR
विभव
विभव की परिभाषा, ” किसी भी एकांक या इकाई धनावेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु तक विद्युत बल के विरुद्ध लाने के लिए किया गया आवश्यक कार्य को उस बिंदु पर विद्युत विभव कहलाता है।”
या
“वो कार्य जो कि यूनिट या एकांक धनावेश को अनंत से किसी विद्युत क्षेत्र में विद्युत बल के विपरीत किसी बिंदु तक लाने में किया जाता है, विभव कहलाता है।” विद्युत विभव (Electric Potential) को V से प्रदर्शित करते हैं।
माना कि Q आवेश द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में एकांक चार्ज को लाने में किया गया कार्य W है,
Electric Potential या विद्युत विभव =कार्य (W)विद्युत आवेश Q
विभव का सूत्र V=WQ
विद्युत विभव का SI मात्रक = जूलकूलोम या वोल्ट
विभवान्तर
किन्हीं दो बिन्दुओं के विद्युत विभवों के अंतर को विभवान्तर (पोटेन्शियल डिफरेन्स) या ‘वोल्टता’ (voltage) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इकाई धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर कहते हैं। विभवान्तर को वोल्टमापी द्वारा मापा जाता है।
विभवान्तर की परिभाषा, ”विद्युत क्षेत्र में किसी एकांक धनावेश को एक बिंदु A से दुसरे बिंदु B तक विद्युत बल के विरुद्ध ले जाने में किया गया कार्य उन दोनों बिन्दुवों के बीच का विभवान्तर कहलाता है.”
Formula for Electric Potential:-
VA-VB=WA-WBQ
जहाँ, VA = विद्युत क्षेत्र में बिंदु A का विभव, WA = बिंदु A तक लाने में किया गया कार्य
VB = विद्युत क्षेत्र में बिंदु B का विभव , WB = बिंदु B तक लाने में किया गया कार्य
विद्युत विभवान्तर का मात्रक = जूल प्रति कूलोम या वोल्ट
विभवान्तर मापने का यंत्र – वोल्टमीटर (Voltmeter)
विमीय सूत्र = ML2T-3A-1
विद्युत चालक
वे पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते हैं, विद्युत चालक कहलाते हैं, जैसे लोहा, ताँबा, मानव शरीर, चाँदी, ऐलुमिनियम आदि।
ऐसा पदार्थ जिसमें से इलेक्ट्रॉन या करंट आसानी से प्रवाह हो सके उसे चालक कहते हैं जैसे कि एलुमिनियम कोपर लोहा इत्यादि ऐसे पदार्थ हैं जिनमें से बहुत ही आसानी से करंट प्रवाह हो सकता है और इन्हें करंट को प्रवाह करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
चालक को इसके आकार के अनुसार अलग अलग 3 श्रेणियों में रखा गया है .
- ठोस चालक (Solid Conductor) :- सोना, चांदी,तांबा, एल्मुनियम इत्यादि
- तरल चालक (Liquid Conductor) :- पारा, सल्फ्यूरिक एसिड, अमोनियम क्लोराइड, कॉपर सल्फेट इत्यादि
- गैसीय चालक (Gaseous Conductor ) :- नियोन , हीलियम ,ऑर्गन इत्यादि
विद्युतरोधी
विद्युतरोधी (Insulator) वे पदार्थ होते हैं जो तुलनात्मक रूप से विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करते हैं या जिनमें से होकर समान स्थितियों में बहुत कम धारा प्रवाहित होती है। लकड़ी (सूखी हुई), बैकेलाइट, एस्बेस्टस, चीनी मिट्टी, कागज, पीवीसी आदि कुचालकों के कुछ उदाहरण हैं।
- विद्युत्रोधी में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अभाव रहता है।
- Insulator के इलेक्ट्रॉन मूल नाभिक से दृढतापूर्वक बँधे रहते हैं।
- अत: बाह्य विद्युत् क्षेत्र लगाने पर गतिशील नहीं हो पाते।
- लकड़ी, रबर, काँच आदि विद्युत्रोधी हैं।
- जब किसी चालक को रगड़ा जाता है, तो रगड़ने से उत्पन्न आवेश शरीर से होता हुआ पृथ्वी में चला जाता है।
- अत: चालक को रगड़ने पर उसमें कोई आवेश उपस्थित नहीं रहता।
- फलस्वरूप 18वीं शताब्दी के पहले चालकों को अविद्युतीय (Non-Electric) कहा जाता था।
- इसके विपरीत जब विद्युत्रोधी को रगड़ा जाता है तो रगड़ने से उत्पन्न आवेश उसमें विद्यमान रहता है।
- अतः विद्युत्रोधी पदार्थों को परावैद्युत (Dielectric) कहा जाता था।(चालक और विद्युतरोधी)
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 179-181)
प्रश्न 1 विद्युत् परिपथों में निम्नलिखित अवयवों को निरूपित करने वाले प्रतीक अपनी नोटबुक पर खिचिए: संयोजक तार, स्विच ‘ऑफ’ की स्थिति में, विद्युत् सेल, स्विच ‘ऑन’ की स्थिति में तथा बैटरी |
उत्तर-
प्रश्न 2 चित्र 14.21 में दर्शाए गए विद्युत् परिपथ को निरूपित करने के लिए परिपथ आरेख खिचिए |
उत्तर-
प्रश्न 3 चित्र 14.22 में चार सेल दिखाए गए हैं | रेखाएँ खिचांकर यह निर्दिष्ट कीजिए की चार सेलों सेलों के टर्मिनलों को तारों द्वारा संयोजित करके आप वितरी कैसे बनाएगें?
उत्तर- सेलों से बैटरी बनाने के लिए, एक सेल का धन टर्मिनल (+) हमेशा सेल के ॠण टर्मिनल (-) से जुंडा होना चाहिए |
प्रश्न 4 चित्र 14.23 में दर्शाए गए परिपथ में बल्ब दीप्त नहीं हो पा रहा हैं | क्या आप इसका कारण पता लगा सकते हैं? परिपथ में आवश्यक परिवर्तन करके बल्ब को प्रदीप्त कीजिए |
उत्तर- एक सेल का धन टर्मिनल (+) हमेशा दूसरे सेल के ॠण टर्मिनल (-) से जुडा होता हैं | यहाँ दो धन टर्मिनल एक दूसरे से जुड़े हुए हैं | सही परिपथ इस प्रकार हैं-
प्रश्न 5 विद्युत् धारा के किन्ही दो प्रभावों के नाम लिखिए |
उत्तर-
विद्युत् धारा का तापीय प्रभाव: जब एक विद्युत् प्रवाह एक तार से होकर गुजरता हैं, तार गर्म हो जाता हैं | इसे विद्युत् धारा के तापीय प्रभाव के रूप में जाना जाता हैं | जिसका उपयोग कोई ताप अनुप्रयोंगों में किया जाता हैं |
जैसे: विद्युत् हीटर, विद्युत् स्त्री, प्रकाश बल्ब आदि |
विद्युत् धारा का चुबंकीय प्रभाव: जब विद्युत् धारा प्रवाह एक तार के माध्यम से बहता हैं यह इसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता हैं | इस प्रभाव को विद्युत् धारा का चुंबकीय प्रभाव कहा जाता हैं | विद्युत् धारा के चुंबकीय प्रभाव के कई अनुप्रयोग होते हैं |
जैसे : बिजली का लिफ्ट, बिजली कि घंटी, बिजली का पंखा आदि |
प्रश्न 6 जब किसी तार प्रवाहित करने के लिए स्विच को ‘ऑन’ करते हैं, तो तार के निकट रखी चुंबकीय सुई अपनी उत्तर – दक्षिण स्थिति से विक्षेपित हो जाती हैं | स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- विद्युत् धारा ले जाने वाल तार अपने चारों और चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता हैं | जब इस तार के पास चुंबकीय सुई राखी जाती हैं, दो चुंबकीय क्षेत्र (चुंबकीय सुई के कारण और विद्युत् धारा के कारण चुबंकीय क्षेत्र और विद्युत् धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र) एक दूसरे से सपर्कं में आते हैं और चुंबकीय सुई में विक्षेपण उत्पन्न हो जाता हैं जब विद्युत् धरा स्विच ऑफ हो जाती हैं, तार द्वारा चुंबकीय क्षेत्र निर्मिंत नहीं होता हैं, चुंबकीय सुई अपने उत्तर – दक्षिण की स्थिति से विचलित नहीं होती हैं |
प्रश्न 7 यदि चित्र 14.24 मरण दर्शाए गए विद्युत् परिपथ में स्विच को ‘ऑफ’ किया जाए, तो क्या चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाएगी |
उत्तर- नहीं, चुंबकीय सुई स्विच बंद होने पर विक्षेप नहीं दिखाएंगी, क्योंकि विद्युत् प्रवाह का कोई स्रोत (बैटरी का सेल) नहीं हैं | यहाँ एक सेल या बैटरी को जोड़ने कि जरूरत हैं | विद्युत् प्रवाह कि अनुपस्थिति में, तारों द्वारा कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं हैं | इसलिए, चुंबकीय सुई कोई विक्षेप नहीं दर्शाएगी |
प्रश्न 8 रिक्त स्थानों कि पूर्ति कीजिए:
- विद्युत् सेल के प्रतीक में लंबी रेखा, उसके _______ टर्मिनल को निरूपित करती हैं
- दो या अधिक विद्युत् सेलों के संयोजन को ________ कहते हैं |
- जब किसी विद्युत् हीटर के स्विच को ‘ऑन’ करते हैं, तो इसका _______ रक्त तप्त (लाल) हो जाता हैं |
- विद्युत् धारा के तापीय प्रभाव पर आधारित सुरक्षा युक्ति को ________ कहते हैं |
उत्तर-
- धन
- बैटरी
- अवयव
- फ्यूज
प्रश्न 9 निम्नलिखित कथनों पर सत्य अथवा असत्य अंकित कीजिए:
- दो सेलों कि बैटरी बनाने के लिए एक सेल के ॠण टर्मिनल को दूसरे सेल के ॠण टर्मिनल से संयोजित करते हैं | ( सत्य/असत्य )
- जब किसी फ्यूज में से किसी निश्चित सीमा से अधिक विद्युत् धारा प्रवाहित होती हैं, तो वह पिघलाकर टूट जाता हैं ( सत्य/असत्य )
- विद्युत् चुंबक, चुंबकीय पदार्थ को आकषित नहीं करता | ( सत्य/असत्य )
- विस्युत घंटी में विद्युत् चुंबक होता हैं | (सत्य/असत्य )
उत्तर-
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
प्रश्न 10 क्या विद्युत् चुंबक का उपयोग किसी कचरे के ढेर से प्लास्टिक को पृथक करने के लिए किया जा सकता हैं? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- विद्युत् चुंबक, एक चुंबक कि तरह हैं और यह केवल लोहे के टुकड़ों को आकर्षित कर सकता हैं | प्लास्टिक में कोई चुंबकीय गुण नहीं होता हैं, इसलिए कचरे के ढेर से प्लास्टिक की थैलियों को अलग करने के लिए विद्युत् चुंबक का उपयोग नहीं किया जा सकता हैं |
प्रश्न 11 मान लीजिए कि कोई विद्युत् मिस्त्री आपके घर के विद्युत् परिपथ में कोई मरम्मत कर रहा हैं | वह तांबे के एक तार को फ्यूज के रूप में उपयोग करना चाहता है | क्या अप उससे सहमत होंगे? अपने उत्तर: के लिए कारण दीजिए |
उत्तर- फ्यूज एज ऐसा उपकरण हैं जो हमारे सभी विद्युत् उपकरणों के लिए सुरक्षा कवच हैं | वे विशेष सामग्री से बने होते हैं | जब सामान्य से अधिक विद्युत् धारा इस से गुजरती हैं जो यह टूट जाती हैं | यदि विद्युत् मिस्त्री उचित फ्यूज तार का उपयोग नहीं करता हैं, इसका बजे वह फ्यूज के रूप में किसी भी साधारण बिजली के तार का उपयोग करता हैं, तो अत्यधिक धार के प्रवाह के कारण तारों के गर्म होने का खतरा बढ़ जाता हैं | इसलिए मानक फ्यूज तार का उपयोग करने कि सलाह दी जाती हैं या MCBs का उपयोग विद्युत् दुर्घटनाओं को रोकने को किया जाता हैं |
प्रश्न 12 जुबैदा ने चित्र 14.4 में दर्शाए अनुसार एक सेल होल्डर बनाया तथा इसे एक स्विच और बल्ब से जोड़कर कोई विद्युत् परिपथ बनाया | जब उसने स्विच को ‘ऑन’ कि स्थिति में किया, तो बल्ब दीप्त नहीं हुआ | परिपथ में संभावित दोष को पहचानने में जुबैदा कि सहायता कीजिए |
उत्तर- संभावित कारण इस प्रकार हैं:
- बल्ब फ्यूज हो सकता है या ख़राब हो सकता हैं |
- सेल ठीक से जुडी नहीं हैं |
- ढीले कनेक्शन हो सकते हैं |
- स्विच अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा हो |
- सेल की शाक्ति समाप्त हो गई हैं |
प्रश्न 13 चित्र 14.25 में दर्शाए गए विद्यूत परिपथ में-
- जब स्विच ‘ऑफ’ कि स्थिति में हैं, तो क्या कोई भी बल्ब दीप्त होगा?
- जब स्विच को ‘ऑन’ कि स्थिति में लाते हैं, तो बल्बों A, B तथा C के दीप्त होने का कर्म क्या होगा?
उत्तर-
- स्विच ‘ऑफ’ होने कि स्थिति पर कोई भी बल्ब नहीं जलेगा, चूंकि विद्युत् परिपथ बंद नहीं हैं |
- जब स्विच को ‘ऑन’ स्थिति में ले जाया जाता हैं, परिपथ पूरा हो जाएगा और सभी बल्ब एक साथ दीप्त हो जायेगें |
