अध्याय-11: मैं सबसे छोटी होऊं-Class 6-हिन्दी

अध्याय-11: मैं सबसे छोटी होऊं

-सुमित्रानंदन पंत

सारांश

प्रस्तुत कविता में एक बालिका अपनी माँ की सबसे छोटी संतान बनने की इच्छा प्रकट करती है। ऐसा करने से वह सदा अपनी माँ का प्यार और दुलार पाती रहेगी। उसकी गोद में खेल पाएगी। उसकी माँ हमेशा उसे अपने आँचल में रखेगी, उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगी। उसे लगता है कि वह सबसे छोटी होगी, तो माँ उसका सबसे अधिक ध्यान रखेगी। सबसे छोटी होने से उसकी माँ उसे अपने हाथ से नहलाएगी, सजाएगी और सँवारेगी। उसे प्यार से परियों की कहानी सुनाकर सुलाएगी। वह कभी बड़ी नहीं होना चाहती क्योंकि इससे वह अपनी माँ का सुरक्षित और स्नेह से भरा आँचल खो देगी।

भावार्थ

मैं सबसे छोटी होऊँ

तेरी गोदी में सोऊँ

तेरा आँचल पकड़-पकड़कर

फिरू सदा माँ तेरे साथ

कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ

भावार्थ- कविता की इन पक्तियों में बच्ची कह रही है कि काश मैं अपनी माँ की सबसे छोटी संतान बनूँ ताकि मैं उनकी गोदी में प्यार से सो सकूँ। प्यार से उनका आँचल पकड़कर, हमेशा उनके साथ घूमती रहूँ और उनका हाथ कभी ना छोड़ूँ।

बड़ा बनाकर पहले हमको

तू पीछे छलती है मात

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन-रात

भावार्थ- प्रस्तुत पक्तियों में बालिका कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, माँ हमारा साथ छोड़ देती है। फिर वह दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए।

अपने कर से खिला, धुला मुख

धूल पोंछ, सज्जित कर गात

थमा खिलौने, नहीं सुनाती

हमें सुखद परियों की बात

भावार्थ- प्रस्तुत पक्तितों में बच्ची आगे कहती है कि बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और सँवारती है। फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठा कर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सुनाती।

ऐसी बड़ी न होऊँ मैं

तेरा स्‍नेह न खोऊँ मैं

तेरे अंचल की छाया में

छिपी रहूँ निस्‍पृह, निर्भय

कहूँ दिखा दे चंद्रोदय

भावार्थ- प्रस्तुत अंतिम पक्तियों में बच्ची कह रही है कि मुझे बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं माँ के आँचल का साया खो दूँगी, जिसमें मैं निर्भय और सुरक्षित होकर आराम से सो जाती हूँ।

अतः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे माँ का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा।

NCERT SOLUTIONS

कविता से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 95)

प्रश्न 1 कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है?

उत्तर- कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना इसलिए की गई है, जिससे कि लंबे समय तक

  1. माँ का प्यार मिलता रहे।
  2. माँ के आँचल की छाया मिलती रहे।
  3. माँ का साथ मिलता रहे।
  4. विभिन्न प्रकार के खिलौने मिलते रहें।
  5. माँ द्वारा परियों की कहानियाँ सुनने को मिलें।

प्रश्न 2 कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है? क्या तुम भी हमेशा छोटे बने रहना पसंद करोगे?

उत्तर- इस कविता में एक बच्ची छोटी रह कर माँ के साथ रहना पंसद करती है। वह ऐसी बड़ी बनना पसंद नहीं करती जिससे वह माँ का प्यार दुलार न पा सके। बड़ी बनकर वह माँ के प्यार को खोना नहीं चाहती। इसलिए इस कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ की कामना की गई है। हाँ, मैं भी हमेशा छोटे बने रहना पसंद करूंगी।

प्रश्न 3 आशय स्पष्ट करो

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन-रात!

उत्तर- इस कविता का आशय यह है कि बच्ची अपनी माँ की सबसे छोटी संतान बनकर रहना चाहती है क्योंकि बड़े हो जाने पर उसका साथ माँ से छूट जाता है। जिस तरह छोटे रहने पर माँ हमेशा बच्ची के साथ रहकर समय तथा प्यार देती थी, वैसा अब नहीं करती है। वह हमेशा माँ का साथ चाहती है।

प्रश्न 4 अपने छुटपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नज़दीकी की कौन-कौन सी स्थितियाँ बताई गई हैं?

उत्तर- माँ की गोदी में सोना और परियों की कहानी सुनना, उसकी आँचल पकड़ कर चलना, उसके हाथों खाना तथा उसके हाथों सजना सवँरना आदि इस कविता में नजदीकी की स्थितियाँ बताई गई हैं।

कहानी से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 95)

प्रश्न 1 तुम्हारी माँ तुम लोगों के लिए क्या-क्या काम करती है?

उत्तर- मेरी माँ मेरे लिए निम्नलिखित कार्य करती है

वह हमें प्यार से अपनी गोदी में सुलाती है।

अपने हाथों नहलाती-धुलाती और तैयार करती है।

टिफिन बॉक्स देकर समय से स्कूल छोड़ती एवं लाती है।

मेरा गृहकार्य कराते हुए पढ़ाती है।

मेरी हर जरूरत का ध्यान रखती है तथा अच्छी बातें सिखाती है।

रात में कहानियाँ सुनाती है।

प्रश्न 2 यह क्यों कहा गया है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है?

उत्तर- बड़ा होने पर माँ अपने बच्चे को साथ नहीं घुमाती, अपनी गोद में नहीं सुलाती, उसका मुँह नहीं धोती, उसे न सजाती और न ही सँवारती है, उसे परियों की कहानियाँ नहीं सुनाती और न ही उसे खेलने के लिए खिलौना देती है। इसलिए छोटी बच्ची को लगता है कि बड़ा होने पर माँ उसे छलती है।

प्रश्न 3 उन क्रियाओं को गिनाओ जो इस कविता में माँ अपनी बच्ची या बच्चे के लिए करती है।

उत्तर- अपनी संतान को माँ अपनी गोदी में सुलाती है, परियों की कहानियाँ सुनाती है। उसे नहलाती है, सजाती है और सँवारती है। उसे अपने हाथों से खिलाती है, स्कूल भेजती है, अच्छी-अच्छी बातें सिखाती है और पढ़ाती भी है।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 95)

प्रश्न 1 इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात क्यों कर रहा है? चाँद के उदित होने की कल्पना करो और अपनी कक्षा में सुनाओ।

उत्तर- बच्चों को चाँद को उदित होते देखना अत्यंत रोचक लगता है। वे अकसर माता-पिता से चाँद को देखने या उसे हाथ में लेने की जिद करते हैं इसलिए कविता में कवि ने चंद्रोदय दिखाने की बात कही है? चंद्रोदय का दृश्य अत्यंत सुहाना लगता है। चाँदनी रात बहुत ही शीतल लगती है जो आँखों और हृदय को ठंडक पहुँचाती है।

प्रश्न 2 इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी माँ का चित्र तुम्हारे मन में उभरता है। वह बच्ची और क्या-क्या कहती होगी? क्या-क्या करती होगी? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।

उत्तर- वह बच्ची दिन भर माँ के साथ उसके आगे-पीछे घूमती होगी। वह माँ के साथ रसोई में, बैठक में, शयनागार में और छत पर जाती होगी। वह एक मिनट भी चुप नहीं रहती होगी। कई तरह के सवाल उसे माँ से पूछने होते हैं। माँ तुम क्या कर रही हो? माँ तुम क्या बना रही हो? माँ ये क्या है? माँ यह कैसे होता है? रसोई में जाकर वह माँ से जिद करती होगी कि वह भी रोटी बेलेगी। बैठक में जाकर वह कहती होगी कि वही टी.वी. चलाएगी। शयनागार में वह गंदे पैर बिस्तर पर चढ़ जाती होगी और चादर समेट देती होगी। घर भर में उसके खिलौने बिखरे पड़े रहते होंगे। छत पर जाकर वह दूर कहीं पतंग उड़ते देख माँ से उसे लाने की जिद करती होगी। रात में वह तब तक नहीं सोती होगी जब तक माँ उसके पास लेट कर उसे परियों की कहानी न सुनाए। इस प्रकार वह सारा दिन माँ को अपने में ही उलझाए रखती होगी।

प्रश्न 3 माँ अपना एक दिन कैसे गुज़ारती है? कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती है जैसे-मेहमानों के आ जाने पर, घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर या त्योहार के दिन। इन अवसरों पर माँ की दिनचर्या पर क्या फ़र्क पड़ता है? सोचो और लिखो।

उत्तर- ऐसे अवसरों पर माँ की व्यस्तता बढ़ जाती है। मेहमान के घर में होने पर माँ पहले उनके लिए विशेष भोजन का प्रबन्ध करती है। उनकी जरूरतों का ध्यान पहले रखना पड़ता है। घर के बच्चों या अन्य सदस्यों की जरूरत बाद में देखी जाती है। इसी तरह किसी के बीमार होने पर माँ पहली प्राथमिकता उस बीमार सदस्य की देखरेख में देती है। त्योहार के दिनों में माँ त्योहार की तैयारी को पहले पूरी निष्ठा से देखती है। स्वाभाविक रूप से इन विशेष अवसरों पर उसकी प्राथमिकता की परिभाषा बदल जाती है। अतः सामान्य दिनचर्या में फर्क आ जाता है।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 96)

प्रश्न 1 नीचे दिए गए शब्दों में अंतर बताओ, उनमें क्या फ़र्क है?

स्नेहप्रेमग्रहगृह
शांतिसन्नाटानिधननिर्धन
धूलराखसमानसामान

उत्तर-  स्नेह (छोटों के लिए प्रेम) – धूल – धूसरित बच्चे को देख मन में स्नेह उमड़ पड़ा।

प्रेम (छोटे, बड़े सभी के लिए लगाव) – राम और लक्ष्मण का प्रेम एक मिसाल है।

शांति (हलचल न होना) – सुमन, आज घर में इतनी शांति क्यों है?

सन्नाटा (चारों तरफ चुप्पी होना) – रात होते ही गाँवों में सन्नाटा फैल जाता है।

धूल (मिट्टी) – आपके चरणों की धूल माथे पर लगाने योग्य है।

राख (लकड़ी का जला भाग) – इस राख को अब नदी में मत फेंकना।

ग्रह (नक्षत्र) – सौरमंडल में नौ ग्रह हैं।

गृह (घर) – काव्य को आज गृहकार्य नहीं मिला है।

निधन (मृत्यु) – महात्मा जी के निधन से गाँव शोक में डूब गया।

निर्धन (गरीब) – निर्धन सुदामा की मदद कर कृष्ण ने उसे अपने समान बना दिया।

समान (बराबर) – धन का समान बँटवारा होने से सारा झगड़ा खत्म हो गया।

सामान (वस्तु) – घर में बिखरा सामान उठा लो।

प्रश्न 2 कविता में ‘दिन-रात’ शब्द आया है। दिन-रात का विलोम है। तुम ऐसे चार शब्दों के जोड़े सोचकर लिखो जो विलोम शब्दों से मिलकर बने हों। जोड़ों के अर्थ को समझने के लिए वाक्य भी बनाओ।

उत्तर- मित्र-शत्रु

  • मित्र- आज मेरा मित्र मेरे घर आएगा।
  • शत्रु- रावण राम को अपना शत्रु समझता था।

उठना-बैठना

  • उठना- बहुत देर हो गई अब उठना चाहिए।
  • बैठना- यह जगह साफ है। हमें यहीं बैठना चाहिए।

आगे-पीछे

  • आगे- अब और आगे मत जाना, पानी का बहाव तेज है।
  • पीछे- सुमन, जरा पीछे देखो, कौन आ रहा है?

इधर-उधर

  • इधर- मधुमिता इधर आना।
  • उधर- तुम बार-बार उधर क्यों देख रहे हो?

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