अध्याय-12: वन हमारी जीवन रेखा
वनस्पति
बहुमूल्य संसाधन हैं। पौधे हमें इमारती लकड़ी देते हैं, ऑक्सीजन उत्पन्न करते है, और फल, गोंद, कागज प्रदान करते है।
पौधों को क्षेत्र, काल, विशेष वातावरण या जलवायु के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। भौगोलिक दृष्टि से प्राकृतिक वनस्पति को पर्वत अथवा समतल क्षेत्रों में अलग किया जा सकता है। फ्लोरा का अर्थ वनस्पति जीवाश्म के रूप में ऐतिहासिक बनस्पति जीवन भी हो सकता है। अन्त में, वनस्पति को विशेष वातावरण के अनुसार विभाजित किया जा सकता है:
देशी वनस्पति- एक क्षेत्र की देशीय और स्थानीय वनस्पतियां.
कृषि और उद्यान वनस्पति- मानव द्वारा समझ-बूझ कर उगाए गए पौधे.
घास वनस्पति- परंपरागत रूप से यह वर्गीकरण उन पौधों पर लागू होते हैं जो अवांछनीय माने जाते हैं और जिनका नियंत्रण या उन्मूलन करने का सुविचारित प्रयास किया जाता है। आजकल बनस्पति जीवन के वर्गीकरण की अपेक्षा पदवी का इस्तेमाल अक्सर कम होता है, इसलिए इस वर्गीकरण में तीन विभिन्न प्रकार के पौधे शामिल हैं: घास प्रजातियां, तेज़ी से फैलने वाली प्रजातियां (जो घास हो भी सकते हैं या नहीं भी) और देशी एवं गैर-घासीय प्रजाति जिनकी कृषि अवांछनीय है। कई देशी पौधे जिन्हें पहले बेकार माना जाता था वो अब बहुत फायदेमंद साबित हुए हैं या जो पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए बहुत आवश्यक हैं।
बैक्टीरिया जीवों को भी कभी कभी वनस्पतियों में शामिल किया जाता है। कभी कभी बैक्टीरिया वनस्पति एवं संयंत्र वनस्पति शब्दों का उपयोग अलग-अलग किया जाता है।
वन
”हरे-भरे वन हमारे लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितना हमारे फेफड़े हैं। अमेजन जंगल को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता हैं।
वन में अनेक खाद्य श्रृंखलाएँ पाई जाती हैं। सभी खाद्य श्रृंखलाएँ परस्पर सबंद्ध होती हैं। यदि किसी एक खाद्य श्रृंखला में कोई विघ्न पड़ता है तो यह अन्यशृंखलाओं को प्रभावित करता है। वन का प्रत्येक भाग अन्य भागों पर निर्भर होता है। यदि हम वन के किसी घटक; जैसे वृक्ष को अलग कर दें तो इसमें अन्य सभी घटक प्रभावित होते हैं। वन-भूमि की सतह पर से क्षयमान पत्तियों पर नन्हें कीटों, मिलीपीडो (सहस्रपादो), चीटों और भृंगों की सेना भी रहती है। कुछ आसानी से देखे जा सकते हैं जबकि कुछ सूक्ष्मजीवी ऐसे भी हैं, जो मृदा के भीतर रहते हैं। ये जीव मृत पादपों और जंतु ऊतकों को खाते हैं और उन्हें एक गहरे रंग के पदार्थ में परिवर्तित कर देते हैं जिसे ह्यूमस कहते हैं। पादपों और जंतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्म जीव, अपघटक कहलाते हैं। इस प्रकार के सूक्ष्म जीव वन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मृत पादपों और जंतुओं के पोषक तत्व मृदा में निर्मुक्त होते रहते हैं। वहाँ से ये पोषक तत्व पुन: सजीव पादपों के मूलों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। वनों को हरे फेफड़े कहा जाता है क्योंकि पादप प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम द्वारा ऑक्सीजन निर्मुक्त करते हैं। इसप्रकार पादप जंतुओं के श्वसन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं। वे वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन इाइऑक्साइड के संतुलन को भी बनाए रखते हैं इसलिए वनों हो हरे फेफड़े कहा जाता है।
प्राकृतिक वनस्पति का वितरण :- विश्व में प्राकृतिक वनस्पति का वितरण तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करता है। इन्हीं कारकों पर वनस्पति की वृद्धि निर्भर करती है। इस आधार पर विश्व की वनस्पति के मुख्य प्रकारों को निम्न चार वर्गों में रखा जा सकता है
(1) वन-भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में विशाल वृक्ष उग सकते हैं। इस प्रकार वन प्रचुर जल आपूर्ति वाले क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं। जैसे-जैसे आर्द्रता कम होती है वैसे-वैसे वृक्षों का आकार और उनकी सघनता कम हो जाती है।
(2)घास स्थल-सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे आकार वाले वृक्ष और घास उगती है जिससे विश्व के घास स्थलों का निर्माण होता है।
(3) गुल्म-कम वर्षा वाले शुष्क प्रदेशों में कैंटीली झाड़ियाँ एवं गुल्म उगते हैं। इस प्रकार के क्षेत्रों में पौधों की जड़ें गहरी होती हैं। वाष्पोत्सर्जन से होने वाली आर्द्रता की हानि को घटाने के लिए इन पेड़ों की पत्तियाँ काँटेदार और मोमी सतह वाली होती हैं।
(4) टुंड्रा वनस्पति-यह शीत ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती है। टुंड्रा वनस्पति में मॉस और लाइकेन सम्मिलित हैं।
वनो के प्रकार
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन
इन वनों को उष्णकटिबंधीय वर्षा वन भी कहते हैं। ये घने वन भूमध्य रेखा एवं उष्णकटिबंध के पास पाए जाते हैं। ये क्षेत्र गर्म होते हैं एवं पूरे वर्ष यहाँ अत्यध्कि वर्षा होती है। चूँकि यहाँ का मौसम कभी शुष्क नहीं होता, इसलिए यहाँ के पेड़ों की पत्तियाँ पूरी तरह नहीं झड़ती। इसलिए इन्हें सदाबहार कहते हैं। काफी घने वृक्षों की मोटी वितान के कारण दिन के समय भी सूर्य का प्रकाश वन वेफ अंदर तक नहीं पहुँच पाता है। आमतौर पर यहाँ दृढ़ काष्ठ वृक्ष जैसे रोशवुड, आबनूस, महोगनी आदि पाए जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन मानसूनी वन होते हैं जो भारत, उत्तरी आस्ट्रेलिया एवं मध्य अमेरिका के बड़े हिस्सों में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में मौसमी परिवर्तन होते रहते हैं। जल संरक्षित रखने के लिए शुष्क मौसम में यहाँ के वृक्ष पत्तियाँ झाड़ देते हैं। इन वनों में पाए जाने वाले दृढ़ काष्ठ वृक्षों में साल, सागवान, नीम तथा शीशम हैं। दृढ़ काष्ठ वृक्ष फर्नीचर, यातायात एवं निर्माण सामग्री बनाने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इन वनो में आमतौर पर पाए जाने वाले जानवर हैं बाघ, शेर, हाथी, गोल्डन लंगूर एवं बंदर आदि।
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
शीतोष्ण सदाबहार वन
शीतोष्ण सदाबहार वन मध्य अक्षांश के तटीय प्रदेशों में स्थित हैं। ये सामान्यतः महाद्वीपों के पूर्वी किनारों पर पाए जाते हैं, जैसे दक्षिण-पूर्वी अमेरिका, दक्षिण चीन एवं दक्षिण-पूर्वी ब्राजील। यहाँ बांज, चीड़ एवं यूकेलिप्टस जैसे दृढ़ एवं मुलायम दोनों प्रकार के पेड़ पाए जाते हैं।
शीतोष्ण सदाबहार वन
शीतोष्ण पर्णपाती वन
उच्च अक्षांश की ओर बढ़ने पर अधिक शीतोष्ण पर्णपाती वन मिलते हैं। ये उत्तर-पूर्वी अमेरिका, चीन, न्यूज़ीलैंड, चिली एवं पश्चिमी यूरोप के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं। ये अपनी पत्तियाँ शुष्क मौसम में झाड़ देते हैं। यहाँ पाए जाने वाले पेड़ हैं बांज, ऐश, बीच, आदि। हिरण, लोमड़ी, भेड़िये, यहाँ के आम जानवर हैं। फीजेंट तथा मोनाल जैसे पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं।
शीतोष्ण पर्णपाती वन
भूमध्यसागरीय वनस्पति
आप जान चुके हैं कि महाद्वीपों के पूर्व एवं उत्तर-पूर्वी किनारों के अधिकांश भाग शीतोष्ण सदाबहार एवं पर्णपाती पेड़ों से ढ़ँके हैं। महाद्वीपों के पश्चिमी एवं दक्षिण-पश्चिमी किनारे भिन्न हैं। यहाँ भूमध्यसागरीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। यह अधिकतर यूरोप, अफ्रीका एवं एशिया के भूमध्यसागर के समीप वाले प्रदेशों में पाई जाती हैं। इसलिए इसका यह नाम पड़ा। ये वनस्पतियाँ भूमध्यसागर के बाहरी प्रदेशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका के केलिफोर्निया, दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका एवं दक्षिण-पश्चिम आस्ट्रेलिया में भी पाई जाती है। इन प्रदेशों में गर्म-शुष्क ग्रीष्म एवं वर्षा वाली मृदु शीत ऋतुएँ होती हैं। इन क्षेत्रों में आमतौर पर संतरा, अंजीर, जैतून एवं अंगूर जैसे निंबु-वंश (सिट्रस) के फल पैदा किए जाते हैं, क्योंकि लोगों ने अपनी इच्छानुसार कृषि करने के लिए यहाँ की प्राकृतिक वनस्पति को हटा दिया है। यहाँ वन्य जीवन कम है।
भूमध्यसागरीय वनस्पतियाँ
शंकुधारी वन
उत्तरी गोलार्ध्द के उच्च अक्षांशो (50° – 70°) मे भव्य शंकुधारी वन पाये जाते है। इन्हे टैगा भी कहते है। ये वन अधिक उचाइयो पर ही पाये जाते है। ये लम्बे नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते है। इन वृक्षो के काष्ठ का उपयोग माचिस एव पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है। चीड, देवदार आदि इन वनो के मुख्य पेड है। यहाँ सामान्यत रजत लोमडी, मिंक ध्रुवीय भालू जैसे जानवर पाये जाते है।
शंकुधारी वन
हिमाच्छादित शंकुधारी वन
भारत सरकार ने सन 1952 में वन संरक्षण नीति लागू किया वन्य प्राणी अधिनियम सन 1972 में लागू हुआ।
राष्ट्रीय कृषि आयोग ने (सन 1976-1979) सामाजिक वानिकी को तीन भागों में बांटा है
1.फार्म वानिकी।
2. शहरी वानिकी।
3.ग्रामीण वानिकी।
देश का कुल वन आवरण 7,12,249 वर्ग किमी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 67% है। देश का वृक्ष आवरण 95,027 वर्ग किमी. है, जो भौगोलिक क्षेत्र का 2.89% है। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग’ का मुख्यालय उत्तराखंड के देहरादून में है जिसकी स्थापना जून 1981 में की गई।
15 वीं वन रिपोर्ट 2017 के आधार पर भारत के 24.39% क्षेत्रफल पर वन है। यह रिपोर्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निकाली जाती है।
भारत में छ: प्रकार के वन समूह हैं
- जैसे आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन,
- शुष्क उष्णकटिबंधीय,
- पर्वतीय उप-उष्णकटिबंधीय,
- उप-अल्पाइन,
- उप शीतोष्ण
- शीतोष्ण जिन्हें 16 मुख्य वन प्रकारों में उपविभाजित किया गया है।
पृथ्वी के 31% भूमि पर वन है और भारत में 24% भूमि पर वन हैं। वनों से हम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में अनेक लाभ प्राप्त करते हैं, जैसे – प्रत्यक्ष लाभ स्वरूप हम वनों से इमारती काष्ठ, जलाऊ ईंधन, पशुओं के लिए चारा, गोंद, लाख, फल, जड़ी – बूटियाँ आदि प्राप्त करते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप में वन वर्षा, बाढ़ की रोकथाम करते हैं, सुन्दर अभयारण्य एवं आकर्षक पर्यटक स्थल देते हैं।
ह्यूमस :- एक गहरे रंग के पदार्थ में परिवर्तित कर देते हैं, जिसे ह्यूमस कहते हैं।
अपघटक :- पादपों और जंतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्म जीव, अपघटक कहलाते हैं। वन को हरे फेफड़े कहा जाता है। पादप ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाते हैं। यदि वह नष्ट होंगे, तो वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी, जिससे पृथ्वी का ताप बढ़ेगा।
भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग 21% वन क्षेत्र है।
वनों की उपयोगिता
1. वन वायु को शुद्ध करते हैं।
2. वन वर्षा के जल बहाने की गति को कम करते हैं तथा इस प्रकार मृदा अपरदन को रोकते हैं।
3. वन जल को वायुमण्डल में पहुँचाते हैं, जो वर्षा के रूप में भूमि पर गिरकर भौम जल में वृद्धि करता है।
4. वन मृदा की उर्वरता को बनाए रखते हैं।
5. लकड़ी का प्रयोग र्इंधन के रूप में तथा फर्नीचर, घर, नाव आदि बनाने के लिए किया जाता है।
6. वन वर्षा की मात्रा को नियंत्रित करके जलवायु को नियंत्रित करते हैं।
7. लकड़ी से ऐसीटिक अम्ल, ग्लिसरीन तथा मेथिल ऐल्कोहॉल जैसे अनेक रसायन भी प्राप्त होते हैं।
8. वन विभिन्न प्राकर के जंतुओं तथा पौधों को आवास प्रदान करते हैं।
9. वन मनुष्य को लकड़ी, रबड़, बाँस, गोंद, लाख, दवाइयाँ, फल आदि पदार्थ प्रदान करते हैं।
वनों में जंतुओं तथा पेड़–पौधों के साथ परस्पर संबंध
(1) जंतु, भोजन तथा ऑक्सीजन के लिए पेड़-पौधों पर निर्भर होते हैं।
(2) जंतु, वृक्षों पर अपना आश्रय बना लेते हैं जैसे घोंसले बनाना, अथवा जंगलों में निवास करते हैं।
(3) मनुष्य फर्नीचर, घरों आदि को बनाने के लिए पेड़ों पर निर्भर रहते हैं। पत्ते तथा शाखाएँ भी असंख्य कीटों, सरीसृपों आदि के घर होते हैं।
(4) वृक्षों द्वारा सीधे ताप तथा वर्षा में रुकावट होती है तथा जंतुओं को सुरक्षा प्राप्त होती है।
(5) विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ भी पेड़-पौधों से प्राप्त होती हैं। रबड़, गोंद, लकड़ी आदि भी वृक्षों से प्राप्त होते हैं। कपास तथा पटसन के रेशे भी पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं।
(6) पेड़-पौधे परागण के लिए जंतुओं जैसे कीटों पर निर्भर रहते हैं। जंतु फलों तथा बीजों के छितराव में सहायता करते हैं।
(7) जंतु श्वसन द्वारा कार्बन डाइ-ऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं जो पेड़-पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण के लिए उपयोग में लाई जाती है।
(8) जंतुओं के साथ पेड़-पौधों के मृत अवशेष ह्यूमस निर्माण तथा पेड़-पौधों को खनिज उपलब्ध कराने में सहायता करते हैं।
ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखने में वनों के योगदान
हम सभी जानते हैं कि सभी जीव-जन्तु श्वसन में ऑक्सीजन लेते हैं, और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर मुक्त करते हैं। इसमें ऑक्सीजन की विशाल मात्रा प्रयुक्त होती है। और कार्बन डाइऑक्साइड की विशाल मात्रा वायुमंडल में मुक्त होती है। इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि वायु में ऑक्सीजन का अनुपात घटना चाहिए और कार्बन डाइऑक्साइड का अनुपात बढ़ना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है। वायु में इनका अनुपात लगभग स्थिर रहता है।
इसका कारण यह है कि वनों में बहुत-से पेड़-पौधे पाए जाते हैं। पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर अपना भोजन स्वयं बनाते हैं और वायु में ऑक्सीजन मुक्त करते हैं। पौधे श्वसन में ऑक्सीजन का उपयोग करते है, लेकिन अपने द्वारा प्रयुक्त ऑक्सीजन की तुलना में प्रकाश-संश्लेशण द्वारा अधिक ऑक्सीजन मुक्त करते हैं। इसलिए हम कहते हैं कि पौधे ऑवसीजन मुक्त करते हैं। यह ऑक्सीजन शासन में और जीवों द्वारा प्रयुक्त ऑक्सीजन की कमी को पूरा करता है। इस प्रकार वनों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के कारण ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन वायुमंडल में बना रहता है।
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 227-229)
प्रश्न 1 समझाइए कि वन में रहने वाले जंतु किस प्रकार वनों की वृद्धि करने और पुरार्जन्न में सहायक होते हैं?
उत्तर- विभिन्न प्रकार के जानवर जंगलों में राहते हैं खाघ शृन्खला में योगदान करते हैं | निम्नलिखित गतिविधियों से पाता चलता हैंकि जैसे जानवर वन को बढ़ने और पुनजीर्वित करने में मदद करते हैं
- जानवर जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक बीजों के गिलाव में मदद करते हैं |
- पशुओं का मलमूत्र और उनके मृत शरीर जब मिट्टी में विघटित हो जाते हैं तो पौधों के लिए खाद के रूप में काम करते हैं |
- सूक्ष्मजीव, मृत पौधें और पत्तियों को खाद तथा ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर होता हैं | मिट्टी में ह्यूमस पौधे के विकास के लिए आवश्यक खनिज प्रदान करते हैं |
प्रश्न 2 समझाइए कि वन, बाढ़ की रोकथाम किस प्रकार करते हैं?
उत्तर- वन वर्षा जल के प्राकृतिक अवशोषक के रूप में कार्य करत हैं | जब बारिश का पानी पेड़ों और पौधों की पत्तियों पार गिरता हैं, तो यहा सीधे ज़मीन पार नहीं गिरता हैं | यहा धीरे-धीरे वन भूमि पार पहुंचता है और अवशोषित कर लिया जाता हैं | इस प्रकार वन न केवल जल को अवशोषित करते हैं बल्कि मिट्टी की कटाई एवं बाढ़ को भो रोकते हैं |
प्रश्न 3 अपघटक किन्हें कहते हैं? इनमें किसी दो के नाम बताइए | ये वन में क्या करते हैं?
उत्तर- सूक्ष्म जीव जो मृत पौधों और जानवरों को ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं, उन्हें अपघटक कहा जाता हैं |
उदाहरण: मशरूम और बैक्टीरिया |
अपघटक मृत पदार्थे को ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं जो वन की मिट्टी के साथ मिश्रित हो जाता हैं | यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करता हैं | इस प्रकार अपघटक मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं |
प्रश्न 4 वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन को बनाए रखने में वनों की भूमिका को समझाइए |
उत्तर- वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड के बीच संतुलन को बनाए राकहने की भूमिका निभाते हैं | वन एक आत्मनिर्भर प्रणाली की तरह काम करते हैं | जंगल में जो कुछ भी उत्पन्न होता हैं उसका उपयोग जंगल के विभिन्न घटकों द्वारा किया जाता हैं | श्वसन के दौरान पशु तथा पेड़ पौधें ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं | पौधे कार्बन डाईऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन में बदल देते हैं | यहाँ तक की कचरे को भी जंगल में उपयोगो पदार्था में बदल दिया जाता हैं |
प्रश्न 5 समझाइए कि वनों कुछ भी व्यर्थ क्यों नहीं होता हैं?
उत्तर- वन उत्कृष्ट, परिपूर्ण और प्राकृतिक पुनर्जनन कारखानों हैं | सभी जानवर, चाहे शाकाहारी हों या मासाहारी, अंतत: भोजन हैं | जानवरों और पौधों के मृत अवशोष सूक्ष्म जीवों द्वारा उपयोग किए जाते हैं और विघटित हो जाते हैं | जंगल में जो कुछ भी उत्पन्न होता हैं उसका उपयोग अंततः जंगल के विभिन्न घटकों द्वारा किया जाता हैं | वन खाघ श्रखलाओं का एक जाल बनाए रखते हैं और लगभग सभी पदार्था का उपयोग या नवीनीकरण होता रहता हैं | इसलिए एक जंगल में कुछ भी बेकार नहीं जाता हैं |
प्रश्न 6 ऐसे पाँच उत्पादों के नाम बताइए, जिन्हें हम वनों से प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
- फल और सब्जियाँ
- लकड़ी
- तारपीन, लेटेक्स (रबर का कच्चा उत्पाद)
- मसाले, राल गोद
- दवाएं एवं जड़ी बूटियाँ
प्रश्न 7 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- कीट, तितलियाँ, मधुमक्खियाँ और पक्षी, पुष्पीय पादपों की _________ में सहायता करते हैं |
- वन परिशुद्ध करते हैं __________ और ___________ को |
- शाक वन में __________ परत बनाते हैं |
- वन में क्षयमान पत्तियां और जंतुओं की लीद __________ को समृद्ध करते हैं |
उत्तर-
- परागण
- हवा और पानी
- निचली
- मिट्टी
प्रश्न 8 हमें अपने से दूर स्थित वनों से संबंधित परिस्थितयों और मुद्दों के विषय में चिंतित होने की क्यों आवश्यकता हैं?
उत्तर- वन हमारे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक हैं | हमें निम्नलिखित कारणों से वन से संबधित मुद्दों के बारे में सावधान रहना चाहिए:
- यदि जंगल नहीं हैं,तो अधिक बाढ़ और मिट्टी का कटाव होगा |
- वन वैश्विक पर्यावरण को शानदार तरीके से प्रभावित करते हैं | उदाहरण के लिए, एक विशेष क्षेत्र में काम वन क्षेत्र हमें ग्लोबल वार्मिग की और जाता हैं जो पूरी पृथ्वी को प्रभावित करत हैं |
- वन कई जानवरों के आवास हैं | वनों की कटाई इनके जीवन और पार्यावरण को ख़तरे में डालेगी |
- पेड़ और पौधों की अनुपस्थिति में, बहुत से जानवरों को भोजन और आश्रय नहीं मिलेगा |
- वन हमें बड़ी सख्या में उपयोगी उत्पाद प्रदान करते हैं जिनमें लकड़ी, फल और दवाएं शामिल हैं | ये उत्पाद प्रद – पौधों की अनुपस्थिति में उपलब्ध में उपलद्ध नहीं होगे |
प्रश्न 9 समझाइए की वनों में विभिन्न प्रक्रार के जंतुओं और पादपों के होने की आवश्यकता क्यों हैं?
उत्तर- जंगलों में रहने वाले जानवरों और पौधों की विविधता एक समृद्ध जैव विविधता का निर्माण कराती हैं | जंगल की प्रणाली में विभिन्न जानवर और पौधों अलग – अलग भूमिका निभाते हैं | उदाहरण के लिए, हरे पौधों अको खाने और मांसाहारियों को भोजन देने के लिए शाकाहारी जानवरों की आवश्यकता होती हैं | इसी तरह मांसाहारियों को भोजन और उनकी आबादी की जांच करने अन्य मांसाहारी जानवरों की आवश्यकता होती हैं | यह जैव विविधता जंगलों कों अधिक उत्पादक, स्थिर और लचीला बनती हैं |
यदि घास नहीं होती, तो सभी शाकाहारी जीव मर जाते | यदि माँसाहारी नहीं होते, तो सभी शाकाहारी पौधे कहा जाते और भोजन की कमी हो जाती | यदि कोई अपघटक नहीं है, तो पौधों और जानवरों के मृत अवशेष पर्यावरण को प्रदूषित करेगें | ऐसी जैव विविधता के कारण ही प्रकृति में संतुलन बना रहता हैं |
प्रश्न 10 चित्र 17.15 में चिकार, चित्र को नामांकित करना और तीरों द्वारा दिया दिखाना भूल गया हैं | तीरों पर दिशा को दिखाइए और चित्र को
निम्नलिखित नामों द्वारा नामांकित करिए
बादल, वर्षा, वायुमंडल, कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, पादप, जंतु, मृदा, अपघटक, मूल, भौमजल स्तर |
उत्तर-
प्रश्न 11 निम्नलिखित में से कौन सा वन उत्पाद नहीं हैं?
- गोंद
- प्लाईवुड
- सील करने की लाख
- कैरोसीन
उत्तर- d. कैरोसीन
प्रश्न 12 निम्नलिखित में से कौन सा वक्तव्य सही नहीं हैं?
- वन, मृदा को अपरदन से बचाते हैं |
- वन में पादप और जंतु एक – दूसरे पर निर्भर नहीं होते हैं |
- वन जलवायु और जलच्रक को प्रभावित करते हैं |
- मृदा, वनों की वृद्धि और पुनर्जनन में सहायक होती हैं |
उत्तर- b. वन में पादप और जंतु एक – दूसरे पर निर्भर नहीं होते हैं |
प्रश्न 13 सूक्ष्म जीवों द्वारा मृत पादपों पार क्रिया करने से बनाने वाले एक उत्पाद का नाम हैं
- बालू
- मशरूम
- ह्यूमस
- काष्ठ
उत्तर- c. ह्यूमस