अध्याय-4: वायु

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वायुमंडल

हमारी पृथ्वी चारों ओर से वायु की घनी चादर से घिरी हुई है, जिसे वायुमंडल कहते हैं। पृथ्वी पर सभी जीव जीवित रहने के लिए वायुमंडल पर निर्भर हैं। यह हमें साँस लेने के लिए वायु प्रदान करता है एवं सूर्य की किरणों के हानिकारक प्रभाव से हमारी रक्षा करता है। यदि सुरक्षा की यह चादर न हो तो हम दिन के समय सूर्य की गर्मी से तप्त होकर जल सकते है एवं रात के समय ठंड से जम सकते हैं। अत: यह वह वायुराशि है जिसने पृथ्वी के तापमान को रहने योग्य बनाया है।

वायुमंडल का संघटन

जिस वायु का उपयोग हम साँस लेने के लिए करते हैं , वास्तव में वह अनेक गैसों का मिश्रण होती है। नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन ऐसी दो गैसों हैं, जिनसे वायुमंडल का बड़ा भाग बना है।

1. नाइट्रोजन -78% 2. ऑक्सीजन -21% 3. कार्बन डाइऑक्साइड 0.03% 4. आर्गान – 0.093%  अन्य सभी 0.04%

  1. नाइट्रोजन:- वायु में सर्वाधिक पाई जाने वाली गैस है। जब हम साँस लेते हैं तब फेफड़ो में कुछ नाइट्रोजन भी ले जाते हैं और फिर उसे बाहर बाहर निकाल देते हैं। परंतु पौधों को अपने जीवन के लिए नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।
  2. ऑक्सीजन:- वायु में प्रचुरता से मिलने वाली दूसरी गैस है। मनुष्य तथा पशु साँस लेने में वायु में ऑक्सजीन प्राप्त करते हैं। हरे पादप, प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड:- अन्य महत्वपूर्ण गैस है। हरे पादप अपने भोजन के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग करते हैं और ऑक्सीजन वापस देते हैं।

मनुष्य और पशु कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालते हैं। मनुष्यों तथा पशुओं द्वारा बाहर छोड़ी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा पादपों द्वारा प्रयोग की जाने वाली गैस के बराबर होती है जिससे संतुलन बना रहता है।

  1. आर्गान:- एक रासायनिक तत्व है। यह एक निष्क्रिय गैस है। कुछ अन्य गैस भी है हीलियम, हाइट्रोजन आदि

पृथ्वी के वायुमण्डल की संरचना

पृथ्वी के वायुमण्डल को पृथ्वी की सतह से लेकर उसके ऊपरी स्तर तक निम्नलिखित पाँच स्तरों में बाँटा गया है-

  • क्षोभमण्डल (Troposphere)
  • समतापमण्डल (Stratosphere)
  • मध्यमण्डल (Mesosphere)
  • तापमण्डल (Thermosphere)
  • बाह्यमण्डल (Exosphere)
Vayumandal Ki Parte - वायुमण्डल की परतें

क्षोभमण्डल

  • यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है, जिसकी ऊँचाई ध्रुवों पर लगभग 8 किमी. और भूमध्यरेखा पर लगभग 18 किमी. होती है|
  • सभी वायुमंडलीय या मौसमी घटनाएँ इसी मण्डल में घटित होती हैं|
  • सम्पूर्ण वायुमण्डल का 80% द्रव्यमान इसी मण्डल में उपस्थित है| वायुमंडल का लगभग 50% द्रव्यमान तो 5.6 किमी. की ऊँचाई तक ही मिलता है, जो मुख्यतः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कुछ अन्य गैसों से मिलकर बना है|
  • वायुमंडल की लगभग सम्पूर्ण जलवाष्प क्षोभमंडल में ही पायी जाती है, इसी कारण यहाँ मौसमी घटनाएँ होती हैं|
  • क्षोभमंडल में नीचे से ऊपर जाने पर 6.50C/किमी. की दर से तापमान घटता जाता है|
  • इसकी सबसे ऊपरी सीमा क्षोभमण्डल सीमा (Tropopause) कहलाती है|

समतापमण्डल

  • यह वायुमण्डल की दूसरी सबसे निचली परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 12 से 50 किमी. होती है|
  • ओज़ोन परत इसी मण्डल की ऊपरी सीमा पर पायी जाती है, जो पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है|
  • समतापमण्डल में तापमान लगभग समान रहता है लेकिन ऊँचाई बढ़ने के साथ इसका ताप बढ़ने लगता है, जिसका कारण पराबैंगनी किरणों का ओज़ोन परत द्वारा अवशोषण है|
  • वायुमण्डलीय या मौसमी घटनाएँ इस मण्डल में घटित नहीं होती हैं|
  • इसकी सबसे ऊपरी सीमा समताप सीमा (Stratopause) कहलाती है|
  • वायुयान की उड़ान हेतु यह मण्डल सर्वाधिक उपयुक्त होता है|

मध्यमण्डल

  • यह वायुमण्डल की तीसरी सबसे निचली और समतापमण्डल के ऊपर स्थित परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 50 से 80 किमी. होती है |
  • क्षोभमण्डल में नीचे से ऊपर जाने पर से तापमान घटता जाता है|
  • मध्यमण्डल की सबसे ऊपरी सीमा पृथ्वी का सबसे ठंडा स्थान है, जहाँ का औसत तापमान लगभग −85°C होता है |
  • अन्तरिक्ष से पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करने वाले लगभग सभी उल्कापिंड इस परत आकर जल जाते हैं |

तापमण्डल

  • यह मध्यमण्डल के ऊपर स्थित परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 80 से 700 किमी. होती है |
  • तापमण्डल में नीचे से ऊपर जाने पर से तापमान बढ़ता जाता है|
  • इसकी सबसे ऊपरी सीमा तापसीमा (Thermopause) कहलाती है |
  • तापमंडल की निचली परत (80 – 550 किमी.) आयनमण्डल कहलाती है क्योंकि यह परत सौर्यिक विकिरण द्वारा आयनीकृत (Ionized) हो जाती है | आयनमंडल पूरी तरह से बादल व जलवाष्प विहीन परत है | आयनमंडल से ही रेडियो तरंगें परावर्तित होकर वापस पृथ्वी की ओर लौटती हैं और रेडियो,टेलीवीजन आदि के संचार को संभव बनाती हैं | संचार उपग्रह इसी मण्डल में स्थित होते हैं |
  • उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश (aurora borealis) तथा दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश (aurora australis) की घटनाएँ तापमण्डल में ही घटित होती हैं |

बाह्यमण्डल

  • यह तापमण्डल के ऊपर स्थित परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 700 से 10,000 किमी. तक होती है |
  • यह वायु मण्डल की सबसे बाहरी परत है, जो अंततः अन्तरिक्ष में जाकर मिल जाती है |
  • बाह्यमण्डल में हाइड्रोजन व हीलियम गैस की प्रधानता होती है|

मौसम एवं जलवायु

मौसम, वायुमंडल की प्रत्येक घंटे तथा दिन-प्रतिदिन की स्थिति होती है। मौसम नाटकीय रूप से दिन-प्रतिदिन बदलता है। जलवायु दीर्घ काल में किसी स्थान का औसत मौसम, उस स्थान की जलवायु बताता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव

ग्रीन हाउस प्रभाव एक प्रक्रिया है जिसके कारण ऊष्मीय विकिरण (Thermal Radiations) किसी ग्रह पर उपस्थित कुछ विशिष्ट गैसों द्वारा अवशोषित किये जाते हैं एवं पुनः सभी दिशाओं में विकिरित किये जाते हैं। अब चूँकि इस पुनर्विकिरित विकिरणों का कुछ भाग सतह की ओर एवं निचले वातावरण की ओर भी आता है अत: यह सतह के औसत तापमान को सामान्य से बढ़ा देते हैं और यह अवशोषण और पुनर्विकिरण वातावरण में कुछ विशेष गैसों की उपस्थिति के कारण होता है, इन्हें ही ग्रीन हाउस गैसे एवं ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से होने वाली ताप वृद्धि को ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

वातावरणीय ताप वृद्धि की यह प्रक्रिया अन्य ग्रहों एवं खगोलीय पिण्डों में भी होती है परन्तु यहाँ पर केवल पृथ्वी पर इस प्रभाव के बारे में तथ्यों को सीमित रखा जा रहा है। ग्रीन हाउस प्रभाव को दो प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है जो अग्र प्रकार से हैं-

(1) प्राकृतिक ग्रीन हाउस प्रभाव-

यह एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया के कारण होने वाली वातावरणीय तापवृद्धि है जो जीवन के लिए अनिवार्य भी है।

(2) मानवीय प्रभावों के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव-

मानवीय क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण होने वाली तापवृद्धि को इस श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। मानवीय क्रियाकलापों के कारण उत्पन्न कुछ गैंसे, जिन्हें ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं, उनकी पर्यावरण/वायुमंडल में अधिकता वायुमंडल के ताप को बढ़ा देती है।

यह सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV-rays) से हमारी रक्षा करती है, किन्तु यह गम्भीरता का विषय बन गया है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस (CFC) के अत्यधिक इस्तमाल से जीवनरक्षक ओजोन पर्त में छिद्र बन गए हैं जिससे पराबैंगनी किरणें हम तक पहुँचने लगी। और उनके परिणाम मानव एवं वनस्पतियों के लिए हानिकारक होते हैं।

पृथ्वी पर सूर्य की किरणों का सन्तुलन (Earth’s Radiation Balance)

पृथ्वी पर ऊर्जा का सार्वभौमिक स्रोत सूर्य है। पृथ्वी पर सूर्य से अत्यधिक मात्रा ऊर्जा विकिरण के द्वारा आती है तथा इस ऊर्जा की दर का सन्तुलन अति आवश्यक होता है। पृथ्वी सूर्य की किरणों को 66 प्रतिशत अवशोषित कर लेती है तथा शेष 34 प्रतिशत यह वापन भेज देती है। इस प्रकार ऊर्जा का सन्तुलन बना रहता है। पृथ्वी की सतह का ताप 1°C लगभग होता है।

कार्बन डाइ-ऑक्साइड वायुमण्डल के ट्रोपोस्फीयर संस्तर में पायी जाती है। वायुमण्डल में इसकी 0.033% मात्रा पायी जाती है। CO2 गैस सबसे अधिक मात्रा में वातावरण को प्रदूषित करती है। सूर्य से आने वाली प्रकाश एवं ताप किरणों को CO2, तथा H2O द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिसमें पृथ्वी की सतह का ताप कई गुना बढ़ जाता हैं इस क्रिया को ‘हरितगृह प्रभाव’ (Green house effect) कहते हैं।

लकड़ी, कोयले एवं जीवाश्म ईंधन मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थों आदि के जलने से भी वातावरण में O2 की मात्रा कम होने लगती है तथा CO2 की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे हरितगृह प्रभाव (Green house effect) प्रभावित होता है एवं वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है।

इस प्रकार वातावरण को हरितगृह के प्रभाव तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस की मात्रा में कमी लाने के लिए एवं वातावरण को दूषित होने से बचाने के लिए यह आवश्यक है कि अधिक-से-अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाए जाएं तथा उन्हें कटने से रोका जाए साथ-ही-साथ हरितगृह गैसों का उत्सर्जन कम-से-कम किया जाए।

तापमान

वायु में मौजूद ताप एवं शीतलता के परिमाण को तापमान कहते हैं। वायुमंडल का तापमान ऋतुओं के अनुसार भी बदलता है।

आतपन:- सूर्य से आने वाली वह ऊर्जा जिसे पृथ्वी रोक लेती है, आतपन कहलाती है।

  • आतपन (सूर्यातप) की मात्रा भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर घटती है। इसलिए ध्रुव बर्फ़ से ढँके हुए है।
  • इसी कारण नगर के भीड़ वाले ऊँचे भवन गर्म वायु को रोक लेते हैं, जिससे नगरों का तापमान बढ़ जाता है।
  • गाँवों की अपेक्षा नगरों का तापमान बहुत अधिक होता है।
  • दिन के समय में ऐसाफेल्ट से बनी सड़के एवं धातु और कंक्रीट से बने भवन गर्म हो जाते हैं।
  • रात के समय यह ऊष्मा मुक्त हो जाती है।

वायु दाब

पृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब, वायु दाब कहलाता है। वायु हमारे शरीर पर उच्च दाब के साथ बल लगाती है। किंतु हम इसका अनुभव नहीं करते यह इसलिए होता है, क्योंकि वायु का दाब हमारे ऊपर सभी दिशाओं से लगाता है, और हमारा शरीर विपरीत बल लगाता है।

  • वायुमंडल में ऊपर की और जाने पर वायु  पर दाब तेज़ी से गिरने लगता है।
  • समुद्र स्तर पर वायु दाब का क्षैतिज विवरण किसी स्थान पर उपस्थित वायु के तप द्वारा प्रभावित होता है।
  • वायु सदैव उच्च दाब से निम्न दाब क्षेत्र की और गमन करती है।

पवन:- उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब क्षेत्र की ओर वायु की गति को ‘ पवन ‘ कहते हैं।

पवन के प्रकार–

  1. 1.स्थायी पवनें:- व्यापारिक पश्चिमी एवं पूर्वी पवनें हैं। ये वर्षभर लगातार निश्चित दिशा में चलती हैं।
  2. मौसमी पवनें:– ये पवनें विभन्न ऋतुओं में अपनी दिशा बदलती रहती है। उदाहरण के लिए -भारत में मानसूनी पवनें। भारत में मानसूनी पवनें।
  3. स्थानीय पवनें:- ये पवनें किसी छोटे क्षेत्र में वर्ष या दिन के किसी विशेष समय में चलती हैं। उदाहरण के लिए -स्थल एवं समुद्री समीर। भारत के उत्तरी क्षेत्र की गर्म एवं शुष्क स्थानीय पवनो को ‘लू ‘ कहते है।

आर्द्रता:- वायु में किसी भी समय जलवाष्प मात्रा को ‘आर्द्रता ‘कहते है।

  • जब वायु में जलवाष्प की मात्रा अत्यधिक होती है, तो उसे आर्द्र कहते है।
  • जब वायु में जलवाष्प की मात्रा कम होती है, तो उसे शुष्क कहते है।

जब जलवाष्प ऊपर उठता है , तो यह ठंडा होना शुरू हो जाता है। जलवाष्प संघनित होकर जल की बूँद बनाते। बादल इन्हीं जल बूँदो का ही एक समूह होता है। जब जल की ये बूँदे इतनी भारी हो जाती हैं कि वायु में तैर न सके ,तब ये वर्षण के रूप में नीचे आ जाती हैं।

वर्षा:– पृथ्वी पर जल के रूप में गिरने वाला वर्षण, वर्षा कहलाता है।

  • ज़्यादातर भौम जल , वर्षा जल से ही प्राप्त होता है।
  • क्रियाविधि आधार पर वर्षा के तीन प्रकार होते है : संवहनी वर्षा, पर्वतीय वर्षा एवं चक्रवाती वर्षा।

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प्रश्न (पृष्ठ संख्या 27)

प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

  1. वायुमंडल क्या है ?
  2. वायुमंडल का अधिकतर भाग किन दो गैसों से बना है ?
  3. वायुमंडल में कौन – सी गैस हरित गृह प्रभाव पैदा करती है ?
  4. मौसम किसे कहते है ?
  5. वर्षा के तीन प्रकार लिखें।
  6. वायुदाब क्या है ?

उत्तर –

  1. हमारी पृथ्वी चारों ओर से वायु की घनी चादर से घिरी हुई है जिसे वायुमंडल कहते हैं। पृथ्वी पर सभी जीव जीवित रहने के लिए वायुमंडल पर निर्भर हैं। यह हमें साँस लेने के लिए वायु प्रदान करता है एवं सूर्य की किरणों के हानिकारक प्रभाव से हमारी रक्षा करता है। यदि सुरक्षा की यह चादर न हो तो हम दिन के समय सूर्य की गर्मी से तप्त होकर जल सकते है एवं रात के समय ठंड से जम सकते हैं। अत : यह वह वायुराशि है जिसने पृथ्वी के तापमान को रहने योग्य बनाया है।
  2. वास्तव में वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण है। लेकिन नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन ऐसी दो गैसे हैं, जिनसे वायुमंडल का बड़ा भाग बना है।
  1. कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन।
  2. “ क्या आज वर्षा होगी ?” “ क्या आज दिन साफ़ होगा और धूप निकलगी ? “ कितनी ही बार हमने क्रिकेट प्रेमियों के मुँह से एकदिवसीय मैच के भविष्य पर अनुमान लगाते सुना होगा ? यदि हम कल्पना करें कि हमारा शरीर एक रेडियो है और मस्तिष्क उसके स्पीकर, तो मौसम वह है जो इसके नियंत्रण बटनों से छेड़छाड़ करता रहता है। मौसम, वायुमंडल की प्रत्येक घंटे तथा दिन – प्रतिदिन की स्थिति होती है। मौसम नाटकीय रूप से दिन – प्रतिदिन बदलता है। किंतु दीर्घ काल में या किसी स्थान का औसत मौसम, उस स्थान की जलवायु बताता है।
  3. पृथ्वी पर जल के रूप में गिरने वाला वर्षण, वर्षा कहलाता है। क्रियाविधि आधार पर वर्षा के तीन प्रकार होते हैं : संवहनीय वर्षा, पर्वतीय वर्षा एवं चक्रवाती वर्षा। पौधों तथा जीव – जंतुओं के जीवित रहने के लिए वर्षा बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इससे धरातल को ताजा जल प्रदान होता है। यदि वर्षा कम हो, तो जल की कमी तथा सूखा हो जाता है इसके विपरीत अगर वर्षा अधिक होती है तो बाढ़ आ जाती है।
  4. वायु हमारे शरीर पर उच्च दाब के साथ बल लगाती है। किंतु हम इसका अनुभव नहीं करते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि वायु का दाब हमारे ऊपर सभी दिशाओं से लगता है और हमारा शरीर विपरीत बल लगाता है। पृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब, वायु दाब कहलाता है। वायुमंडल में ऊपर की ओर जाने पर दाब तेजी से गिरने लगता है। समुद्र स्तर पर वायु दाब सर्वाधिक होता है और ऊँचाई पर जाने पर यह घटता जाता है। वायु दाब का क्षैतिज वितरण किसी स्थान पर उपस्थित वायु के ताप द्वारा प्रभावित होता है।

प्रश्न 2 सही (√) उत्तर चिह्नित कीजिए:-

  1. निम्नलिखित में से कौन – सी गैस हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है ?

(i) कार्बन डाइऑक्साइड (ii) नाइट्रोजन (iii) ओजोन

  1. वायुमंडल की सबसे महत्त्वपूर्ण परत है

(i) क्षोभमंडल  (ii) बाह्य वायुमंडल  (iii) मध्यमंडल

  1. वायुमंडल की निम्न परतों में कौन–सी बादल विहीन हैं ?

(i) क्षोभमंडल  (ii) समताप मंडल  (iii) मध्यमंडल

  1. वायुमंडल की परतों में जब हम ऊपर जाते हैं, तब वायुदाब

(i) बढ़ता है   (ii) घटता है    (iii) सामान रहता है

  1. जब दृष्टि तरल रूप में पृथ्वी पर आती है, उसे हम कहते है

(i) बादल     (ii) वर्षा      (iii) हिम

उत्तर –

  1. (iii) ओजोन
  2. (i) क्षोभमंडल
  3. (ii) समताप मंडल
  4. (ii) घटता है
  5. (ii) वर्षा

प्रश्न 3 निम्नलिखित स्तम्भों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए:-

उत्तर –

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प्रश्न 4 कारण बताइए :-

  1. आद्र दिन में गीले कपड़े सूखने में अधिक समय लेते हैं।
  2. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर आतपन की मात्रा घटती जाती है।

उत्तर –

  1. जब जल पृथ्वी एवं विभिन्न जलाशयों से वाष्पित होता है तो यह जलवाष्प बन जाता है। वायु में किसी भी समय जलवाष्प की मात्रा को ‘आर्द्रता’ कहते हैं। जब वायु में जलवाष्प की मात्रा अत्यधिक होती है, तो उसे हम आद्र दिन कहते हैं। जैसे – जैसे वायु गर्म होती जाती है, इसकी जलवाष्प धारण करने की क्षमता बढ़ती जाती है और इस प्रकार यह और अधिक आद्र हो जाती है। आद्र दिन में, कपड़े सूखने में काफी समय लगता है एवं हमारे शरीर से पसीना आसानी से नहीं सूखता और हम असहज महसूस करते हैं।
  2. भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है। ध्रुवों को आयु उत्तरात्मक सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है। इसलिए भूमध्य रेखा से पूर्व की ओर जाने पर आतपन की मात्रा घटती जाती है।
  3. प्रश्न (पृष्ठ संख्या 28)

प्रश्न 5 आओ खेले:-

  1. दिए गए चार्ट की मदद से वर्ग पहेली की समस्या को हल करें:-

नोट – वर्ग पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।

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  1. एक सप्ताह का मौसम कैलेंडर बनाएँ। विभिन्न प्रकार के मौसम को दिखाने के लिए चित्रों या संकेतों का उपयोग करो यदि मौसम में बदलाव आता है, तो आप एक दिन में एक से अधिक संकतों का उपयोग कर सकते है। उदाहरण के लिए – वर्षा रुकने पर सूर्य बाहर निकलता है। एक उदाहरण नीचे दिया गया है।

उत्तर –

1. 

1. Humidity                       11. Exosphere

2. Cloud                            12.  Air

3. Loo                               13. Fog

4. Weather                        14. Oxygen

5. Rain                              15. Wine

6. Peepal.                          16. Neem

7. Atmosphere                   17. Noon

8. Carbon dioxide               18. Ozone

9. Barometer                     19. Cyclone

10. Insolation

2.