अध्याय-1: पूर्णांक

पूर्णांक

पूर्ण संख्या, धनात्मक प्राकृतिक संख्या, ऋणात्मक प्राकृतिक संख्या तथा शून्य के समूह को कहते हैं -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3. सभी धनात्मक एवं ऋणात्मक संख्याओं को पूर्णांक संख्या कहते हैं। किसी संख्या रेखा पर पूर्णांकों का विश्लेषण:

  1. एक धनात्मक पूर्णांक को जोड़ते हैं, तो दार्इं ओर चलते हैं।
  2. एक ऋणात्मक पूर्णांक को जोड़ते हैं, तो बार्इं ओर चलते हैं।
  3. एक धनात्मक पूर्णांक को घटाते हैं, तो बार्इं ओर चलते हैं।
  4. एक ऋणात्मक पूर्णांक को घटाते हैं, तो दार्इं ओर चलते है।

पुनरावलोकन

  • अद्वितीय गुणनखंडनरू पुनरावलोकन

एक से बड़े किसी भी धन पूर्णांक को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में लिखने की प्रक्रिया से हमलोग प्रारंभिक कक्षा में ही परिचित हो जाते हैं अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में यह निरूपण उस संख्या का अभाज्य गुणनखंडन कहलाता है यह निरूपण अद्वितीय भी होता है यदि अभाज्य गुणनखंडों के क्रम को महत्त्व न दिया जाएण् इस तथ्य को अंकगणित का मूलभूत प्रमेय के नाम से जाना जाता है इस प्रमेय का स्पष्ट कथन नीचे दिया गया है इस प्रमेय की उपपत्ति और इससे संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए अंकगणित का मूलभूत प्रमेय नामक लेख पढ़ें.

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प्रमेय (अंकगणित का मूलभूत प्रमेय) प्रत्येक धन पूर्णांक n > 1 को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

n=p1e1pkek,

जहाँ p1,…,pk भिन्न – भिन्न अभाज्य संख्याएँ हैं और e1,…,ek धन पूर्णांक हैंण् यदि इस निरूपण में अभाज्य गुणनखंडों के क्रम को महत्त्व न दिया जाये तो यह निरूपण अद्वितीय होता है.

यदि आप अंकगणित के मूलभूत प्रमेय को ध्यान से पढ़ेंगे, तो आप पाएँगे कि इस प्रमेय में धन पूर्णांको के अभाज्य गुणनखंडन पर चर्चा की गई है| अर्थात हमें अभाज्य गुणनखंडन पर चर्चा करने से पहले संख्याओं का एक नियत समुच्चय होना चाहिए और साथ ही उस समुच्चय में अभाज्य संख्याओं की एक सुनिश्चित परिभाषा होनी चाहिए इन संकल्पनाओं से हम अच्छी तरह परिचित हैं, जानकारी के लिए अभाज्य संख्याएँ नामक लेख देखें अब हम संख्याओं के एक नए समुच्चय पर विचार करेंगे और इस समुच्चय में अभाज्य संख्याओं को पहले की ही तरह परिभाषित करेंगे हमारा नया समुच्चय है – 3n + 1 के रूप में व्यक्त किये जा सकने वाला धन पूर्णांक इसे आप 3n + 1 में n = 0,1,2,3, इत्यादि रखकर ज्ञात कर सकते हैं इस प्रकार हमारा समुच्चय है| S = { 1,4,7,10,13,16,19,22,…}. ध्यान दीजिए कि यह समुच्चय गुणन संक्रिया के सापेक्ष संवृत है अर्थात इस समुच्चय के किन्हीं भी दो संख्याओं का गुणनफल भी इस समुच्चय का अवयव होता है क्या आप इसे प्रमाणित कर सकते हैं| पहले स्वयं प्रयास करें और सफलता नहीं मिलने के बाद ही नीचे के बॉक्स को प्रसारित करके देखें|

  • 3x + 1 के रूप की दो संख्याओं का गुणनफल >>>

परन्तु यह समुच्चय योग संक्रिया के सापेक्ष संवृत नहीं है क्योंकि आप इस समुच्चय के किन्हीं भी दो अवयवों का योगफल इस समुच्चय के अवयव नहीं हैं उदाहरण के लिए 1 + 4 = 5 परन्तु 5 इस समुच्चय का अवयव नहीं है व्यापक रूप में, यदि 3x + 1 और 3y + 1 इस समुच्चय के दो अवयव हों तो इनका योगफल (3x + 1) + (3y + 1) = 3(x + y) + 2 है, जो विचाराधीन समुच्चय का अवयव नहीं है, क्योंकि यह 3n + 1 के रूप का नहीं है|

अब हम इस समुच्चय में अभाज्य संख्याओं को परिभाषित करेंगे धन पूर्णांकों के समुच्चय में अभाज्य संख्याओं की परिभाषा याद कीजिए, वही परिभाषा यहाँ भी है, विस्तृत जानकारी के लिए अभाज्य संख्याएँ नामक लेख देखें, समुच्चय S में किसी संख्या n > 1 को अभाज्य संख्या कहा जाता है, यदि S में इस संख्या के गुणनखंड 1 और केवल n हों, उदाहरण के लिए समुच्चय S में 4,7,10,13, इत्यादि अभाज्य संख्याएँ हैं ध्यान दीजिये कि यहाँ 4 और 10 भी अभाज्य संख्याएँ हैं, परन्तु ये संख्याएँ धन पूर्णांकों के समुच्चय {1,2,3,4,5,…} में अभाज्य संख्याएँ नहीं हैं ध्यान दीजिये कि 4 और 10 के गुणनखंडन 4 = 2 × 2 और 10 = 2 × 5 इस समुच्चय में मान्य नहीं हैं क्योंकि गुणनखंडन में प्रयुक्त संख्याएँ 2 और 5 समुच्चय S के अवयव नहीं हैं अब 16 के गुणनखंडन 16 = 4 × 4 पर विचार कीजिए. यह गुणनखंडन इस समुच्चय में मान्य है, क्योंकि गुणनखंडन में प्रयुक्त संख्या 4 समुच्चय S का अवयव है| अतः 16 के 1 और 16 के अतिरिक्त एक अन्य गुणनखंड 4 है| इसलिए 16 समुच्चय S में अभाज्य संख्या नहीं है|

इस समुच्चय के अभाज्य संख्याओं से परिचित हो जाने के बाद आइए, अब हम इस समुच्चय में एक ऐसी संख्या खोजते हैं, जिसके दो अलग – अलग अभाज्य गुणनखंडन हैं| ऐसी ही एक संख्या 100 है| यह समुच्चय S का अवयव है, क्योंकि हम 100 = 3 × 33 + 1 लिख सकते हैं| अब आप आसानी से देख सकते हैं कि S में इसके दो अभाज्य गुणनखंडन निम्नलिखित हैं-

100 = 10 × 10,

और

100 = 4 × 25

ध्यान रखें कि 4,10 और 25 समुच्चय S में अभाज्य हैं इस प्रकार हम देखते हैं कि अभाज्य गुणनखंडन की अद्वितीयता विचाराधीन समुच्चय पर निर्भर करता हैं क्योंकि समुच्चय S में पर्याप्त धन पूर्णांक नहीं हैं अतः कुछ संख्याओं का पुनः गुणनखंडन संभव नहीं हो पाता है अतः कुछ वैसी संख्याएँ जो धन पूर्णांकों के समुच्चय में अभाज्य नहीं हैं इस समुच्चय S में अभाज्य बने रहते हैं|

पूर्णांकों के योग

  • योग के अंतर्गत संवृत

दो पूर्ण संख्याओं का योग पुन: एक पूर्ण संख्या ही होती है।

उदाहरण: 17 + 24 = 41 है, जो कि पुन: एक पूर्ण संख्या है। यह गुण पूर्ण संख्याओं के योग का संवृत गुण कहलाता है।

  • व्यवकलन के अंतर्गत संवृत

पूर्णांक व्यवकलन के अंतर्गत संवृत होते हैं। अत:, यदि a और b दो पूर्णांक हैं, तो a – b भी एक पूर्णांक होता है।

  • क्रमविनिमेय गुण

3 + 5 = 5 + 3 = 8 है, अर्थात्‌ दो पूर्ण संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ा जा सकता है । दूसरे शब्दों में, पूर्ण संख्याओं के लिए योग क्रमविनिमेय होता है। इसी कथन को हम पूर्णांकों के लिए भी कह सकते हैं हम पाते हैं कि 5 + (- 6) = -1 और (- 6) + 5 = -1 है। इसलिए 5 + (- 6) = (- 6) + 5 है।

  • साहचर्य गुण

पूर्णांकों के लिए योग सहचारी (associative) होता है। व्यापक रूप में, पूर्णांकों a, b और c के लिए हम कह सकते हैं कि

a + (b + c) = (a + b) + c

पूर्णाकों का गुणन

  1. दो धनात्मक पूर्णाकों का गुणनफल भी एक धनात्मक पूर्णांक होता है।

a x b = ab

  1. एक धनात्मक पूर्णांक या एक ऋणात्मक पूर्णांक को शून्य से गुणा करने पर गुणनफल शून्य होता है।

a x 0 = 0, -b x 0 = 0

  1. एक धनात्मक पूर्णांक और एक ऋणात्मक पूर्णांक को गुणा करने पर गुणनफल ऋणात्मक होता है

+a x – b = – ab

  1. दो ऋणात्मक संख्याओं का गुणनफल हमेशा धनात्मक होता है।

-a x –b = + ab

पूर्णांकों का विभाजन

  1. पूर्ण संख्याओं के लिए भाग क्रम विनिमेय नहीं है।

9 ÷ 3 ≠ 3 ÷ 9

  1. पूर्ण संख्याओं की तरह, किसी भी पूर्णांक को शून्य से भाग करना अर्थहीन है और शून्येतर पूर्णांक से शून्य को भाग देने पर शून्य प्राप्त होता है, अर्थात्‌ किसी भी पूर्णांक a के लिए a ÷ 0 परिभाषित नहीं है । परंतु 0 ÷ a = 0, a ≠ 0 के लिए है।
  2. जब हम किसी पूर्ण संख्या को 1 से भाग देते हैं, तो हमें वही पूर्ण संख्या प्राप्त होती है ।

a ÷ 1 = a

यह ऋणात्मक पूर्णांकों के लिए भी सत्य है।

(– 8) ÷ 1 = (– 8)

योज्य तत्समक

तत्समक दो होते है गुणन और योज्य तत्समक प् गुणन तत्समक 1 होता है गुणन तत्समक वह संख्या होती है जिससे किसी संख्या को गुणा करने पर वही संख्या प्राप्त होती है प् और योज्य तत्समक 0 होता है योज्य तत्समक के साथ किसी संख्या को जोड़ने पर वही संख्या प्राप्त होती है|

तत्समक नियम क्या है?

तत्समक गुणनधर्म यह कहता है की यदि किसी भी संख्या का 1 से गुणन किया जाये तो वो अपनी पहचान बनाये रखती है। दूसरे शब्दों मेंए किसी भी संख्या का 1 से गुणा करने पर हमें वही संख्या वापस मिल जाती है। इसका कारण यह है की किसी भी संख्या का 1 से गुणा करने का मतलब है की हमारे पास उस संख्या की एक प्रतिलिपि है।

गुणात्मक तत्समकता क्या है?

इसे गुणन का पहचान गुण भी कहा जाता है क्योंकि संख्या की पहचान समान रहती है। जब एक गुणक पहचान संख्या को एक परिमेय से गुणा किया जाता है तो यह वही रहता है। इसका अर्थ है कि यह परिमेय संख्याओं के साथ गुणक पहचान संख्याओं के गुण का अनुसरण करता है।

योज्य तत्समक कितना होता है?

परिमेय संख्या 0 परिमेय संख्याओं के लिए योज्य तत्समक होता है। परिमेय संख्या 1 परिमेय संख्याओं के लिए गुणन तत्समक होता है। a C • परिमेय संख्या का व्युत्क्रम या गुणन प्रतिलोम होता है, यदि a C X = 1 हो।

योज्य तत्समक का मतलब क्या होता है?

गणित में किसी समुच्चय के योग का तत्समक अवयव वह अवयव है जिसको उस समुच्चय के किसी अवयव x में जोड़ने पर x ही प्राप्त होता है।

तत्समक का मतलब क्या होता है?

गणित में तत्समक फलन जिसे तत्समक सम्बंधए तत्समक प्रतिचित्र या तत्समक रूपांतरण भी कहते हैं वह फलन है जो निविष्ट मान को वैसा ही निर्गम करता है जैसा तर्क में काम में लिया गया है। समीकरण के रूप में यह फलन f(X) = X के रूप में दिया जाता है।

परिमेय संख्या का योगात्मक तत्समक क्या है?

परिमेय संख्याओं के लिए भोज्य तत्समक. प्राकृत संख्याओंए पूर्ण संख्याओं और पूर्णांकों की तरह शून्य परिमेय संख्याओं के लिए योज्य तत्समक है। जब हम एक परिमेय संख्या में शून्य जोड़ते हैंए तो हमें फिर वही संख्या प्राप्त होती है।

पूर्ण संख्याओं के लिए तत्समक अवयव कौन सा है

पूर्ण संख्याओं में गुणन के लिए तत्समक अवयव 1 है।

एक धनात्मक और एक ऋणात्मक पूर्णांक का गुणन

जब किसी संख्या के आगे एक ऋणात्मक या ऋण चिह्न लगाया जाता हैए तो वह शून्य के सापेक्ष उस संख्या की ऋणात्मकता दर्शाता है। प्राकृतिक संख्याओं को धनात्मक संख्या माना जाता है। धनात्मक और ऋणात्मक दोनों संख्याओं के परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। ऋणात्मक संख्याएं परिमाण और क्रम के बीच ग़लतफहमी उत्पन्न कर सकती हैं।

एक धनात्मक सहसंबंध से तात्पर्य है कि जब एक चर में वृद्धि होती हैए तब अन्य चर में भी वृद्धि होती हैए जैसे- बच्चे का आकार और बच्चे की आयु। ऋणात्मक सहसंबंध से तात्पर्य है कि जब एक चर में वृद्धि होती है तो दूसरे चर में कमी होती है। जैसे- एक कार का मूल्य और कार की आयु।

ऋणात्मक संख्याएं

जब किसी संख्या के आगे एक ऋणात्मक या ऋण चिह्न लगाया जाता हैए तो वह शून्य के सापेक्ष उस संख्या की ऋणात्मकता दर्शाता है। प्राकृतिक संख्याओं को धनात्मक संख्या माना जाता है।

धनात्मक और ऋणात्मक दोनों संख्याओं के परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। ऋणात्मक संख्याएं परिमाण और क्रम के बीच ग़लतफहमी उत्पन्न कर सकती हैं। उदाहरण के लिए -4 पारंपरिक रूप से -1 से कम होता है इसके बावजूद कि -4 का परिमाण -1 से अधिक दिखाई देता है।

धनात्मक और ऋणात्मक संख्याओं की समझ विकसित करने के लिए संख्या रेखाओं का उपयोग करना|

संख्या रेखाए जैसे कि चित्र 1 में दी गई हैए एक ज्यामितीय विचार है जिसे एक सरल रेखा में एक खास क्रम में व्यवस्थित किए गए बिंदुओं के एक समूह के रूप में कल्पित किया जा सकता है। एक गणितीय रेखा की लंबाई अनंत होती है और साथ ही साथ परस्पर विरोधी दिशाओं में भी अनंत होती हैए लेकिन उसका मध्य हमेशा मूल या शून्य पर होता है। एक संख्या रेखा विद्यार्थियों को ऋणात्मक संख्याएं समझने और उन्हें जोड़ना और घटाना आरंभ करने में मदद कर सकती है।

एक संख्या रेखा इतनी उपयोगी हो सकती है कि गणित सिखाने वाली किसी कक्षा में समान अंतरों पर विभाजित एक लंबी रेखा को बनाना और दर्शाना एक अच्छा विचार हो सकता है जैसा कि चित्र 2 में दिखाया गया है|

रेखा को इस प्रकार बनाना कि उसके द्वारा दर्शाई गई संख्याएं लिखी जा सकें या अलग से नत्थी की जा सकें इसका अर्थ होगा कि उसका उपयोग संख्या प्रणाली के किसी भी हिस्से के बारे में सोचने के लिए किया जा सकता है। फिर प्रत्येक खंड दर्शाएगा|

  • इकाईए दहाई या सैकड़ा आदि।
  • अंश या दशमलवए बहुत छोटे दशमलव सहित
  • मानक प्रारूप

दो ऋणात्मक पूर्णांकों का गुणन

उदारण:

(a) यदि गुणा किये जाने वाले पूर्णांको में ऋणात्मक पूर्णांकों की संख्या = 1, 3, 5, 7, 9, 11, . .  . . . . है, अर्थात एक विषम संख्या है।

तो उनका गुणनफल एक ऋणात्मक पूर्णांक होगा।

अन्यथा, अर्थात यदि ऋणात्मक पूर्णांकों की संख्या = 0, 2, 4, 6, 8, 10, . . . . . . . . .  है,

तो गुणनफल एक धनात्मक पूर्णांक होगा।

उदाहरण:

2 × 4 × 3

हल:

चरण: 1: दिये गये पूर्णांकों को बिना उनके चिन्हों को ध्यान में रखे गुणा करें।

2 × 4 × 3 = 24

चरण: 2: अब गुणा किये जाने वाले पूर्णांकों में ऋणात्मक पूर्णांकों की संख्यां को गिनें

यहाँ गुणा किये जाने वाले पूर्णांकों में ऋणात्मक पूर्णांकों की संख्या = 0.

अर्थात गुणा किये जाने वाले पूर्णांकों को कोई भी ऋणात्मक पूर्णांक नहीं है अर्थात सभी पूर्णांक धनात्मक हैं।

चूँकि ऋणात्मक पूर्णांकों की संख्या = 0 हैए अतरू दिये गये पूर्णांकों का गुणनफल धनात्मक होगा।

अत:,

2 × 4 × 3 = 24 उत्तर

शून्य से गुणन

शून्य का गुणाद- किसी संख्या में शून्य का गुणा किया जाए या फिर शून्य में किसी संख्या का गुणा किया जाए तो गुणनफल सदैव शून्य (0) ही होता है।

उदाहरण. 37 × 0 = 0 होगा।

उक्त गुणा संक्रिया में शून्य का पहाड़ा (गुनिया/दूनिया) क्रमशः 7 एवं 3 बार पढ़ा जायेगा। जैसे- शून्य सत्ते शून्यए शून्य तिया शून्य (शून्य का पहाड़ा कितनी बार भी पढ़े गुणनफल शून्य ही होगा।)

इसके विपरीत 0 × 37 करने पर भी गुणनफल शून्य ही आयेगा। क्रमशः 7 एवं 3 का पहाड़ा 0 बार पढ़ने पर 0 ही गुणनफल आएगा।

जैसे- सात शून्नम शून्य या तीन शून्नम शून्य। यदि सीधे 37 का ही पहाड़ा शून्य बार पढ़ें सैंतीस शून्नम शून्य ही होगा। इस तरह उत्तर (गुणनफल) शून्य ही आयेगा।

वितरण गुण

में गणित ए वितरण संपत्ति की बाइनरी आपरेशनों सामान्यीकृत वितरण कानून से प्राथमिक बीजगणित है जो इस बात पर ज़ोर हमेशा है|

x × (y + z) = x × y + x × z

उदाहरण के लिएए एक है

2 (1 + 3) = (2 1) + (2 × 3) ।

एक यह है कि कहते हैं गुणा वितरित से अधिक इसके अलावा ।

संख्याओं के इस मूल गुण को अधिकांश बीजीय संरचनाओं की परिभाषा में माना जाता है जिनमें दो संक्रियाएँ होती हैं जिन्हें जोड़ और गुणा कहा जाता हैए जैसे कि जटिल संख्याएँ, बहुपद, मैट्रिसेस, रिंग और फ़ील्ड । यह भी में आई है बूलियन बीजगणित और गणितीय तर्क है, जहां से प्रत्येक तार्किक और (निरूपित किया ∧) और तार्किक या (निरूपित किया ∨) दूसरे पर वितरित करता है।

गुणन को आसान बनाना

  • उदाहरण के लिए 2 × 4 = 8, लेकिन 4 + 4 = 8।
  • वही हर दूसरी संख्या के लिए जाता है, 2 × 3 = 6 (3 + 3 = 6), 2 × 5 = 10 (5 + 5 = 10), आदि।

NCERT SOLUTIONS

प्रश्नावली 1.1 (पृष्ठ संख्या 4-6)

प्रश्न 1 किसी विशिष्ट दिन विभिन्न स्थानों के तापमानों को डिग्री सेल्सियस (°C) में निम्नलिखित संख्या रेखा द्वारा दर्शाया गया है|

 (i) इस संख्या रेखा को देखिए और इस पर अंकित स्थानों के तापमान लिखिए|

(ii) उपर्युक्तइस संख्या  रेखा को देखिए और इस पर अंकित स्थानों के तापमान स्थानों में से सबसे गर्म और सबसे ठंडे स्थानों स्थानों के तापमानों में क्या अंतर है?

(iii) लाहुलस्पीती एवं श्रीनगर के तापमानों में क्या अंतर है|

(iv) क्या हम कह सकते  है कि शिमला और श्रीनगर के तापमानों का योग शिमला के तापमान से कम है ? क्या इन दोनों स्थानों के तापमानों का योग श्रीनगर के तापमान से भी कम है?

उत्तर-

(i) इस संख्या  रेखा को देखिए और इस पर अंकित स्थानों के तापमान इस प्रकार है : 

स्थान: बंगलौर, ऊटी,  शिमला, श्रीनगर, लाहुलस्पीती

तापमान : 22oC, 14oC, 5oC, -2oC, -8oC

(ii) सबसे गरम स्थान बंगलौर का का तापमान = 22oC 

सबसे ठंडे स्थान लाहुलस्पीती = -8oC

अंतर = 22oC – (-8oC) = 22oC + 8oC  = 30oC

(iii) श्रीनगर का तापमान = 2oC

लाहुलस्पीती का तापमान = -8oC

अंतर = -2oC + (-8oC) = -2oC – 8oC = 6oC

(iv) श्रीनगर और शिमला का तापमान = 5oC + (-2oC) = 5oC – 2oC = 3oC

इसलिए, 3oC < 5oC

इस प्रकार, श्रीनगर और शिमला का तापमान दोनों में से शिमला का तापमान कम है|

अब, श्रीनगर का तापमान = -2oC

इसलिए, 3oC < -2oC

नहीं, यह श्रीनगर के तापमान से कम नहीं हैं|

प्रश्न 2 किसी प्रश्नोत्तरी में सही उत्तर के लिए धनात्मक अंक दिए जाते और गलत उत्तर के लिए ऋणात्मक अंक दिए जाते है | यदि पांच उत्तरोत्तर  चक्करों (Rounds) में जैक द्वारा प्राप्त किए गए अंक 25, -5, -10, 15 और 10 थे, तो बताइए अंत में उसके अंकों का कुल योग कितना था|

उत्तर- जैक के पांच चक्करों के अंक इस प्रकार है = 25, -5, -10, 15 और 10

जैक के द्वारा कुल प्राप्त अंक = 25 + (-5) + (-10) + 15 + 10

= 25 – 15 + 25 = 35

इस प्रकार, जैक द्वारा क्विज में 35 अंक प्राप्त किए गए|

प्रश्न 3 सोमवार को श्रीनगर का तापमान -5°C था और मंगलवार को तापमान -2°C कम हो गया| मंगलवार को श्रीनगर का तापमान क्या था? बुधवार को तापमान 4°C बढ़ गया| बुधवार को तापमान कितना था?

उत्तर- सोमवार को, श्रीनगर का तापमान = -5oC

मंगलवार को, तापमान गिरा = 2oC

चूँकि मंगलवार को तापमान =   -5oC – 2oC = -7oC

बुधवार  को, तापमान बढ़ा = 4o

चूँकि  बुधवार को तापमान = -7oC + 4oC = -3o

इस प्रकार, तापमान और बुधवार को -7oC और -3oC

प्रश्न 4 एक हवाई जहाज समुद्र तल से 5000 मी की ऊँचाई पर उड़ रहा है| एक विशिष्ट बिंदु पर यह हवाई जहाज समुद्र तल से 1200 मी नीचे तैरती हुई पनडुब्बी के ठीक ऊपर है| पनडुब्बी और हवाई जहाज के बीच की उध्वार्धर दूरी कितनी है?

उत्तर- समुद्र तल से ऊँचाई = 5000m

प्रश्न 5 मोहन अपने बैंक खाते में 2000 रुपये जमा करता है और अगले दिन इसमें से 1642 रुपये निकाल लेता है| यदि खाते में से निकाली गई राशि को ऋणात्मक संख्या से निरुपित किया जाता है, तो खाते में शेष राशि ज्ञात कीजिए|

उत्तर- चूंकि निकाली गई राशि को एक ऋणात्मक पूर्णांक द्वारा दर्शाया जाता है, इसलिए जमा की गई राशि को एक धनात्मक पूर्णांक द्वारा दर्शाया जाएगा।

जमा की गई राशि = 2000 रुपये

निकाली गई राशि = −Rs 1642

मोहन के खाते में जमा राशि = जमा किया गया पैसा + निकाला गया पैसा

= 2000 + (−1642) = 2000 – 1642 = 358

इसलिए मोहन के खाते में निकासी के बाद शेष राशि 358 रुपये है

प्रश्न 6 रीता बिंदु A से पूर्व की ओर बिंदु B तक 20 किलोमीटर की दूरी तय करती है| उसी सड़क के अनुदिश बिंदु B से वह 30 किलोमीटर की दूरी पश्चिम की ओर तय करती है| यदि पूर्व की ओर तय की गई दूरी को धनात्मक पूर्णांक से निरुपित किया जाता है, तो पश्चिम की ओर तय की गई दूरी को आप कैसे निरुपित करोगे?  बिंदु A से उसकी अंतिम स्थिति को किस पूर्णांक से निरुपित करोगे?

उत्तर- पश्चिम की ओर तय की गई दूरी को ऋणात्मक रूप से निरूपित करेंगे।

बिंदू A से पूर्व की ओर बिंदु B तक तय की गई दूरी = 20 किमी

बिंदु B से पश्चिम की ओर तय की गई दूरी = −30 किमी

इसलिए A से पश्चिम की ओर तय की गई दूरी = 20 – 30 = −10 किमी

प्रश्न 7 किसी मायावी वर्ग में प्रत्येक पंक्ति, प्रत्येक स्तम्भ एवम्‌ प्रत्येक विकर्ण की संख्याओं का योग समान होता है। बताइए निम्नलिखित में से कौन सा वर्ग एक मायावी वर्ग है?

उत्तर- 

  1. प्रत्येक पंक्तियों की संख्याओं का योग

पहली पंक्ति का योग =5 + (−1) + (−4) = 5−5 = 0

दूसरी पंक्ति का योग = (−5) + (−2) + 7 = 7−7 = 0

तीसरी पंक्ति का योग =0 + 3 + (−3) = 3−3 = 0

  1. प्रत्येक स्तम्भों के संख्याओं का योग

पहला स्तम्भ के संख्याओं का योग =5 + (−5) + 0 = 5−5 = 0

दूसरा स्तम्भ के संख्याओं का योग = (−1) + (−2) + 3 = 3−3 = 0

तीसरा स्तम्भ के संख्याओं का योग = (−4) + 7 + (−3) = 7−7 = 0

  1. प्रत्येक विकर्ण की संख्याओं का योग

पहला विकर्ण की संख्याओं का योग =5 + (−2) + (−3) = 5−5 = 0

दूसरा विकर्ण की संख्याओं का योग 0 + (−2) + (−4) = 0−6 = −6

चूंकि कि इस वर्ग में पंक्तियों और स्तम्भों की संख्याओं का योग तो समान है, परंतु विकर्णों की संख्याओं का योग समान नहीं है, इसलिए यह एक मायावी वर्ग नहीं है|

  1. प्रत्येक पंक्तियों की संख्याओं का योग

पहली पंक्ति का योग = 1 + (−10) + 0 = 1 − 10 = −9

दूसरी पंक्ति का योग = (−4) + (−3) + (−2) = −9

तीसरी पंक्ति का योग = (−6) + 4 + (−7) = −2 – 7 = −9

  1. प्रत्येक स्तम्भों के संख्याओं का योग

पहला स्तम्भ के संख्याओं का योग = 1 + (−4) + (−6) = 1−10 = −9

दूसरा स्तम्भ के संख्याओं का योग = (−10) + (−3) +  4 = −13 + 4 = −9

तीसरा स्तम्भ के संख्याओं का योग = 0 + (−2) + (−7) = 0 – 9 =−9

  1. प्रत्येक विकर्ण की संख्याओं का योग

पहला विकर्ण की संख्याओं का योग = 1 + (−3) + (−7) = 1 − 10 = −9

दूसरा विकर्ण की संख्याओं का योग = 0 + (−3) + (−6) = 0 – 9 = −9

चूकि इस वर्ग में पंक्तियों और स्तम्भों की संख्याओं का योग के साथ विकर्णों की संख्याओं का योग भी समान है, इसलिए यह एक मायावी वर्ग है|

प्रश्न 8 a और b के निम्नलिखित मानों के लिए a − (−b) = a + b का सत्यापन ज्ञात कीजिए:

  1. a = 21, b = 18
  2. a = 118, b = 125
  3. a = 75, b = 84
  4. a = 28, b = 11

उत्तर- 

  1. a − (−b) = a + b

दिए हुए मान के अनुसार,

LHS  =21−(−18)= 21 + 18 =39 

RHS  = 21 + 18 =39

इस तरह, LHS = RHS सत्यापित है

  1. a − (−b) = a + b

दिए हुए मान के अनुसार,

LHS  = 118 − (−125) = 118 + 125 = 243

RHS = 118 + 125 = 243

इस तरह, LHS = RHS सत्यापित है|

  1. a − (−b) = a + b

दिए हुए मान के अनुसार,

LHS = 75 − (−84) = 75 + 84 = 159

RHS = 75 +  84 = 159

इस तरह, LHS = RHS सत्यापित है|

  1. a − (−b) = a + b

दिए हुए मान के अनुसार,

LHS = 28 − 11 = 28 + 11 = 39

RHS = 28 + 11 = 39

इस तरह, LHS = RHS सत्यापित है|

प्रश्न 9 निम्नलिखित कथनों को सत्य बनाने के लिए, बॉक्स में संकेत <, > अथवा = का उपयोग कीजिए:

A picture containing shape

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उत्तर-

  1. (−8) + (−4) (−8) − (−4)

LHS = −8 − 4 = − 12

RHS = −8 + 4 = − 4

−12 < −4

  1. (−3) + 7 − (19) 15 – 8 + (−9)

LHS = −3 + 7 − 19 = − 15

RHS = 15 − 8 − 9 = − 2

−15 < −2

  1. 23 – 41 + 1123 – 41 − 11

LHS = 23 − 41 + 11 = − 7

RHS = 23 − 41 − 11 = − 29

−7 > −29

  1. 39 + (−24) − (15) 36 + (−52) − (−36)

LHS = 39  − 24 − 15 = 39 − 39 = 0

RHS  = 36 − 52 + 36 = 72 − 52 = 20

0 < 20

  1. 231 + 79 + 51 – 399 + 159 + 81

LHS = −231 + 130 = 101

RHS = −399 + 240 = 159

101 < 159

प्रश्न 10 पानी के एक तालाब में अंदर की ओर सीढ़ियाँ हैं। एक बंदर सबसे ऊपरी वाली सीढ़ी (यानी पहली वाली सीढ़ी) पर बैठा हुआ है। पानी नौवीं सीढ़ी पर है।

  1. वह एक छ्लांग में तीन सीढ़ियाँ नीचे की ओर और अगली छलांग में दो सीढ़ियाँ ऊपर की ओर जाता है। कितनी छ्लांगों में वह पानी के स्तर तक पहुँच पाएगा?
  2. पानी पीने के पश्चात वह वापस जाना चाहता है। इस कार्य में वह एक छलांग में 4 सीढ़ियाँ ऊपर की ओर और अगली छलांग में 2 सीढ़ियाँ नीचे की ओर जाता है। कितनी छलांगों में वह वापस सबसे ऊपर वाली सीढी पर पहुँच पाएगा?
  3. यदि नीचे की ओर पार की गई सीढ़ियों की संख्या को ऋणात्मक पूर्णांक से निरूपित किया जाता है और ऊपर की ओर पार की गई सीढ़ियों की संख्या को धनात्मक पूर्णांक से निरूपित किया जाता है, तो निम्नलिखित को पूरा करते हुए भाग (i) और (ii) में उसकी गति को निरूपित कीजिए:
  1. 3 + 2−…… = −8
  2. 4 − 2 +⋯ = 8

(a) यदि योग (-8) आठ सीढ़ियाँ नीचे जाने को निरूपित करता है, (b) तो योग 8 किसको निरूपित करेगा?

उत्तर-

  1. माना की बंदर द्वारा नीचे की ओर लगाए छ्लांग धनात्मक पूर्णांक है और ऊपर की ओर लगाए छलांग ऋणात्मक पूर्णांक हैं|

प्रारम्भ में बंदर पहली सीढ़ी (1) पर बैठा है|

उसके बाद,

  1. पहली छलांग में बंदर की स्थिति =1 + 3 = 4=1 + 3 = 4 वीं सीढ़ी पर होगी
  2. दूसरी छलांग में बंदर की स्थिति = 4 + (−2) = 2 = 4 + (−2) = 2सरी सीढ़ी पर होगी
  3. तीसरी छलांग में बंदर की स्थिति = 2 + 3 = 5 = 2 + 3 = 5वीं सीढ़ी पर होगी
  4. चौथी छलांग में बंदर की स्थिति = 5 + (−2) = 3 = 5 + (−2) = 3सरी सीढ़ी पर होगी
  5. पाँचवी छलांग में बंदर की स्थिति = 3 + 3 = 6 = 3 + 3 = 6ठी सीढ़ी पर होगी
  6. छठी छलांग में बंदर की स्थिति = 6 + (−2) = 4 = 6 + (−2) = 4थी सीढ़ी पर होगी
  7. सातवी छलांग में बंदर की स्थिति = 4 + 3 = 7 = 4 + 3 = 7वीं सीढ़ी पर होगी
  8. आठवीं छलांग में बंदर की स्थिति = 7 + (−2) = 5 = 7 + (−2) = 5वीं सीढ़ी पर होगी
  9. नौवीं छलांग में बंदर की स्थिति = 5 + 3 = 8 = 5 + 3 = 8वीं सीढ़ी पर होगी
  10. दसवीं छलांग में बंदर की स्थिति = 8 + (−2) = 6 = 8 + (−2) = 6ठी सीढ़ी पर होगी
  11. ग्यारहवीं छलांग में बंदर की स्थिति = 6 + 3 = 9 = 6 + 3 = 9वीं सीढ़ी पर होगी
  12. प्रारम्भ में बंदर 9वीं सीढ़ी पर बैठा था
  1. पहली छलांग में बंदर की स्थिति = 9 + (−4) = 5वीं सीढ़ी पर होगी
  2. दूसरी छलांग में बंदर की स्थिति = 5 + 2 = 7वीं सीढ़ी पर होगी
  3. तीसरी छलांग में बंदर की स्थिति = 7 + (−4) = 3सरी सीढ़ी पर होगी
  4. चौथी छलांग में बंदर की स्थिति = 3 + 2 = 5वीं सीढ़ी पर होगी
  5. पाँचवीं छलांग में बंदर की स्थिति = 5 + (−4) = 1ली सीढ़ी पर होगी

इस तरह बंदर पाँच छलांग में सबसे ऊपर वाला सीढ़ी पर पहुँच पाएगा|

चूकि बंदर द्वारा नीचे की ओर पार की गई सीढ़ियों की संख्या को ऋणात्मक पूर्णांक से निरूपित किया गया है और ऊपर की ओर पार की गई सीढ़ियों की संख्या को धनात्मक पूर्णांक से निरूपित किया गया है , तो यहाँ उसकी गति का विवरण इस प्रकार है

  1. 3 + 2−……= −8

− 3 + 2 − 3 + 2 − 3 + 2 − 3 + 2 − 3 + 2 − 3 = − 8

− 18 + 10 = − 8

यहाँ बंदर 8 कदम नीचे जाता है

  1. 4 − 2 +⋯ = 8

4 − 2 + 4 − 2 + 4 − 2 + 4 − 2 = 8

16 − 8 = 8

यहाँ बंदर 8 कदम ऊपर जाता है

(a) यदि योग (-8) आठ सीढ़ियाँ नीचे जाने को निरूपित करता है, (b) तो योग 8 ऊपर जाने को निरूपित करेगा?

प्रश्नावली 1.2 (पृष्ठ संख्या 4-6)

प्रश्न 1 ऐसा पूर्णांक युग्म लिखिए जिसका

  1. योग-7 है
  2. अन्तर – 10 है
  3. योग 0 है।

उत्तर-

  1. पूर्णांक युग्म जिनका योग – 7 है, (-10) तथा 3 हो सकते हैं। .

क्योंकि (-10) + 3 = – 7

  1. एक पूर्णांक युग्म जिनका अन्तर – 10 है, हो सकते हैं (-6) तथा (4) .

क्योंकि – 6 – (+ 4) = – 6 – 4 = – 10

  1. एक पूर्णांक युग्म जिनका योग 0 हो, हो सकते हैं 3 और (-3)

क्योंकि (3) + (-3) = 0

प्रश्न 2 

(a) एक ऐसा ऋणात्मक पूर्णांक युग्म लिखिए जिसका अन्तर 8 है।

(b) एक ऋणात्मक पूर्णांक और एक धनात्मक पूर्णांक लिखिए जिनका योग – 5 है।

(c) एक ऋणात्मक पूर्णांक और एक धनात्मक पूर्णांक लिखिए जिनका अन्तर – 3 है।

उत्तर-

  1. एक ऐसा ऋणात्मक पूर्णांक युग्म जिसका अन्तर 8 हो, हो सकता है – 2 और – 10 

∴ (- 2) – (-10) = – 2 + 10 = 8

  1. एक ऋणात्मक पूर्णांक तथा एक धनात्मक पूर्णांक जिनका योग – 5 है, हो सकते हैं – 6 और 1

∴ (- 6) + 1 = – 6 + 1 = – 5

  1. एक ऋणात्मक पूर्णांक व एक धनात्मक पूर्णांक जिनका अन्तर – 3 हो, हो सकते हैं – 1 और 2

∴ (-1) – 2 = – 1 – 2 = – 3

प्रश्न 3 किसी प्रश्नोत्तरी के तीन उत्तरोत्तर चक्करों (rounds) में टीम A द्वारा प्राप्त किए गए अंक -40, 10, 0 थे और टीम B द्वारा प्राप्त किए गए अंक 10, 0, -40 थे। किस टीम ने अधिक अंक प्राप्त किए? क्या हम कह सकते हैं कि पूर्णांकों को किसी भी क्रम में जोड़ा जा सकता है?

उत्तर- A टीम के प्राप्तांक = (-40) + 10 + 0

= [(-40) + 10] + 0

= [- 40 + 10] + 0

= – 30 + 0 = – 30

और B टीम के प्राप्तांक = 10 + 0 + (-40)

= [10 + 0] – 40

= 10 – 40 = – 30

अतः प्रत्येक टीम के प्राप्तांक समान हैं।

चूँकि दोनों टीमों द्वारा प्राप्त अंक समान हैं। अतः किसी भी टीम ने एक दूसरी टीम से अधिक अंक नहीं प्राप्त किए।

हाँ, हम पूर्णांकों को किसी भी क्रम में जोड़ सकते हैं।

प्रश्न 4 निम्नलिखित कथनों को सत्य बनाने के लिए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) (- 5) + (- 8) = (- 8) + (……….)

(ii) – 53 + ………… = – 53

(iii) 17 + ………. = 0

(iv) [13 + (- 12)] + (…..) = 13 + [(- 12) + (-7)]

(v) (- 4) + [15 + (- 3)] = [- 4 + 15] + ……….

उत्तर-  

(i) (- 5) + (- 8) = (- 8) + (- 5)

(ii) – 53 + 0 = – 53

(iii) 17 + (- 17) = 0

(iv) [13 + (- 12)] + (- 7)= 13 +[(- 12) + (- 7)]

(v) (- 4) + [15 + (- 3)] = [(- 4) + 15] + (- 3)

प्रश्नावली 1.3 (पृष्ठ संख्या 22-23)

प्रश्न 1 निम्नलिखित गुणनफलों को ज्ञात कीजिए:

  1. 3 × (-1)
  2. (- 1) × 225
  3. (- 21) × (-30)
  4. (- 316) × (-1)
  5. (- 15) × 0 × (- 18)
  6. (- 12) × (- 11) × (10)
  7. 9 × (- 3) × (-6)
  8. (- 18) × (-5) × (- 4)
  9. (- 1) × (- 2) × (- 3) × 4
  10. (- 3) × (-6) × (- 2) × (- 1)

उत्तर-

  1. 3 × (-1) = – 3
  2. (- 1) × 225 = – 225
  3. (- 21) × (- 30) = 630
  4. (- 316) × (- 1) = 316
  5. (-15) × 0 × (-18)

= [(-15) × 0] × (-18)

= 0 × (-18) = 0

  1. (-12) × (-11) × (10)

= [(-12) × (-11)] × 10

= (132) × (10) = 1320

  1. 9 × (- 3) × (- 6)

= [9 × (- 3)] × (- 6)

= (- 27) × (- 6) = 162

  1. (- 18) × (- 5) × (- 4)

= [(- 18) × (- 5)] × (- 4)

= 90 × (-4) = – 360

  1. (- 1) – (- 2) × (- 3) × 4

= [(- 1) × (- 2)] [(- 3) × 4]

= (2) × (- 12) = – 24

  1. (- 3) – (- 6) – (- 2) – (- 1)

= [(- 3) × (- 6)] × [(- 2) – (- 1)]

= (18) × (2) = 36

प्रश्न 2 निम्नलिखित को सत्यापित कीजिए:

  1. 18 × [7 + (-3)] = [18 × 7] + – [18 × (- 3)]
  2. (- 21) × [(-4) + (- 6)] = [(-21) × (-4)] + [(-21) × (-6)]

उत्तर- 

  1. 18 × [7 + (-3)] = 18 × 4 = 72

तथा [18 × 7] + [18 × (-3)] = 126 – 54 = 72

∴ 18 × [7 + (-3)] = [18 × 7] + [18 × (-3)]

  1. ((-21) × [(-4) + (-6)] = (-21) × (-4 – 6) = (-21) × (-10) = 210

तथा [(-21) × (-4)] + [(-21) × (-6)] = 84 + 126 = 210

∴ (-21) × [(-4) + (-6)] = [(-21) – (-4)] +[(-21) × (-6)]

प्रश्न 3 

  1. किसी भी पूर्णांक a के लिए, (- 1) × a किसके समान है?
  2. वह पूर्णांक ज्ञात कीजिए, जिसका (-1) के साथ गुणनफल है:

उत्तर-

  1. किसी भी पूर्णांक के लिए (-1 ) × a = – a
  2. हम जानते हैं कि किसी भी संख्या और (-1) का गुणा उस संख्या का योज्य प्रतिलोम होता है।

अतः (a) – 22 का योज्य प्रतिलोम 22 है।

(b) 37 का योज्य प्रतिलोम – 37 है।

(c) 0 का योज्य प्रतिलोम 0 है।

प्रश्न 4 (-1) × 5 से आरम्भ करके विभिन्न गुणनफलों द्वारा कोई पैटर्न दर्शाते हुए (-1) × (-1) = 1 को निरूपित कीजिए।

उत्तर- (-1) × 5 = -5

(-1) × 4 = -4 = – 5 + 1

(-1) × 3 = -3 = – 4 + 1

(-1) × 2 = -2 = – 3 + 1

(-1) × 1 = -1 = – 2 + 1

(-1) × 0 = -1 + 1 = 0

(-1) × (-1) = 0 + 1 = 1

प्रश्न 5 उचित गुणों का उपयोग करते हुए, गुणनफल ज्ञात कीजिए :

  1. 26 × (-48) + (-48) × (-36)
  2. 8 × 53 × (-125)
  3. 15 × (-25) × (4) × (-10)
  4. (-41) × 102
  5. 625 × (-35) + (-625) × 65
  6. 7 × (50 – 2)
  7. (-17) × (-29)
  8. (-57) × (-19) + 57

उत्तर-

  1. 26 × (- 48) + (- 48) × (- 36)

= (- 48) × 26 + (- 48) × (- 36)

= (- 48) × [26 + (-36)]

= (- 48) × (26 – 36)

= (- 48) × (- 10) = 480

  1. 8 × 53 × (-125)

= [8 × (-125)] × 53

= (- 1000) × 53

= – 53000

  1. 15 × (- 25) × (- 4) × (-10)

= 15 × [(- 25) × (- 4)] × (-10)

= 15 × (100) × (- 10)

= (15 × 100) × (- 10)

= 1500 × (- 10)

= – 15000

  1. (- 41) × 102

= (- 41) × (100 + 2)

= (- 41) × 100 + (-41) × 2

= – 4100 – 82 = – 4182

  1. 625 × (- 35) + (- 625) × 65

= 625 × (- 35) + (625) × (- 65)

= 625 × [(- 35) + (- 65)]

= 625 × (- 00)

= – 62500

  1. 7 × (50 – 2)

= 7 × 50 – 7 × 2

= 350 – 14 = 336

  1. (-17) – (-29)

= (-17) × [(-30) + 1]

= (-17) × (-30) + (-17) × 1

= 510 – 17 = 493

  1. (-57) × (-19) + 57

= 57 × 19 + 57 × 1

= 57 × (19 + 1)

= 57 × 20 = 1140

प्रश्न 6 किसी हिमीकरण (ठण्डा) प्रक्रिया में, . कमरे के तापमान को 40°C से 5°C प्रति घण्टे की दर से कम करने की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया के शुरू होने के 10 घण्टे बाद, कमरे का तापमान क्या होगा?

उत्तर- कमरे का आरम्भिक तापमान = 40°C

प्रति घण्टा तापमान कम होगा = – 5°C

10 घण्टे बाद तापमान कम हुआ

= (-5) × 10°C = – 50°C

∴ 10 घण्टे बाद कमरे का तापमान

= 40°C – 50°C = – 10°C

प्रश्न 7 दस प्रश्नों वाले एक कक्षा टेस्ट में प्रत्येक सही उत्तर के लिए 5 अंक दिए जाते हैं और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए (-2) अंक दिए जाते हैं एवं प्रयत्न नहीं किए गए प्रश्नों के लिए शून्य दिया जाता है।

(i) मोहन चार प्रश्नों का सही और छः प्रश्नों का गलत उत्तर देता है। उसके द्वारा प्राप्त अंक कितने हैं?

(ii) रेशमा के पाँच उत्तर सही हैं और पाँच उत्तर गलत हैं। उसके द्वारा प्राप्त अंक कितने हैं?

(iii) हीना ने कुल सात प्रश्न किए हैं उनमें से दो का उत्तर सही है और पाँच के उत्तर गलत हैं। तो उसे कितने अंक प्राप्त होते हैं?

उत्तर-

(i) प्रत्येक सही उत्तर के लिए दिए गए अंक

अतः चार सही उत्तरों के लिए दिए गए कुल अंक = 5 × 4 = 20

एक गलत उत्तर के लिए दिया गया अंक = (-2)

अतः छः गलत उत्तरों के लिए दिए गए अंक = (-2) × 6 = – 12

अतः मोहन द्वारा प्राप्त अंक = 20 – 12 = 8 अंक

(ii) रेशमा द्वारा 5 सही उत्तरों के लिए प्राप्तांक = 5 × 5 = 25

रेशमा द्वारा 5 गलत उत्तरों के लिए प्राप्तांक = (-2) × 5 = – 10

अतः रेशमा द्वारा प्राप्त अंक = 25 – 10 = 15 अंक

(iii) हीना के 2 सही उत्तरों के लिए प्राप्तांक 5 × 2 = 10

हीना द्वारा 5 गलत उत्तरों के लिए प्राप्तांक – 2 × 5 = – 10

अतः हीना द्वारा प्राप्त अंक 10 + (-10) = 10 – 10 = 0

प्रश्न 8 एक सीमेन्ट कम्पनी को सफेद सीमेन्ट बेचने पर 8 रुपये प्रति बोरी की दर से लाभ होता है और स्लेटी (Grey) रंग की सीमेन्ट बेचने पर 5 रुपये प्रति बोरी की दर से हानि होती है।

  1. किसी महीने में वह कम्पनी 3000 बोरियाँ सफेद सीमेन्ट की और 5000 बोरियाँ स्लेटी सीमेन्ट की बेचती है। उसका लाभ अथवा हानि क्या है?
  2. यदि बेची गई स्लेटी सीमेन्ट की बोरियों की संख्या 6400 है, तो कम्पनी को सफेद सीमेन्ट की कितनी बोरियाँ बेचनी चाहिए, ताकि उसे न तो लाभ हो और न ही हानि?

उत्तर- सफेद सीमेन्ट की एक बोरी पर लाभ = 8 रु. स्लेटी रंग की सीमेन्ट की एक बोरी पर हानि 

  1. 3000 बोरियों (सफेद सीमेन्ट) पर लाभ = (3000 × 8) रु. = 24000 रु.

5000 बोरियों (स्लेटी सीमेन्ट) पर हानि = (5000 × – 5) रु. = – 25000 रु.

अतः हानि = 24000 रु. – 25000 रु. = -1000 रु.

अतः हानि 1000 रु.

  1. 6400 स्लेटी सीमेन्ट की बोरियाँ बेचने पर हानि = (6400 × 5) रु. = 32000 रु.

न लाभ हो और न हानि, इसके लिए उसे सफेद सीमेन्ट पर 32000 रु. लाभ होना चाहिए।

अतः बेची जाने वाली सफेद सीमेन्ट की बोरियों की संख्या

प्रश्न 9 निम्नलिखित को सत्य कथन में परिवर्तित करने के लिए, रिक्त स्थान को एक पूर्णांक से प्रतिस्थापित कीजिए-

  1. (-3) × …… = 27
  2. 5 × …… = – 35
  3. …… × (-8) = – 56
  4. …… × (-12) = 132

उत्तर-

  1. (-3) × (-9) = 27
  2. 5 × (-7) = – 35
  3. 7 × (-8) = – 56
  4. (-11) × (-12) = 132

प्रश्नावली 1.4 (पृष्ठ संख्या 27)

प्रश्न 1 निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिए:

  1. (- 30) ÷ 10
  2. 50 ÷ (-5)
  3. (-36) ÷ (-9)
  4. (-49) ÷ (49)
  5. 13 ÷ [(-2) + 1]
  6. 0 ÷ (-12)
  7. (-31) ÷ (-30) + (-1)]
  8. [(-36) ÷ 12] ÷ 3
  9. [(-6) + 5] ÷ (-2) + 1]

उत्तर-

  1. (-30) ÷ 10 = – 3 
  2. 50 ÷ (-5) = – 10
  3. (-36) ÷ (-9) = 36 ÷ 9 = 4
  4. (-49) ÷ (49) = – 1
  5. 13 ÷ [(-2) + 1] = 13 ÷ (- 2 + 1) = 13 ÷ (-1) = – 13
  6. 0 ÷ (-12) = 0
  7. (-31) ÷ [(-30) + (-1)] = (-31) ÷ (-31) = 1
  8. [(-36) ÷ 12] ÷ 3 = (-3) ÷ 3 = – 1
  9. [(-6) + 5] ÷ [(-2) + 1] = (- 6 + 5) ÷ (- 2 + 1) = (-1) ÷ (-1) = 1

प्रश्न 2 a, b और c के निम्नलिखित मानों में से प्रत्येक के लिए, a ÷ (b + c) ≠ (a ÷ b) + (a ÷ c) को सत्यापित कीजिए

  1. a = 12, b = – 4, c = 2.
  2. a = (-10), b = 1, c = 1

उत्तर-

  1. a ÷ (b + c)

= 12 ÷ [(-4) + 2]

= 12 ÷ (- 4 + 2)

= 12 ÷ (-2) = – 6

तथा (a ÷ b) + (a ÷ c)

= [12 ÷ (-4)] + [12 ÷ 2]

= – 3 + 6 = 3

अतः a ÷ (b + c) ≠ (a ÷ b) + (a ÷ c)

  1. a ÷ (b + c)

= (-10) ÷ (1 + 1)

= (-10) ÷ 2 = – 5

तथा (a ÷ b) + (a ÷ c)

= [(-10) ÷ 1] + [(-10) ÷ 1]

= (-10) + (-10) = – 20

∴ a ÷ (b + c) ≠ (a ÷ b) + (a ÷ c)

प्रश्न 3 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

उत्तर-

  1. 369 ÷ 1 = 369
  2. (-75) ÷ 75 = – 1
  3. (-206) ÷ (-206) = 1
  4. – 87 ÷ (-1) = 87
  5. (-87) ÷ 1 = – 87
  6. (-48) ÷ 48 = – 1
  7. 20 ÷ (-10) = – 2
  8. (-12) ÷ (4) = – 3

प्रश्न 4 पाँच ऐसे पूर्णांक युग्म (a, b) लिखिए, ताकि a + b = – 3 हो। ऐसा एक युग्म (6, – 2) है, क्योंकि 6 + (-2) = (-3) है।

उत्तर- 5 पूर्णांक युग्म (a, b) जहाँ, a + b = – 3 है, इस प्रकार हैं:

(-9, 3), (9, -3), (12, -4), (-12, 4) तथा (15, -5) .

नोट: इस प्रकार के और पूर्णांक युग्म भी प्राप्त किए जा सकते हैं।

प्रश्न 5 दोपहर 12 बजे तापमान शून्य से 10°C ऊपर था। यदि यह आधी रात तक 2°C प्रति घण्टे की दर से कम होता है, तो किस समय तापमान शून्य से 8°C नीचे होगा? आधी रात को तापमान क्या होगा?

उत्तर- तापमान में अन्तर (+ 10)°C तथा (-8)°C

= [10 – (-8)]°C = (10 + 8)°C = 18°C

इसलिए, तापमान में कुल कमी = 18°C

प्रत्येक 1 घण्टे में तापमान में गिरावट = 2°C

∴ तापमान शून्य से 10°C ऊपर से 8°C नीचे तक जाने के लिए समय घण्टों में

RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.4 1

अतः 9 बजे रात्रि को तापमान शून्य से 8°C नीचे होगा।

आधी रात को तापमान = दोपहर 12 बजे तापमान – (2 × 12)°C

= 10°C – (2 × 12)°C .

= 10°C – 24°C = – 14°C

प्रश्न 6 एक कक्षा टेस्ट में, प्रत्येक सही उत्तर के लिए (+ 3) अंक दिए जाते हैं और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए (-2) अंक दिए जाते हैं और किसी प्रश्न को हल करने का प्रयत्न नहीं करने पर कोई अंक नहीं दिया जाता है।

(i) राधिका ने 20 अंक प्राप्त किए। यदि उसके 12 उत्तर सही पाए जाते हैं तो उसने कितने प्रश्नों का उत्तर गलत दिया है?

(ii) मोहिनी टेस्ट में (-5) अंक प्राप्त करती है, जबकि उसके 7 उत्तर सही पाए जाते हैं। उसने कितने प्रश्नों का उत्तर गलत दिया है?

उत्तर- 

(i) राधिका के सही 12 प्रश्नों के (+3) के हिसाब से कुल अंक = 3 × 12 = 36 अंक

राधिका ने प्राप्त किए = 20

∴ अंक कटे (गलत प्रश्नों के लिए) = 20 – 36 = – 16

1 गलत प्रश्न के उत्तर के लिए अंक = – 2

∴ गलत प्रश्नों की संख्या = (-16) ÷ (-2) = 8

(ii) मोहिनी के सही 7 प्रश्नों के (+3) के हिसाब से कुल अंक = 3 × 7 = 21

मोहिनी ने प्राप्त किए = – 5

1 गलत प्रश्न के लिए अंक = (-2)

∴ मोहिनी के गलत प्रश्नों के अंक कट = – 5 – 21 = – 26

∴ मोहिनी के गलत प्रश्नों की संख्या

= (-26) ÷ (-2) = 13

प्रश्न 7 एक उत्थापक किसी खान कूपक में 6m प्रति मिनट की दर से नीचे जाता है। यदि नीचे जाना भूमि तल से 10m ऊपर से शुरू होता है, तो – 350m पहुँचने में कितना समय लगेगा?

उत्तर- दो बिन्दुओं की स्थिति में ऊँचाइयों का अन्तर

= 10m – (- 350m) = 360m

नीचे उतरने की दर = 6m प्रति मिनट

∴ समय लगा = (360 ÷ 6) मिनट

= 60 मिनट = 1 घण्टा