अध्याय-5: रेखा एवं कोण

रेखा

किसी समतल पृष्ठ पर दो बिन्दुओ के बीच में जो आकृति बनती हैं. उसे रेखा कहा जाता हैं। रेखा का कोई प्राम्भिक और अंतिम बिंदु नहीं होता हैं। रेखा को दोनों बिन्दुओ से अनंत दुरी तक बढ़ा सकते हैं।

रेखाओं के प्रकार

रेखाएं चार प्रकार की होती हैं:

  1. क्षैतिज रेखा,
  2. ऊर्ध्वाधर रेखा,
  3. लंबवत रेखाएं
  4. समानांतर रेखाएं

कोण

कोण की परिभाषा के अनुसार दो किरणों या दो रेखाओं के मध्य का झुकाव , कोण कहलाता है |

सीधे शब्दों में कहा जाए तो जब किसी रेखाखण्ड का एक छोर किसी दूसरे रेखाखण्ड के एक छोर से मिलता है तो दोनों रेखाखण्डो के मध्य एक झुकाव उत्पन्न होता है , रेखाओं के मध्य इस झुकाव को ही कोण कहा जाता है |

इस लेख में हम कोण को θ से व्यक्त करेंगे |

कोण को ∠θ से निरुपित किया जाता है |

जिस बिंदु पर कोण का निर्माण होता है उसे हमेशा मध्य में रखा जाता है | उदाहरण के लिए –

कोणों के प्रकार (Types of Angles) परिभाषा , उदाहरण एवं चित्र सहित | PDF Download |

कोणों के प्रकार

इस लेख में हम कोणों के सभी प्रकारों का चित्र तथा उदाहरण सहित विस्तारपूर्वक अध्धयन करेंगे | कोण के प्रकारों का वर्णन परिभाषा सहित निम्न प्रकार है |

1. न्यूनकोण ( Acute Angle )

न्यूनकोण की परिभाषा के अनुसार 0° अंश तथा 90° अंश के मध्य के कोण को न्यूनकोण कहते है |

अर्थात् 0° < θ < 90°

अत: 0° से बड़ा परन्तु 90° से छोटे कोण को न्यूनकोण कहते है |

उदहारण – 30° , 45° , 60° आदि |

न्यूनकोण ( Acute Angle )

समकोण

ज्यामिति में समकोण त्रिभुज की परिभाषा एक ऐसे त्रिभुज के रूप में की जाती है जिसका एक कोण 90 अंश का (अर्थात, समकोण) हो।

समकोण के सामने वाली भुजा कर्ण कहलाती है। इसकी भुजाओं की लम्बाई के बीच में एक विशेष सम्बन्ध होता है जिसे बौधायन प्रमेय द्वारा व्यक्त किया जाता है। इसे शब्दों में इस प्रकार व्यक्त करते हैं-

अधिककोण

अधिककोण की परिभाषा के अनुसार 90° अंश तथा 180° अंश के मध्य के कोण को अधिककोण कहते है |

90° < θ < 180°

अत: 90° से बड़ा परन्तु 180° से छोटा कोण अधिककोण कहलाता है |

अधिककोण ( Obtuse Angle )

त्रिभुज

तीन भुजाओं से बनी एक बन्द आकृति को त्रिभुज कहते हैं। त्रिभुज में तीन भुजाएँ, तीन कोण और तीन शीर्ष होते हैं। त्रिभुज सबसे कम भुजाओं वाला एक बहुभुज हैं। त्रिभुज के तीनों आन्तरिक कोणों का योग 180° होता हैं।

त्रिभुज की भुजाओं को A, B, और C के नामों से प्रदर्शित किया जाता हैं। तथा कोणों को ∠A,

त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ × आधार × ऊँचाई

∠B, और ∠C द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं।

चतुर्भुज

Shape, polygon

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चार सरल रेखाओं से घिरी बन्द आकृति को चतुर्भुज (Quadrilateral) कहते हैं। यूक्लिडियन समतल ज्यामिति में, चतुर्भुज एक बहुभुज है जिसमें चार किनारे (या भुजा) और चार शीर्ष (या कोने) होते हैं।

चतुर्भुज सरल (स्वप्रतिच्छेदी नहीं) या जटिल (स्वप्रतिच्छेदी) होते हैं। सरल चतुर्भुज उत्तल या अवतल होते हैं।

एक साधारण (और समतलीय) चतुर्भुज ABCD के आंतरिक कोणों का योग 360° होता है, अर्थात-

Shape

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भुजाएँ व शीर्षों की संख्या 4

सभी आंतरिक कोणों का योग 360°

∠A + ∠B + ∠C + ∠D = 360°

चतुर्भुज के सूत्र

चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × विकर्णों का गुणनफल

चतुर्भुज के क्षेत्रफल = ½ × d(h₁ + h₂)

वृत्त

वह घिरा हुआ तल जो एक निश्चित बिंदु से हमेशा समदूरस्थ होता हैं वृत्त कहलाता हैं। अर्थात किसी निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिन्दुपथ वृत्त कहलाता हैं। वृत्त के वक्र समतल आतंरिक एवं बाह्य को दो भागों में विभाजित किया जाता हैं।

वृत्त एक ऐसी बिंदु का बिंदुपथ हैं, जो इस तरह घूमता हैं कि उसकी दूरी एक स्थिर बिंदु से सदैव बराबर रहती हैं स्थिर बिंदु को वृत्त का केंद्र, अचल दूरी को वृत्त की त्रिज्या तथा बिंदु पथ को परिधि कहते हैं।

केंद्र से गुजरने वाली वह सीधी रेखा जो वृत्त को दो बराबर भागों में विभक्त करती हैं वृत्त का व्यास कहलाती हैं वृत्त का व्यास उसकी त्रिज्या का दोगुना होता हैं।

किसी वृत्त की परिधि की लम्बाई उसकी व्यास की लम्बाई की लगभग 22/7 गुना होती हैं इसे ग्रीक अक्षर π द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं अक्षर π को हिंदी में पाई पढ़ा जाता हैं।

जहाँ π = परिधि/व्यास = 22/7 = 3.1428571 होता हैं।

वृत्त के सूत्र

  • वृत्त का व्यास = 2r
  • वृत्त की परिधि = 2πr
  • वृत्त की परिधि = πd
  • वृत्त का क्षेत्रफल = πr²
  • वृत्त की त्रिज्या = √वृत्त का क्षेत्रफल/π
Shape, polygon

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वृत्त के भाग

एक वृत्त में पदों और उनके गुणों के आधार पर अलग-अलग भाग होते हैं चलिए नीचे दिए विभिन्न भागों को पढ़ते और समझते हैं।

1. केंद्र किसे कहते हैं

वह बिंदु जो वृत्त के सभी बिंदुओं से समान दूरी पर स्थिर होता है।

अर्थात वह निश्चित बिंदु जो वृत्त के मध्य स्थिर होता है केंद्र कहलाता है।

2. त्रिज्या किसे कहते हैं

वृत्त में केंद्र से परिधि तक की दूरी को त्रिज्या कहते है। वृत्त में असंख्य त्रिज्याएँ होती है। सभी की लम्बाई आपस में समान होती है।

3. व्यास किसे कहते हैं

वृत्त की दो बराबर भागों में बांटने वाली रेखाखंड को व्यास कहते है।

अर्थात वृत्त में दो बिंदुओं के बीच की सबसे बड़ी दूरी व्यास कहलाती है। यह वृत्त की सबसे बड़ी जीवा भी होती है जो त्रिज्या की दोगुनी होती है।

4.अर्द्धवृत्त किसे कहते हैं

किसी वृत का अर्ध भाग अर्द्धवृत्त कहलाता हैं। इसके चाप के अन्तिम दोनों बिन्दुओं को केन्द्र से जोड़ने वाली रेखाएँ मिल कर एक ऋजु रेखा का निर्माण करती हैं।

अर्द्धवृत्त के कोण का मान सदैव 180° होता हैं। यही कोण की रेखा व्यास कहलाती है।

अर्ध वृत्त किसे कहते हैं? - Quora
अर्ध वृत्त की परिभाषा क्या होती है? - Quora

दो कोणों के बीच के सम्बन्ध को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं:

पूरक कोण

जब दो कोणों के मापों का योग 90⁰ होता है, तो ये कोण पूरक कोण कहलाते हैं। जैसे:

30⁰ + 60⁰ = 90⁰

यहाँ पर 30⁰ एवं 60⁰ एक दूसरे के पूरक कोण हैं।

रैखिक युग्म

एक रैखिक युग्म, ऐसे आसन्न कोणों का युग्म होता है जिनकी वे भुजाएँ जो उभयनिष्ठ नहीं हैं, विपरीत दिशा में किरणें होती हैं।

उर्ध्वाधर सम्मुख कोण

यदि दो रेखाएँ एक-दूसरे को एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती हैं तो उर्ध्वाधर सम्मुख कोण हमेशा होते हैं। यदि दो रेखाएँ एक-दूसरे को एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती है और यदि उर्ध्वाधर सम्मुख कोणों का एक युग्म न्यून कोण है, तो उर्ध्वाधर सम्मुख कोणों का दूसरा युग्म अधिक कोण है।

रेखा और कोण सम्बंधी अवधारणाएं और परिणाम

  1. एक कोण तब बनता है जब दो रेखाएँ या किरणें या रेखाखंड मिलते हैं या एक दूसरे को प्रतिच्छेद करती हैं।
  2. जब दो कोणों के मापों का योग 90⁰ होता हैए तो कोण होते हैं पूरक कोण कहलाते हैं। उनमें से प्रत्येक को का पूरक कहा जाता है
  3. जब दो कोणों के मापों का योग 180⁰ होता है तो कोण पूरक कोण कहलाते हैं। उनमें से प्रत्येक को दूसरे का पूरक कहा जाता है
  4. दो कोण आसन्न कोण कहलाते हैं, यदि उनका एक उभयनिष्ठ शीर्ष है और एक सामान्य भुजा लेकिन कोई सामान्य आंतरिक बिंदु नहीं।
  5. एक रैखिक युग्म आसन्न कोणों का एक युग्म होता है जिसकी गैर उभयनिष्ठ भुजाएँ विपरीत किरणें हैं।
  6. जब दो रेखाएँ प्रतिच्छेद करती हैं, तो शीर्षाभिमुख कोण इस प्रकार बनते हैं कि दोनों बराबर होते हैं। जब दो रेखाएं एक तिर्यक रेखा से काटती हैं, तो आठ कोण बनते हैं इनमें से 4 आंतरिक कोण, 4 बाहरी कोणों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  7. संगत कोणों के 4 युग्म, जिनमें 2 जोड़े आंतरिक एकांतर कोण तथा 2 जोड़े बाह्य एकांतर कोणों के और आंतरिक कोणों के दो जोड़े तथा बाह्य कोणों के दो जोड़े अनुप्रस्थ के एक ही तरफ बनाते हैं।
  8. यदि दो समानांतर रेखाएं एक तिर्यक रेखा द्वारा प्रतिच्छेद की जाती हैं, तो
  1. संगत कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
  2. एकांतर अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
  3. तिर्यक रेखा के एक ही तरफ के आंतरिक कोणों का प्रत्येक युग्म है पूरक।
  4. उपरोक्त परिणामों के विलोम भी सत्य हैं।

अवलोकन

कई प्रकार की रेखाएं होती हैं जिनका उपयोग आप अपने दैनिक जीवन में करते हैं।

उपयोग होने वाली विभिन्न रेखांए निम्नलिखित हैं।

  • रेखा
  • रेखाखण्ड
  • किरण
  • कोण

एक कोण को दो किरणों के मिलन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिनका अंत बिंदु एक ही होता है। चार प्रकार के कोण होते हैं, वे इस प्रकार हैं: • पूरक कोण

  • संपूरक कोण
  • आसन्न कोण
  • उर्ध्वाधर कोण

संबंधित कोण

  • पूरक कोण

पूरक कोण वे कोण होते हैं, जिनके दो कोणों की मापों का योग 90 अंश होता है। एक पूरक कोण में, प्रत्येक कोण दूसरे कोण का पूरक कहलाता है।

  • संपूरक कोण

संपूरक कोण वे कोण होते हैं, जिनके दो कोणों की मापों का योग 180 अंश होता है। एक संपूरक कोण में, प्रत्येक कोण दूसरे कोण का संपूरक कहलाता है।

  • आसन्न कोण

आसन्न कोण वे कोण होते हैं, जिनका एक उभयनिष्ठ शीर्ष होता है तथा एक उभयनिष्ठ भुजा होती है, किंतु कोई अंत बिंदु उभयनिष्ठ नहीं होता है। 

जिनकी भुजाएं उभयनिष्ठ नहीं होती हैं, ऐसी भुजाओं के रूप में किरणों वाले आसन्न कोणों का युग्म, एक रैखिक युग्म कहलाता है।

पीसा की झुकी हुई मीनार कोणों के रैखिक युग्म का एक अच्छा उदाहरण है। मीनार की तरफ के दो कोण एक रैखिक युग्म की रचना करते हैं।

  • उर्ध्वाधर कोण 

उर्ध्वाधर कोण वे कोण होते हैं, जिसके दो कोणों का एक शीर्ष उभयनिष्ठ होता है तथा जिसकी भुजाएं दो रेखाओं का निर्माण करती हैं। साथ ही, जब दो रेखाएं परस्पर एक दूसरे को प्रतिच्छेद करती हैं, तो इस तरह बने कोण उर्ध्वाधर सम्मुख कोण (शीर्षाभिमुख) एवं बराबर होते हैं।

प्रतिच्छेदी रेखाएं

दी हुई कोई भी दो रेखाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं।

प्रतिच्छेदी रेखाएं प्रतिच्छेदी रेखाएं वे रेखाएं होती हैं, जिनका केवल एक और केवल एक ही बिंदु उभयनिष्ठ होता है। यह उभयनिष्ठ बिंदु ‘प्रतिच्छेदन बिंदु’ कहलाता है।

तिर्यक छेदी रेखा

एक तिर्यक छेदी रेखा वह रेखा होती है, जो दो रेखाओं को भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेदित करती है। एक तिर्यक छेदी रेखा से कई कोणों की रचना की जाती है।

तिर्यक छेदी रेखा द्वारा निर्मित कोण

तिर्यक छेदी रेखा द्वारा निर्मित कोणों को नीचे सूचिबद्ध किया गया है:

  • संगत कोण
  • अंत: कोण
  • बाह्य कोण
  • एकांतर अंतः कोण
  • क्रमागत अंतः कोण
  • एकांतर बाह्य कोण
  • क्रमागत बाह्य कोण

समानांतर रेखाओं की तिर्यक छेदी रेखा

जब दो समानांतर रेखाओं को एक तिर्यक छेदी रेखा के द्वारा काटा जाता है, तब आप पाएंगे कि: 

  • संगत कोण बराबर होते हैं। 
  • एकांतर अंतः कोण का प्रत्येक युग्म समान होता है।

समानांतर रेखा

दो रेखाएं समानांतर होती हैं, यदि वे सदैव समान दूरी पर स्थित हों एवं आपस में कभी नहीं मिलती। हों। आप तिर्यक छेदी रेखा द्वारा काटकर भी इसकी जांच कर सकते हैं कि रेखाएं समानांतर हैं।

अथवा नहीं। यदि उनके संगत कोण समान होते हैं, एकांतर अंतः कोण के युग्म समान होते हैं, एवं | एकांतर अंतः कोण के युग्म संपूरक होते हैं, तब रेखाओं को समानांतर होना चाहिए।

NCERT SOLUTIONS

प्रश्नावली 5.1 (पृष्ठ संख्या 114-115)

प्रश्न 1 निम्नलिखित कोणों में से प्रत्येक का पूरक ज्ञात कीजिए:

उत्तर- क्योंकि एक कोण और इसके पूरक कोण का योग 90° होता है। अतः

  • 20° के कोण का पूरक कोण (90° – 20°) अर्थात् – 70° होगा।
  • 63° के कोण का पूरक कोण (90° – 63°) अर्थात् 27° होगा।
  • 57° के कोण का पूरक कोण (90° – 57°) अर्थात् 33° होगा।

प्रश्न 2 निम्नलिखित कोणों में से प्रत्येक का सम्पूरक ज्ञात कीजिए-

A picture containing chart

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उत्तर- क्योंकि एक कोण और इसके सम्पूरक कोण का योग 180° होता है। अतः,

  • 105° के कोण का सम्पूरक कोण (180° – 105°) अर्थात् 75° होगा।
  • 87° के कोण का सम्पूरक कोण (180° – 87°) अर्थात् 93° होगा।
  • 154° के कोण का सम्पूरक कोण (180° – 154°) अर्थात् 26° होगा।

प्रश्न 3 कोणों के निम्नलिखित युग्मों में से पूरक एवं सम्पूरक युग्मों की पृथक्-पृथक् पहचान कीजिए-

  1. 65°, 1150
  2. 63°, 27°
  3. 112°, 680
  4. 130°, 50°
  5. 45°, 450
  6. 80°, 10°

उत्तर-

  1. क्योंकि. 65° + 115° = 180°

अतः, कोणों का यह युग्म सम्पूरक है।

  1. क्योंकि 63° + 27° = 90°

अतः, कोणों का यह युग्म पूरक है।

  1. क्योंकि 112° + 68° = 180°

अतः, कोणों का यह युग्म सम्पूरक है।

  1. क्योंकि 130° + 50° = 180°

अतः, कोणों का यह युग्म सम्पूरक है।

  1. क्योंकि 45° + 45° = 90°

अतः, कोणों का यह युग्म पूरक है।

  1. क्योंकि 80° + 10° = 90°

अतः, कोणों का यह युग्म पूरक है।

प्रश्न 4 ऐसा कोण ज्ञात कीजिए जो अपने पूरक के समान हो।

उत्तर- माना ऐसे कोण की माप x° है तो इसके पूरक कोण की माप भी x° होगी।।

अतः, x° + x° = 90°

या 2x° = 90°

अतः, वांछित कोण 45° है।

प्रश्न 5 ऐसा कोण ज्ञात कीजिए जो अपने सम्पूरक के समान हो।

उत्तर- माना कि ऐसे कोण की माप x° है, तो

इसके सम्पूरक कोण की माप भी x° होगी।

क्योंकि एक कोण और इसके सम्पूरक कोण का योग 180° होता है।

अतः, x° + x° = 180°

Text

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या x° = 90°

अतः, वांछित कोण 90° है।

प्रश्न 6 दी हुई आकृति में, ∠1 एवं ∠2 सम्पूरक कोण हैं। यदि ∠1 में कमी की जाती है, तो ∠2 में क्या परिवर्तन होगा ताकि दोनों कोण फिर भी सम्पूरक ही रहें?

उत्तर- ∠1 जिस माप में घटेगा, ∠2 उसी माप में बढ़ेगा।

प्रश्न 7 क्या दो ऐसे कोण सम्पूरक हो सकते हैं यदि उनमें से दोनों

  1. न्यून कोण हैं?
  2. अधिक कोण हैं?
  3. समकोण हैं?

उत्तर-

  1. नहीं,
  2. नहीं,
  3. हाँ।

प्रश्न 8 एक कोण 45° से बड़ा है। क्या इसका पूरक कोण 45° से बड़ा है अथवा 45° के बराबर है अथवा 45° से छोटा है?

उत्तर- क्योंकि एक कोण और उसके पूरक कोण का योग 90° होता है, इसलिए

45° + x° कोण के पूरक की माप (यहाँ x > 0)

= [90° – (45° + x°)]

= 90° – 45° – x°

= 45° – x°

स्पष्टतः, 45° – x°, 45° से कम ही होगा। (यहाँ x > 0)

अतः 45° से बड़े कोण का पूरक 45° से छोटा ही होगा।

प्रश्न 9 संलग्न आकृति में,

क्या ∠1, ∠2 का आसन्न है?

  1. क्या ∠AOC, ∠AOE का आसन्न है?
  2. क्या ∠COE एवं ∠EOD रैखिक युग्म बनाते
  3. क्या ∠BOD एवं ∠DOA सम्पूरक हैं?
  4. क्या ∠1 का शीर्षाभिमुख कोण ∠4 है?
  5. ∠5 का शीर्षाभिमुख कोण क्या है?

उत्तर-

  1. हाँ
  2. नहीं
  3. हाँ
  4. हाँ
  5. हाँ
  6. (∠2 + ∠3) = ∠COB

प्रश्न 10 पहचानिए कि कोणों के कौनसे युग्म:

  1. शीर्षाभिमुख कोण हैं?
  2. रैखिक युग्म हैं?

उत्तर-

  1. शीर्षाभिमुख कोणों के युग्म हैं:

∠1, ∠4; ∠5, (∠2 + ∠3)

  1. रैखिक युग्म के कोण हैं-

∠1, ∠5; ∠4, ∠5; ∠4, (∠2 + ∠3) और ∠1, (∠2 + ∠3)

प्रश्न 11 निम्नलिखित आकृति में, क्या ∠1, ∠2 का आसन्न है? कारण लिखिए।

उत्तर- ∠1, ∠2 का आसन्न नहीं है क्योंकि इन दोनों का कोई उभयनिष्ठ शीर्ष नहीं है।

प्रश्न 12 निम्नलिखित में से प्रत्येक में कोण x,y एवं z के मान ज्ञात कीजिए।

A picture containing chart

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उत्तर-

  1. क्योंकि दी गई रेखाएँ प्रतिच्छेद करती हैं।

अतः x = 55°

[ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण]

स्पष्टत:55° + y = 180°

[क्योंकि 55° और y रैखिक युग्म के कोण हैं | या

या y = 180° – 55°

या y = 125°

और 2 = y [ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण]

या z = 125° [∵ y = 125°]

अतः, x = 55°, y = 125° और z = 125°.

  1. यहाँ 40° + x + 25° = 180° [सरल कोण]

या 65° + x = 180°

या x = 180° – 65° = 115°

और y + 40° = 180° [रैखिक युग्म]

या y = 180° – 40° = 140°

और y + z = 180° [रैखिक युग्म]

या z = 180° – y

= 180° – 140° [∵ y = 140°]

या z = 40°

अतः, x = 115°, y = 140° और z = 40°

प्रश्न 13 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

  1. यदि दो कोण पूरक हैं, तो उनके मापों का योग …………. है। .
  2. यदि दो कोण सम्पूरक हैं तो उनके मापों का योग ………….है।
  3. रैखिक युग्म बनाने वाले दो कोण …………. होते हैं।
  4. यदि दो आसन्न कोण सम्पूरक हैं, तो वे ……… बनाते हैं।
  5. यदि दो रेखाएँ एक-दूसरे को एक बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती हैं तो शीर्षाभिमुख कोण हमेशा ……….. होते हैं।
  6. यदि दो रेखाएँ एक-दूसरे को एक बिन्दु पर | प्रतिच्छेद करती हैं और यदि शीर्षाभिमुख कोणों का एक युग्म न्यून कोण है, तो शीर्षाभिमुख कोणों का दूसरा युग्मी ………….. है।

उत्तर-

  1. 90°
  2. 180°
  3. आसन्न और सम्पूरक,
  4. रैखिक युग्म,
  5. समान,
  6. अधिक कोण।

प्रश्न 14 संलग्न आकृति में निम्नलिखित कोण युग्मों को नाम दीजिए-

  1. शीर्षाभिमुख अधिक कोण
  2. आसन्न पूरक कोण
  3. समान सम्पूरक कोण
  4. असमान सम्पूरक कोण
  5. आसन्न कोण जो रैखिक युग्म नहीं बनाते हैं।

उत्तर-

  1. शीर्षाभिमुख अधिक कोण ∠AOD और ∠BOC हैं।
  2. आसन्न पूरक कोण ∠BOA और ∠AOE हैं।
  3. समान संपूरक कोण ∠BOE और ∠EOD हैं।
  4. असमान सम्पूरक कोण ∠BOA और ∠AOD, ∠BOC और ∠COD, ∠EOA और ∠EOC हैं।
  5. आसन्न कोण जो रैखिक युग्म नहीं बनाते हैं:

∠AOB और ∠AOE, ∠AOE और ∠EOD; ∠EOD और ∠COD

प्रश्नावली 5.2 (पृष्ठ संख्या 123)

प्रश्न 1 निम्नलिखित कथनों में प्रत्येक कथन में उपयोग किए गए गुणधर्म का वर्णन कीजिए (देखें आकृति)।

  1. यदि a || b, तो ∠1 = ∠5
  2. यदि ∠4 = ∠6, तो a || b
  3. यदि ∠4 + ∠5 = 180°, तो a||b

उत्तर-

  1. संगत कोण गुण।।
  2. एकान्तर कोण गुण का प्रतिलोम।
  3. तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्त:कोण सम्पूरक होते हैं का प्रतिलोम।

प्रश्न 2 आकृति में निम्नलिखित की पहचान कीजिए-

Diagram, engineering drawing

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  1. संगत कोणों के युग्म
  2. अन्तः एकान्तर कोणों के युग्म
  3. तिर्यक छेदी रेखा के एक तरफ बने अन्तःकोणों के युग्म
  4. शीर्षाभिमुख कोण।

उत्तर-

  1. ∠1, ∠5, ∠2, ∠6; ∠3, ∠7 और ∠4, ∠8 चार संगत कोणों के युग्म हैं।
  2. एकान्तर कोणों के दो युग्म हैं- ∠2, ∠8 और ∠3, ∠5
  3. तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्त:कोणों के दो युग्म हैं- ∠2, ∠5 और ∠3, ∠8
  4. शीर्षाभिमुख कोणों के चार युग्म हैं- ∠1, ∠3; ∠2, ∠4; ∠5, ∠7 और ∠6, ∠8

प्रश्न 3 संलग्न आकृति में p || q। अज्ञात कोण ज्ञात कीजिए।

Diagram

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उत्तर-  यहाँ, ∠e + 125° = 180° [रैखिक युग्म]

इसलिए ∠e = 180° – 125° = 550

∠f = ∠e = 55° [ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण]

क्योंकि p || q और t तिर्यक रेखा है, इसलिए

∠a = ∠f [एकान्तर कोण]

= 55° [∵ ∠f = 55°]

∠d = 125° [संगत कोण]

∠c = ∠a = 55°

[ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण]

और ∠b = ∠d = 125°

[ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण]

अतः, ∠a = 55°, ∠b = 125°, ∠c = 55°, ∠d = 125°, ∠e = 55° और ∠f = 55°

प्रश्न 4 यदि l ||m है, तो निम्नलिखित आकृतियों में प्रत्येक में x का मान ज्ञात कीजिए-

उत्तर-

  1. क्योंकि l || m और a तिर्यक छेदी रेखा है, इसलिए

∠x = (180° – 110) [संगत कोण, रैखिक युग्म]

= 70°

  1. यदि l || m और a एक तिर्यक छेदी रेखा है, तब

∠x = 100° [संगत कोण]

प्रश्न 5 सामने दी हुई आकृति में, दो कोणों की । भुजाएँ समान्तर हैं। यदि ∠ABC = 70°, तो

  1. ∠DGC ज्ञात कीजिए।
  2. ∠DEF ज्ञात कीजिए।

उत्तर-

  1. क्योंकि AB || ED और BC तिर्यक छेदी रेखा है,

इसलिए ∠DGC = ∠ABC [संगत कोण]

= 70°

[∵ ∠ABC = 70°, दिया है]

  1. क्योंकि BC || EF और ED तिर्यक छेदी रेखा है, इसलिए

∠DEF = ∠DGC = 70° [संगत कोण]

प्रश्न 6 नीचे दी हुई आकृतियों में निर्णय लीजिए कि क्या l, m के समान्तर है?

Diagram

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उत्तर-

  1. क्योंकि तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्त:कोण सम्पूरक नहीं हैं।

(126° + 44° = 170° ≠ 180°)

∴ l, m के समान्तर नहीं है।

  1. क्योंकि तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्त:कोणों का योग 180° नहीं है, इसलिए,

l, m के समान्तर नहीं है।

  1. क्योंकि संगत कोण समान हैं।

[57° = (180° – 123°), अर्थात् 57°], इसलिए l, m के समान्तर है।

  1. क्योंकि तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्त:कोणों का योग 180° नहीं है।

[∵ 98° + 72° = 170°]

∴ l, m के समान्तर नहीं है।