अध्याय-11: प्रकाश

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प्रकाश

हम प्रकाश के बिना वस्तुएं नहीं देख सकते हैं। प्रकाश वस्तुओं को । देखने में सहायता करता है। जो वस्तुएं स्वयं प्रकाश उत्सर्जित करती हैं, उन्हें दीप्त वस्तुएं कहते हैं। जैसे—सूर्य, तारे, जुगनू, विद्युत् का बल्ब आदि। प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है, जो हमारी आँखों को संवेदित करता है। प्रकाश स्रोत से निकलकर पहले वस्तु पर पड़ता है तथा इन वस्तुओं से लौटकर हमारी आँखों को संवेदित करके वस्तु की स्थिति का ज्ञान कराता है। तारा, सूर्य एवं अन्तरिक्ष के अन्य ग्रह प्रकाश के प्राकृतिक स्रोत है। तारों में हाइड्रोजन के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा से वे प्रकाश एवं ऊष्मा का उत्सर्जन करते है। प्रकाश की सहायता से ही हम वस्तुओं को देखते हैं। जब अंधेरे में रखी वस्तु हमें नहीं दिखाई देती है परंतु जैसे ही प्रकाश जलाया जाता है, वह प्रकाश वस्तु पर आपतित होता है  और वस्तु से परावर्तित होकर हमारी आंखों पर पड़ता है। फिर उस वस्तु का प्रतिबिंब हमारे रेटिना पर बनता है जिसके कारण हमें वस्तुएं दिखाई देने लगती हैं। प्रकाश स्वयं नहीं दिखाई देता है लेकिन वस्तुओं को देखने में सहायता प्रदान करता है।

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प्रकाश के गुण

प्रकाश विद्युत चुंबकीय विकिरणों के रूप में चलता है। या हम ये कह सकते है कि यह विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में गति करता है।

प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में गति करता है।

निर्वात में प्रकाश की चाल 3X108 की घात  मीटर प्रति सेकंड होती है। 

प्रकाश के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है इसी वजह से प्रकाश निर्वात में भी गति करता है। प्रकाश सरल रेखा में गति करता है। जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाता है तो उसकी चाल बदल जाती है। जिस कारण से अपवर्तन की घटनाएं प्राप्त होती है। प्रकाश अपारदर्शी माध्यम से नहीं गुजरता है। चमकदार सतहों तथा चमकदार चीजो से प्रकाश का परावर्तन होता है।

सूर्य का प्रकाश

वर्षा के पश्चात, जब सूर्य आकाश में क्षितिज के पास होता है। इंद्रधनुष आकाश में अनेक रंगों के एक बड़े धनुष के रूप में दिखलाई देता है।

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इंद्रधनुष में सात वर्ण होते है।लाल, नारंगी, पीला, नीला, जमुनी, तथा बैंगनी।

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प्रिज़्म सूर्य के प्रकाश की एक किरणपुंज को सात वर्णों में विभक्त कर देता है।

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दीप्त वस्तुएँ

जिन वस्तुओं का अपना प्रकाश होता है उन्हें दीप्त वस्तुएँ कहते हैं; जैसे-सूर्य, तारे, जलती मोमबत्ती, जलता बल्व आदि।

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अप्रदीप्त वस्तुएँ

जिन वस्तुओं का अपना प्रकाश नहीं होता है, उन्हें अप्रदीप्त वस्तुएँ कहते हैं; जैसे-कुर्सी, टेबल, मनुष्य आदि।

पारदर्शी वस्तु

जिस वस्तु के आर-पार देख सकते हैं, उस वस्तु को पारदर्शी वस्तु कहते हैं

जैसे :- शीश, काँच, पानी आदि।

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अर्द्ध-पारदर्शी पदार्थ

कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन पर प्रकाश की किरणें पड़ने से उनका कुछ भाग तो अवशोषित हो जाता है तथा कुछ भाग बाहर निकल जाता है। ऐसी वस्तुओं को अर्द्ध-पारदर्शक वस्तुएँ कहते हैं; जैस-तेल लगा हुआ कागज।

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पारभासी वस्तु

जिन वस्तुओं के आर-पार देख तो सकते हैं परंतु बहुत स्पष्ट नहीं, ऐसी वस्तुओं को पारभासी वस्तुएं कहते हैं।

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जैसे :- धुआँ, कोहरा, और तेल लगा कागज़ आदि।

प्रकाश का परावर्तन

दर्पण द्वारा प्रकाश की दिशा का यह परिवर्तन प्रकाश का परावर्तन कहलाता है। प्रकाश का किसी सतह से टकराकर उसी माध्यम मे वापस लौटना प्रकाश का परावर्तन कहलाता हैं। जब सूर्य का प्रकाश किसी खुरदरे पृष्ठ पर गिरता है तो सभी दिशाओं में फैल जाता है। खुरदरे पृष्ठ द्वारा प्रकाश को समान रूप से चारों ओर फैलाने के प्रभाव को विसरित परावर्तन (Pravartan) कहते हैं। अधिकांशतः हम वस्तुओं को विसरित प्रकाश से ही देखते हैं। वायुमण्डल में धूल, धुएँ के कण आदि प्रकाश को विसरित करते रहते हैं।

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उदाहरण; जब कोई चमकिली सतह या दर्पण पर प्रकाश टकराता है तो उसकी चमक हमे दिखाई देती है।

दर्पण

वह वस्तु जिसमें किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है दर्पण कहलाता है। किसी कांच की प्लेट के एक पृष्ठ पर चमकदार पदार्थ चांदी या जस्ते का लेप कर देने से बनी युक्ति दर्पण कहलाती है।

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दर्पण दो प्रकार के होते है।

  • समतल दर्पण
  • गोलीय दर्पण

समतल दर्पण

जिस दर्पण का परावर्तक पृष्ठ समतल होता है उसे समतल दर्पण कहते हैं। दर्पण के पीछे के प्रतिबिम्ब को आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं क्योंकि इसे परदे पर प्रक्षेपित नहीं किया जा सकता है। किरणें दर्पण के पीछे एक बिंदु से ही आती प्रतीत होती हैं। यदि आप दर्पण के पीछे जाते हैं, तो आप छवि नहीं देख सकते, क्योंकि किरणें नहीं हैं। हालाँकि, दर्पण के सामने, किरणें ऐसा व्यवहार करती हैं जैसे कि वे दर्पण के पीछे से आ रही हों, इसलिए दर्पण के सामने एक आभासी छवि बनती है। जैसे:- इसका उपयोग घरों में चेहरा देखने के काम आता है।  A M B U L A N C E (पीछे का दृश्य दिखाने वाला दर्पण) स्पष्ट पढ़ सकते है।

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जैसे : इसका उपयोग घरों में चेहरा देखने के काम आता है।

गोलीय दर्पण

गोलीय दर्पण कांच के खोखले गोले का भाग होता है, जिसकी एक सतह पर पॉलिश की जाती है । गोलीय दर्पण उस खोखले गोले का भाग होता है जिसके एक तल उभरा हुआ तथा दूसरा तल दबा हुआ हेाता है। इसमे एक सतह को चांदी अथवा पारे से पालिश कर दिया जाता है जिससे दूसरी सतह चमकदार हो जाती है। गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है। समतल दर्पण के अतिरिक्त ऐसे दर्पण भी होते हैं जिनके किनारे गोलाकार अर्थात् पृष्ठ वक्र होते। हैं इस तरह के दर्पणों में हमें प्रतिबिंब एक विभिन्न आकृति की तरह दिखाई देता है। प्रतिबिंब की आकृति दर्पण के वक्र पृष्ठ की प्रकृति पर निर्भर करती है।

What Would You See If You Stepped Inside A Spherical Mirror? » Science ABC

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है।

  • अवतल दर्पण
  • उतल दर्पण

अवतल दर्पण

इस दर्पण में परावर्तक सतह अंदर की ओर से उभरा हुआ रहता है। अवतल दर्पण का उपयोग गाड़ी के हेडलाइट एवं सर्च लाइट में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है । दाढी तथा बाल बनाने (हजामती दर्पण) वाले सीसे के रूप मे किया जाता है।

  • अवतल दर्पण का उपयोग दांत, नाक, कान, आंख, गला वाले डाक्‍टरो के द्वारा आंतरिक अंगो का सही से देखने मे किया जाता है।
  • परार्तक दूरदर्शी बनाने मे प्रयोग किया जाता है।
  • सोलर कुकर मे परावर्तक दर्पण के रूप मे अवतल दर्पण प्रयोग में लाया जाता है।
  • परावर्तक दूरदर्शी मैं इससे वेदन क्षमता बढ़ जाती है।
  • शिकार के लिए प्रयुक्त टॉर्च में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।
  • निकट दृष्टि दोष (Myopia) के निवारण में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है।
Difference Between Convex and Concave Mirror (with Comparison Chart) - Key  Differences

उत्तल दर्पण

इस दर्पण में परावर्तक सतह बाहर की ओर से उभरा हुआ रहता है। उत्तल दर्पण का उपयोग इसका उपयोग गाड़ी में चालक की सीट के पीछे के दृश्य को देखने में किया जाता है। उत्तल दर्पण के दृष्टि क्षेत्र अधिक होता है उत्तल दर्पण द्वारा काफी बड़े क्षेत्र की वस्तु के प्रतिबिंब एक छोटे से क्षेत्र में बन जाता है। वाहन में पिछे का दृश्य देखने के लिए साइड मिरर के रूप में प्रयोग किया जाता है। गाडियो व सडको पर लगे साइड लैम्‍पो मे प्रयोग किया जाता है। सजावट कार्यों के लिए सजावट कार्यों के लिए उत्तल दर्पण प्रयुक्त करते हैं क्योंकि इसके द्वारा आसपास की वस्तुओं के निर्मित छोटे-छोटे प्रतिबिंब अत्यधिक सुंदर लगते हैं सड़कों पर प्रकाश लैंपो में सड़क पर प्रकाश को फैलाने के लिए प्रकाश लैंपो में उत्तल दर्पण का उपयोग किया जाता है।

Difference Between Convex and Concave Mirror (with Comparison Chart) - Key  Differences

लेंस

यह बहुत छोटे प्रिंट को पढ़ने के लिए उपयोग किया जाता है। लेंसों का उपयोग व्यापक रूप में चश्मों , दूरबीनों , सूक्ष्मदर्शियों में किया जाता है। लेंस पारदर्शी होते है इनमें प्रकाश गुजर सकता है। लेंस वह युक्ति है जो एक या एक से अधिक पारदर्शी माध्‍यमों से मिल कर बनता है। उसे लेंस कहते है।

उत्तल लेंस

जो किनारों की अपेक्षा बीच में मोटे प्रतीत होते है। ऐसा लेंस जो किनारो पर पतला व बीच में मोटा होता है, उसे उत्तल लेंस कहते है। उत्तल लेंस समांतर आने वाली प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर केन्द्रित (अभिसारित) करता है। इसी कारण इसे अभिसारी लेंस भी कहते है। मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश किरणें उत्तल लेंस से अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिंदु पर एकत्रित होती है, उसे उत्तल लेंस का फोकस बिंदु (F) कहते हैं।

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प्रयोग– एक उत्तल लेंस तथा एक कागज लीजिए। सूर्य का प्रकाश उत्तल लेंस से गुजार कर कागज पर इस प्रकार डालिए कि वह एक बिंदु पर केंद्रित हो जाए। तब तक रूके रहिए जब तक कि कागज जलने न लग जाए.

उत्तल लेस के प्रकार-

बनावट के आधार पर उत्तल लेंस को तीन भागों में बांटा जा सकता है जो निम्नलिखित हैं

  • उभयोत्तल लेंस
  • समतलोत्तल लेंस
  • अवतलोत्तल लेंस

अवतल लेंस

जो किनारों की अपेक्षा बीच मे पतले होते है। ऐसा लेंस जो किनारो पर मोटा व बीच में से पतला हो,अवतल लेंस कहलाता है। यह लेंस समांतर आने वाली प्रकाश किरणों को फैला देता है (अपसारित करता है) इसी कारण इस लेंस को अपसारी लेंस भी कहते हैं। समान्तर किरणों को अपवर्तन के पश्चात अपसारित कर देते है। इन अपवर्तित किरणों को पीछे की ओर बढा़ने पर वे मिलती हुई प्रतीत होती हैं। 

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लेंस में से गुजरने वाली प्रकाश किरणें अपने पथ से विचलित हो जाती है। अतः हम कह सकते हैं कि लेंस प्रकाश का अपवर्तन करता है।

अवतल लेंस के प्रकार

अवतल लेंस भी तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं

  • उभयावतल लेंस
  • समतलावतल लेंस
  • उत्तलावतल लेंस

NCERT SOLUTIONS

प्रश्न (पृष्ठ संख्या 198-200)

प्रश्न 1 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर न प्राप्त किया जा सके, वह _______ कहलाता हैं |

(ख) यदि प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा साइज़ में छोटा हो, तो यह किसी उत्तल ________ द्वारा बना होगा |

(ग) यदि प्रतिबिंब सदैव बिंब के साइज़ का बने, तो दर्पण ________ होगा | 

(घ) जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सके, वह _________ प्रतिबिंब कहलाता हैं |

(ड) अवतल ________ द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता |

उत्तर-

(क) आभासी |

(ख) दर्पण |

(ग) समतल |

(घ) वास्तविक |

(ड) लेंस |

प्रश्न 2 निम्नलिखित वक्तव्य ‘सत्य’ हैं अथवा ‘असत्य’-

(क) हम उत्तल दर्पण से आवर्धित अता सीधा प्रतिबिंब प्राप्त करे सकते हैं |

(ख) अवतल लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं |

(ग) अवतल दर्पण से हम वास्तविक, आवर्धित तथा उल्टा प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं |

(घ) वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता |

(ड) अवतल दर्पण सदैव वास्तविक प्रतिबिंब बनता हैं |

उत्तर-

(क) असत्य

(ख) सत्य

(ग) सत्य

(घ) असत्य

(ड) असत्य

प्रश्न 3 कॉलम A में दी गए शब्दों का मिलान कॉलम B के एक अथवा अधिक कथनों से कीजिए |

कॉलम Aकॉलम B
(क) समतल दर्पण(i) आवर्धक लेंस की भाँति उपयोग होता है।
(ख) उत्तल दर्पण(ii) अधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना सकता है।
(ग) उत्तल लेंस(iii) दंत चिकित्सक दांतों का आवर्धित प्रतिबिंब देखने के लिए उपयोगी करते हैं।
(घ) अवतल दर्पण(iv) उल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सकता है।
(च) अवतल लेंस(v) प्रतिबिंब सीधा तथा बिंब के साइज़ का प्रतिबिंब बनता है।
 (vi) सीधा तथा बिंब के साइज़ से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

उत्तर-

कॉलम Aकॉलम B
(क) समतल दर्पण(v) प्रतिबिंब सीधा तथा बिंब के साइज़ का प्रतिबिंब बनता है। 
(ख) उत्तल दर्पण(ii) अधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना सकता है।
(vi) सीधा तथा बिंब के साइज़ से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।
(ग) उत्तल लेंस(i) आवर्धक लेंस की भाँति उपयोग होता है।
(iv) उल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सकता है।
(घ) अवतल दर्पण(iii) दंत चिकित्सक दांतों का आवर्धित प्रतिबिंब देखने के लिए उपयोगी करते हैं।
(iv) उल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सकता है।
(च) अवतल लेंस(vi) सीधा तथा बिंब के साइज़ से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

प्रश्न 4. समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब के अभिलक्षण लिखिए |

उत्तर- एक समतल दर्पण द्वारा निर्मित छवि के अभिलक्षण लिखिए

  • आभासी और सीधा |
  • दर्पण के पीछे |
  • छवि का आकर वस्तु के आकर के बराबर हैं |
  • पार्श्व उलटी छवि |
  • दर्पण के पीछे, दर्पण से छवि की दूरी दर्पण के सामने, दर्पण से वास्तु कि दूरी के बराबर हैं |

प्रश्न 5 अंग्रेजी या अन्य कोई भाषा, जिसको आपको ज्ञान हैं, की वर्णमाला के उन अक्षरों का पता लगाइए, जिनाके समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब बिल्कुल अक्षरों के सद्द्श्य लगते हैं | अपने परिणामों की विवेचना कीजिए |

उत्तर- अंग्रेजी भाषा में A, H, I,  M, O, T, U, V, W और X वे अक्षर हैं जो अक्षर के सामान छवि बनाते हैं | अत: ये अक्षर पार्श्व सममित हैं |

प्रश्न 6 आभासी प्रतिबिंब क्या होता हैं | कोई ऐसी स्थिति बताइए, जहाँ आभासी प्रतिबिंब बनता हो |

उत्तर- प्रतिबिंब, जिसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता हैं, आभासी प्रतिबिंब कहलाते हैं | समतल दर्पण द्वारा निर्मिंत प्रतिबिंब, उत्ताल दर्पण और अवतल लेंस आभासी लेंस आभासी होते हैं |

प्रश्न 7 उत्तल तथा अवतल लेसों में दो अंतर लिखिए |

उत्तर- उत्तल लेंस द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब वास्तु से बड़े, छोटे अथवा वास्तु के आकार के बराबर हो सकते हैं | जबकि अवतल लेंस हमेशा छोटे प्रतिबिंब बना सकता हैं |

एक उत्तल लेस वास्तविक और आभासी प्रतिबिंब दोनों बनाता हैं जबकि एक अवतल लेंस हमेशा एक आभासी प्रतिबिंब ही बनता हैं |

प्रश्न 8 अवतल तथा उत्तल दर्पणों का एक – एक उपयोग लिखिए |

उत्तर- 

  • अवतल दर्पण का उपयोग दंत चिकित्सक, सौर भट्टी, टॉर्च के प्रतिक्षेपक आदि के रूप में किया जाता हैं | 
  • उत्तल दर्पण का उपयोग पश्व – द्रश्य दर्पण में किया जाता हैं | इनमें चालाक अपने पीछे के वाहनों को देखाकर सुरक्षित वाहन चला सकता हैं |

प्रश्न 9 किस प्रकार का दर्पण वास्तविक प्रतिबिंब बना सकता हैं?

उत्तर- अवतल दर्पण |

प्रश्न 10. किस प्रकार का लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनता हैं?

उत्तर- अवतल लेंस |

प्रश्न 11 बिंब से बड़े साइज़ का आभासी प्रतिबिंब बनाया जा सकता हैं?

(i) अवतल लेंस 

(ii) अवतल दर्पण द्वारा 

(iii) उत्ताल दर्पण द्वारा 

(iv) समतल दर्पण द्वारा

उत्तर- (ii) अवतल दर्पण द्वारा |

प्रश्न 12 डेविड अपने प्रतिबिंब को समतल दर्पण में देख रहा हैं | दर्पण तथा उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी 4m हैं | यदि वह दर्पण की और 1m चलता हैं, तो डेविड तथा उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी होगी |

(i) 3m

(ii) 5m

(iii) 6m

(iv) 8m

उत्तर- (iii) 6m |

प्रश्न 13 एक कार का पश्व द्दश्य दर्पण समतल दर्पण हैं | ड्राइवर अपनी कार को 2m/s की चाल से बैंक करते समय पश्व द्दश्य दर्पण में अपनी कार के पीछे खड़े किसी ट्रक का प्रतिबिंब देखता हैं | ड्राइवर को ट्रक का प्रतिबिंब जिस चाल से अपनी और आता प्रतीत होगा, वह हैं |

(i) 1m/s

(ii) 2m/s

(iii) 4m/s

(iv) 8m/s

उत्तर- (ii) 2m/s

जैसे की कार 2 मीटर पीछे जाती हैं, दर्पण भी 2 मीटर पीछे जाता हैं, इसलिए प्रतिबिंब भी 2 आगे जाता हैं |