अध्याय-7:   जंतुओं और पादप में परिवहन

Graphical user interface, application

Description automatically generated

सभी जीवों को जीवित रहने के लिए भोजन, जल और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जंतुओं की कोशिका पोषण, परिवहन, उत्सर्जन, में भूमिका निभाती है।

परिसंचरण तंत्र

ह्रदय और रक्त वाहिनियाँ संयुक्त रूप से हमारे शरीर का परिसंचरण तंत्र बनाती हैं। सभी छोटे-बड़े जंतुओं के शरीर के भीतर ऑक्सीजन, भोजन, हॉर्मोन्स आदि पदार्थों को आवश्यकतानुसार उपयुक्त अंगों में पहुंचाने के लिए एक सुविकसित परिसंचारी तंत्र होता हैं, जिसे परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) कहते हैं। परिसंचरण तंत्र वाहनियों और नलियों के जाल द्वारा बना होता है। परिसंचारी तंत्र को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है जिसे परिसंचरण तंत्र कहते हैं। परिसंचरण तंत्र वाहनियों और नलियों के जाल द्वारा बना होता है। परिसंचारी तंत्र को दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैः रूधिर तंत्र और लसिका तंत्र। रक्त परिसंचरण तंत्र को शरीर का परिवहन तंत्र माना जाता है। यही तंत्र भोजन, ऑक्सीजन, पानी और दूसरे सभी जरूरी पदार्थों को ऊतक में कोशिकाओं तक पहंचाने का और वहां के बेकार पदार्थ साथ में वापस लाने का कार्य करता है। इसी तंत्र के अंतर्गत रक्त, हृदय एवं रक्त वाहिनियां होती हैं।

रक्त:- रक्त तरल पदार्थ है, जो रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होता है
रक्त एक तरल संयोजी ऊतक होता है। जो रक्त वाहिनियों के अंदर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह एक श्यान तरल है। रक्त मानव व अन्य पशुओं में आवश्यक पोषक तत्व व ऑक्सीजन को कोशिकाओं में तथा कोशिकाओं से चयापचयी अपशिष्ट उत्पादों (Meta Bolic Waste Proudcts) तथा कार्बन डाई ऑक्साइड को परिवहन करता है।

रक्त एक हल्का क्षारीय तरल है जिसका pH – 7 . 4 होता है। रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow) में होता है। भ्रूणावस्था तथा नवजात शिशुओं में रक्त का निर्माण प्लीहा में होता है। मनुष्य में करीब 5 – 6 लीटर रक्त होता है।

Low Blood Counts - A Common Side Effect of Cancer Treatment - CancerConnect

प्लाज़्मा :- रुधिर के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं। यह हल्के पीले रंग का क्षारीय तरल होता है। प्लाज्मा रक्त का 55 प्रतिशत भाग का निर्माण करता है तथा इसमें लगभग 92 प्रतिशत जल व 8 प्रतिशत कार्बनिक एंव अकार्बनिक पदार्थ घुलित या निलम्बित या कोलाइड रूप में पाये जाते हैं। प्लाज्मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज्मा के द्वारा ही ये कण सारे शरीर में पहुंचते हैं और आंतों से अवशोषित पोषक तत्वों का शरीर के विभिन्न भागों तक परिवहन होता है।

लाल रूधिर कोशिकाएँ (RBC)– रक्त की सबसे प्रमुख कोशिका है। ये कुल रक्त कोशिकाओं का 99 प्रतिशत होती हैं। इन कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन पाया जाता है। हीमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल होता है। इन्हें इरिथ्रोसाइट्स (Erythro-cytes) भी कहते हैं। यह कशेरुकी प्राणियों के श्वसन अंगों से O2 लेकर उसे शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचाने का सबसे सहज और व्यापक माध्यम है। RBC का निर्माण अस्थिमज्जा में होता है। ये कोशिकाएँ केन्द्रक विहीन होती है परन्तु ऊँट के लाल रक्त कोशिका में केन्द्रक पाया जाता है। जो कि अभी अपवाद की स्थिति बना हुआ है। इनकी औसत आयु 120 दिन होती है।ये आकार में वृत्ताकार, डिस्कीरूपी, उभयावतल (Biconcave) एवं केन्द्रक रहित होती हैं।

सफेद रूधिर कोशिकाएं (WBC)– सफेद रक्त कोशिकायें हानिकारक तत्वों तथा बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। सफेद रक्त कोशिकायें लाल रक्त कोशिकाओं से बड़ी होती हैं। इन्हे ल्युकोसाइट भी कहते है।इन कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन उपस्थित नहीं होता जिस कारण ये रंगहीन और पारदर्शक होती हैं। इनमें एक से ज्यादा केन्द्रक रहते हैं इसलिए इसे वास्तविक कोशिकाएँ (True cells) कहते हैं। इनका आकार बदलता रहता है और ये बहुत ज्यादा गतिशील होती हैं। तथा रक्त वाहिनियों की भित्ति से होकर ऊतकों में पहुंच जाती है इन कोशिकाओं का निर्माण अस्थि मज्जा और लसिका ग्रंथियों (lumph glands) में होता है।

सफेद रूधिर कोशिकाएं दो प्रकार की होती हैं-

(i) कणिकामय (Granulocytes) (ii) कणिकाविहीन (Agranulocytes)

कणिकामय श्वेत रक्ताणु – ये तीन प्रकार की होती हैं –

  • न्यूट्रोफिल
  • इओसिनोफिल
  • बेसोफिल

न्यूट्रोफिल कणिकामय श्वेत रुधिर रक्ताणुओं में इनकी संख्या सबसे अधिक होती है। ये सबसे अधिक सक्रिय एवं इनमें अमीबीय गति पाई जाती है।

कणिकाविहीन (Agranulocytes)– ये दो प्रकार की होती हैं –

(a) मोनोसाइट (b) लिम्फोसाइट।

मोनोसाइट (Monocytes)– ये न्यूट्रोफिल्स की तरह शरीर में प्रवेश कर सूक्ष्म जीवों का अन्त : ग्रहण (Ingestion) कर भक्षण करती हैं।

लिम्फोसाइट (Lymphocytes)– ये कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं –

  • बी – लिम्फोसाइट
  • ‘टी’ लिम्फोसाइट
  • प्राकृतिक मारक कोशिकाएँ।

लिम्फोसाइट प्रतिरक्षा प्रदान करने वाली प्राथमिक कोशिकाएँ हैं।

हीमोग्लोबिन :- लाल रक्त की कोशिका होती है, जिनमें एक लाल वर्णक होता है, जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। हीमोग्लोबिन के कारण ही रक्त का रंग लाल होता है।

A picture containing clipart

Description automatically generated

्वेत रक्त कोशिकाएँ :- ये कोशिकाएँ उन रोगाणुओं को नष्ट करती हैं, जो हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

White Blood Cells | The Franklin Institute

इन रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नहीं पाया जाता, इसलिए ये सफ़ेद या रंगहीन होती हैं।

श्वेत रक्त कोशिकाएँ या श्वेताणु या ल्यूकोसाइट्स शरीर की संक्रामक रोगों और बाह्य पदार्थों से रक्षा करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकायें हैं।

ल्यूकोसाइट्स पाँच विभिन्न और विविध प्रकार की होती हैं, लेकिन इन सभी की उत्पत्ति और उत्पादन अस्थि मज्जा की एक मल्टीपोटेंट, हीमेटोपोईएटिक स्टेम सेल से होता है।

ये कोशिकाएँ पूरे शरीर में पाई जाती हैं, जिसमें रक्त और लसीका प्रणाली शामिल हैं।

मानव रक्त में इन कोशिकाओं की संख्या प्रायः किसी रोग का सूचक होती है। आमतौर पर रक्त की एक लीटर मात्रा में 4×109 से लेकर 1.1×1010 के बीच श्वेत रक्त कोशिकायें होती हैं, जो किसी स्वस्थ वयस्क में रक्त का लगभग एक प्रतिशत होता है।

इन कोशिकाओं के भौतिक गुण, जैसे- मात्रा, चालकता और कणिकामयता, सक्रियण, अपरिपक्व कोशिकाओं की उपस्थिति, या श्वेतरक्तता की हालत में घातक ल्यूकोसाइट्स की उपस्थिति के कारण बदल सकते हैं।

प्लेटलेट्स :- रक्त का थक्का बन जाना उसमें एक अन्य प्रकार की कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण होता है। प्लेटलेट्स खून का एक हिस्सा है जो खून को थक्का बनाने में मदद करता है। यह रक्त का एक भाग है जो खून का थक्का बनाने में सहायक हैं। कोई चोट लगने पर होने वाले रक्तस्त्राव को ये रोकती हैं। किसी कारण से यदि प्लेटलेट्स 50 हजार से कम हो जाएं तो चिंता की बात नहीं। लेकिन इससे भी कम होने पर रक्तस्त्राव होता है।

When the Immune System Attacks the Platelets

रक्त वाहिनियाँ :- जो रक्त को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाती हैं। रक्त इस ऑक्सीजन का परिवहन शरीर के अन्य भागों में करता है।

रक्त वाहिनियाँ दो प्रकार :- धमनी और शिरा

धमनियाँ :- ह्रदय से ऑक्सीजन समृद्ध रक्त को शरीर के सभी भागों में ले जाती हैं।

शिराएँ :- वे रक्त वाहिनियाँ, जो कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध रक्त को शरीर के सभी भागों से वापस ह्रदय में ले जाती। परिसंचरण तंत्र में, शिरायें वे रक्त वाहिकायें हैं जो रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं। पल्मोनरी और अम्बलिकल शिरा के छोड़कर जिनमें ऑक्सीजेनेटेड (ऑक्सीजन मिला हुआ) रक्त बहता है, अधिकतर शिरायें ऊतकों से डीऑक्सीजेनेटेड (ऑक्सीजन का ह्रास) रक्त को वापस फेफड़ों में ले जाती है।

यद्यपि हृदय परिसंचरण तंत्र का केन्द्रीय भाग है लेकिन पूरे शरीर में रक्त का संचारण रक्तवाहिनियों के द्वारा ही होता है। रक्त वाहिनिया निम्न प्रकार की होती हैं:

  • महाधमनी (Aorta) और धमनियां (Arteries)
  • धमनिकाएं (Arterioles)
  • कोशिकाएं (Capillaries)
  • शिरिकाएं (Venules)
  • शिराएं और महाशिराएं (Veins & Venacavae)
Diagram

Description automatically generated

हृदय के बाएं निलय (Ventricle) से शुद्ध रक्त को लेकर सबसे पहले महाधमनी (arterioles) आगे जाती है। इससे अनेकों धमनियां निकलती हैं। जिनकी उपशाखाएं भी होती हैं जिन्हें धमनिकाएं (Arterioles) कहते हैं। धमनियों की इस जटिल श्रृंखला के माध्यम से शरीर के अलग-अलग भागों की कोशिकाओं (cells) को पोषण और ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए उनमें शुद्ध रक्त पहुंचता है।

इसके बाद रक्त शिरिकाओं (venules) में जमा हो जाता है। ये छोटी वाहिनियां मिलकर शिराएं (veins) बनाती हैं, जो एक-दूसरे से जुड़कर महाशिराएं (vena cavae) बनाती हैं। ये महाशिराएं अशुद्ध रक्त को हृदय के दाएं अलिन्द (Atrium) में पहुंचाती है।

धमनियां (Arteries)

धमनियां (Arteries) मोटी दीवार (wall) वाली वाहिनियां होती हैं। वयस्क व्यक्तियों में फुफ्फुसीय धमनियों (pulmonary arteries) के अलावा सारी धमनियां शुद्ध (ऑक्सीकृत) रक्त ले जाती हैं। दाईं और बाई फुफ्फुसीय धमनियां दाएं निलय (Ventricle) से अशुद्ध (Deoxygenated) रक्त को फेफड़ों में ले जाती हैं। धमनियों के संकुचन और शिथिलन के गुण से रक्त आगे बढ़कर हमेशा प्रवाहित होता रहता है।

वाहिनियां

ये सबसे पतली रूधिर नलिकाएं हैं जो धमनियों को शिराओं से जोडती हैं। प्रत्येक वाहिनी चपटी कोशिकाओं की एक परत से बनी होती है।

ये पोषक पदार्थों, वर्ण्य पदार्थों, गैस आदि पदार्थों को रूधिर एवं कोशिका के बीच आदानप्रदान करने में सहायक होता है।

शिरिकाएं (Venules)

  • छोटी शिराएं वेनुलस कहलाती हैं। ये पतली तथा कम लचीली भित्ति वाली रूधिर नलिकाएं हैं जो विभिन्न अंगों से रूधिर को हृदय तक ले जाती हैं।
  • इनमें रूधिर की विपरीत गति को रोकने हेतु कपाट (value) पाये जाते हैं। इनमें रूधिर कम दाब एवं कम गति से बहता है।
  • शिराओं की गुहा बड़ी होती है।
  • शिराएं रूधिर को एकत्रित करने का कार्य करती हैं।

रक्त के समूह-:

मनुष्य के लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की सतह पर पाये जाने वाले विशेष प्रकार के प्रतिजन (Antigen) A व B की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर मनुष्य के रक्त को चार समूहों में विभक्त किया गया है,

रक्त समूह – A – रक्त समूह A वाले व्यक्ति की RBC पर प्रतिजन Antigen A पाया जाता है|

रक्त समूह – B – रक्त समूह B वाले व्यक्ति की RBC पर प्रतिजन Antigen B पाया जाता है|

रक्त समूह – AB – रक्त समूह AB वाले व्यक्ति की RBC पर प्रतिजन A व B पाया जाता है। AB समूह द्वारा सभी समूहों का रुधिर ले सकता है, इस कारण से इस समूह को सर्वाग्राही (Universal Recipient) कहते हैं।

रक्त समूह – O – रक्त समूह ‘O’ वाले व्यक्ति की RBC पर कोई किसी प्रकार का प्रतिजन (Antigen) नहीं पाया जाता है। ‘O’ रुधिर समूह द्वारा सभी रुधिर समूहों (A, B, AB, O) को रुधिर दे सकता है, इस कारण इस रक्त समूह को सर्वदाता (Universal donor) कहते हैं।

रक्त के इन समूहों को ABO रक्त समूह (AB0 Grouping) कहते हैं। AB प्रतिजन (Antigen) के अतिरिक्त RBC पर एक और प्रतिजन पाया जाता है, जिसे आर.एच. (Rh) प्रतिजन कहते हैं। जिन मनुष्य में Rh कारक पाया जाता है, उनका रक्त आर.एच. धनात्मक (Rh+) तथा जिनमें Rh कारक नहीं पाया जाता है, उनका रक्त आर. एच. ऋणात्मक (Rh-) कहलाता है। संसार में करीब अस्सी प्रतिशत व्यक्तियों का रक्त आरएच धनात्मक (Rh+) है।

रक्त के कार्य (Functions of Blood)-:

  • रक्त शरीर के विभिन्न भागों से अपशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा करके गुर्दे इत्यादि निष्कासन अंगों तक पहुंचाता है|
  • यह पचे हुए भोजन को शरीर के विभिन्न भागों की कोशिकाओं में पहुंचाता है।
  • ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में पहुँचाना और कोशिकाओं से CO2, को फेफड़ों में पहुँचाना, जहां से वह सांस द्वारा बाहर निकल जाती है।
  • रक्त शरीर के तापमान को बनाए रखता है जो सामान्य 98.6°F होता है|
  • रक्त अन्त : स्रावी ग्रंथियों के उत्पन्न हार्मोन्स का वहन करता है।
  • रक्त प्रतिरक्षियों द्वारा रोगों से शरीर की रक्षा करता है।
  • रक्त भोजन से अवशोषित पोषक तत्वों को इकठ्ठा करके सारे ऊतकों में पहुँचाता है।
  • रक्त टूटी – फूटी मृत कोशिकाओं को यकृत और प्लीहा में पहुँचाता है, जहां वे नष्ट हो जाती हैं।
  • शरीर का पी. एच. (pH) नियंत्रित करना।
  • प्रतिरक्षण के कार्यों को संपादित करना
  • रक्त शरीर पर हुए चोटों व घावों को भरने में सहायता करता है।
  • O2, व CO2, का वातावरण तथा ऊतकों के मध्य विनिमय करना।
  • पोषक तत्वों का शरीर में विभिन्न स्थानों तक परिवहन।
  • शरीर का ताप नियंत्रण करना।
  • हार्मोन आदि को आवश्यकता के अनरूप परिवहन करना।
  • उत्सर्जी उत्पादों को शरीर से बाहर करना।

ाड़ी स्पंद:- हृदय की धड़कन के कारण धमनियों में होने वाली हलचल को नाड़ी या नब्ज़ कहते हैं।

स्पंदन दर :- प्रति मिनट स्पंदो की संख्या स्पंदन दर कहलाती है। स्वस्थ वयस्क व्यक्ति की स्पंदन दर सामान्यतः 72 से 80 स्पंदन प्रति मिनट होती है।

ह्रदय :- जो रक्त द्वारा पदार्थों के परिवहन के लिए पंप के रूप में कार्य करता है। यह निरंतर धड़कता रहता है। ह्रदय चार कक्षों में बँटा होता है।

From the Patient's Perspective: How to Protect your Heart? | NephroPlus

ऊपरी दो कक्ष अलिन्द कहलाते है। हमारा हृदय हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह अंग हमारे परिसंचरण प्रणाली के बीच में स्थित है, जो धड़कते हुए शरीर के चारों ओर रक्त का प्रवाह करता है। रक्त शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व भेजता है और अवांछित कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।

निचले दो कक्ष निलय कहलाते है।

कक्षों के बीच का विभाजन:– ये दीवार ऑक्सीजन समृद्ध रक्त और कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध को परस्पर मिलने नहीं देती हैं।

स्टेथॉस्कोप :- चिकित्सक आपके ह्रदय स्पंद को मापने के लिए स्टेथॉस्कोप नामक यंत्र का उपयोग करते हैं। रक्त परिसंचरण की खोज विलियम हार्वे (1578-1657) ने किया।

Double Sided 3M Littmann Classic III Stethoscope, Navy Blue Tube, Rs 8556 |  ID: 20792300533

उत्सर्जन :- सजीवों द्वारा कोशिकाओं में निर्मित होने वाले अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं। उत्सर्जन में भाग लेने वाले सभी अंग मिलकर उत्सर्जन तंत्र बनाते हैं।

मानव उत्सर्जन तंत्र :- रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाना चाहिए।bरक्त को छानने की व्यवस्था की आवश्यकता होती हैं। यह व्यवस्था गुर्दों में उपस्थित रक्त कोशिकाओं द्वारा उपलब्ध की जाती है। उपयोगी पदार्थों को रक्त में पुनः अवशोषित कर लिया जाता है। जल में घुल हुए अपशिष्ट पदार्थ मूत्र के रूप में पृथक कर लिए जाते है।

मूत्रमार्ग :- मूत्राशय से एक पेशीय नली जुड़ी होती है, जिसे मूत्रमार्ग कहते हैं।

मुत्ररन्ध :- जिससे मूत्र शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

वयस्क व्यक्ति सामान्यतः 24 घण्टे में 1 से 1.8 लीटर मूत्र करता है। मूत्र में 95% जल, 2.5% यूरिया, और 2.5% अन्य अपशिष्ट उत्पाद होते हैं। लवण और यूरिया जल के साथ स्वेद (पसीने) के रूप में शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं। पक्षी, कीट, और छिपकली अर्ध घन (सेमी सॉलिड) रूप में यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करते हैं।

पादपों में पदार्थों का परिवहन

पादप मूलों द्वारा जल और पोषक तत्व मृदा से अवशशोषित होते हैं। कुछ पदार्थ जैसे गैसे पादपों में विसरण द्वारा प्रवेश करते है। पादप शरीर के निर्माण हेतु आवश्यक पदार्थ जैसे – नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, अन्य खनिज पदार्थ तथा जल मृदा से प्राप्त होते हैै। जिन्हें पादप की लंबार्इ के अनुसार लंबी दूरी तक संचरित करना होता है। जिसके लिये 2 प्रकार के परिवहन मार्ग पाये जाते है। जाइलम जो कि जल तथा खनिज पदार्थों का संवहन मृदा से पादपों के वायवीय भागों तक करते है। फ्लोयम जो कि खाद्य पदार्थे का संवहन प्राप्ति स्थल से उपयोग स्थल तक करते है।

जल और खनिजों का परिवहन :- पादप मूलों (जड़ो) द्वारा जल और खनिजों को अवशोषित करते हैं। मूलों में मुलरोम होते हैं।

ऊतक :- किसी जीव में किसी कार्य विशेष को संपादित करता है।

जाइलम :- जल और पोषक तत्वों के परिवहन के लिए पादपों में संवहन ऊतक होता है। यह एक जटिल ऊतक है। जो कि कोशिका रस का संवहन करता है। जाइलम में 4 प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती है। जाइलम तंतु, जाइलम पेरेन्काइमा, जाइलम वाहिका, वाहिनिका, वाहिका तथा वाहिनिकी वाहिनीय अवयव कहलाते है। क्योंकि वे कोशिकारस के संवहन में भाग लेते है। वाहिनिय अवयव की भित्तियाँ लिग्नीकृत होती है।

फ्लोएम :- भोजन को पादप के सभी भागों में संवहन ऊतक द्वारा किया जाता है।

जाइलम और फ्लोएम पादपों में पदार्थों का परिवहन करते हैं।

वाष्पोत्सर्जन :- पौधे अपने मूलतंत्र द्वारा मृदा से भारी मात्रा में जल को अवशोषण करते हैं। इस प्रकार अवशोषित जल का परिवहन जड़ों से पादप के विभिन्न भागों तथा अंगों में होता है। अवशोषित जल का केवल कुछ भाग पादप की वृद्धि व अन्य जैविक क्रियाओं के लिए प्रयुक्त होता है तथा शेष जल पादप के वायवीय भागों द्वारा जल के वाष्प के रूप में ह्रास की प्रक्रिया वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहलाती है।

मनुष्य का उत्सर्जन तंत्र Human Excretory System

मनुष्यों का उत्सर्जन तंत्र शरीर के तरल अपशिष्टों को एकत्र कर उनका निष्कासन करता है। इस तंत्र में दो वृक्क (Kidneys), एक मूत्राशय (Bladder), दो मूत्रवाहिनियाँ (Ureters) तथा एक मूत्र मार्ग (Urethera) होता है।

वृक्क (kidney): मानव में एक जोड़ी वृक्क होते है, ये उधर गुहा में डायफ्राम के नीचे कशेरुकीदण्ड के पास स्थित होते है, बायाँ वृक्क दाएँ वृक्क से थोडा ऊपर होता है| प्रत्येक वृक्क सेम के बीज के समान व लाल रंग का होता है, ये पैरटोनियम झिल्ली द्वारा कशेरुकीदंड से जुड़े रहते है, ये 10 से 12cm लम्बे व 6cm चौड़े होते है| प्रत्येक वृक्क का बाहरी भाग उत्तल व भीतरी भाग अवतल होता है, अवतल भाग गड्ढे के समान होता है, जिसे हाइलम कहते है| हाइलम में वृक्क धमनी व तंत्रिका प्रवेश करती है तथा वृक्क शिरा व मूत्रवाहिनी बाहर निकलती है| प्रत्येक वृक्क के ऊपर टोपी के समान अधिवृक्क ग्रन्थि पायी जाती है|

वृक्क की आन्तरिक संरचना: वृक्क की आन्तरिक संरचना में दो मुख्य भाग दिखाई देते है–

  • वल्कुट (cortex): यह वृक्क का परिधीय भाग होता है, यह लाल रंग का कणिकामय भाग होता है|
  • मध्यांश (medula): यह वृक्क का मध्य भाग होता है, मध्यांश के वल्कुट की ओर पाये जाने वाले भाग पिरैमिड कहलाते है| मध्यांश में पिरैमिड के मध्य वल्कुट के छोटे छोटे भाग धंसे रहते है जिन्हें बर्टीनी के वृक्क स्तम्भ कहते है, प्रत्येक वृक्क में लाखो की संख्या में वृक्क नलिकाएं पायी जाती है|

वृक्क नलिका (नेफ्रोन)

वृक्क नलिका में निम्न संरचनाएँ पायी जाती है|

  • मैलपिघी काय: यह दो भागों से मिलकर बना होता है –
  • बोमेन सम्पुट: यह एक प्यालेनुमा संरचना होती है, यह पोड़ोसाइड कोशिकाओं से बनी होती है|
  • ग्लोमेरुलस: बोमेन सम्पुट में अभिवाही धमनिका एक गुच्छे के रूप में उपस्थित रहती है, जिसे ग्लोमेरूलस कहते है|
  • समीपस्थ कुंडलित नलिका: यह बोमेन सम्पुट से जुडी रहती है, इसका व्यास 50 म्यू का होता है| यह घनाकार एपिथिलयम कोशिकाओ से बनी होती है|
  • हेन्ले लूप: यह u आकार की नलिका होती है जो समीपस्थ व दूरस्थ कुंडलिका नलिका के बीच में होती है, यह शल्की उपकला कोशिकाओं से बनी होती है|
  • दूरस्थ कुंडलित नलिका: यह संग्राहक नलिका व हेन्ले लूप के मध्य स्थित होती है, यह घनाकार एपिथिलियम कोशिकाओ से निर्मित होती है|
  • संग्राहक नलिका: प्रत्येक वृक्क नलिका आगे की ओर संग्राहक नलिका में खुलती है, संग्राहक नलिकाएँ आपस में मिलकर बेलिनाइ नलिका बनाती है|

(2) मूत्रवाहिनी (ureters): मनुष्य में एक जोड़ी मूत्रवाहिनियाँ पायी जाती है जो पोल्विस से प्रारम्भ होकर मूत्राशय में खुलती है, मुत्रवाहिनी की भित्ति मोटी व गुहा संकरी होती है, इसकी भित्ति में क्रमाकुंचन गति होती है|

(3) मूत्राशय: यह पेशियों से बना थैले के समान संरचना होती है जिसमें मूत्रवाहिनियाँ खुलती है, इसमें मूत्र का संचय किया जाता है|

(4) मूत्रमार्ग: मूत्राशय मूत्रमार्ग के रूप में बाहर खुलता है, पुरुष में मूत्रमार्ग की लम्बाई 15-20cm तथा स्त्रियों में 4cm होती है|

उत्सर्जन तन्त्र

सभी जीवों के शरीर में कोशिकीय उपापचय के फलस्वरूप अपशिष्ट पदार्थ का निर्माण होता है जिसका शरीर से बाहर निष्कासन उत्सर्जन कहलाता है।

* मनुष्य के शरीर से उत्सर्जित होने वाले प्रमुख उत्सर्जी पदार्थ हैंः

  • कार्बन डाइऑक्साइड
  • जल
  • खनिज लवण
  • पित्त
  • यूरिया

मनुष्य में उत्सर्जन कार्य

मनुष्य में पांच अंग उपापचयी अपशिष्ट को शरीर से बाहर करने में शामिल रहते हैं जो निम्न हैंः

  • त्वचाः त्वचा में उपस्थिति तैलीय ग्रन्थियां एवं स्वेद ग्रन्थियां क्रमशः सीबम एवं पसीने का स्राव करती हैं। सीबम एवं पसीने के साथ अनेक उत्सर्जी पदार्थ शरीर से बाहर निष्कासित हो जाते हैं।
  • फेफड़ा: मनुष्यों में वैसे तो फेफड़ा श्वसन तंत्र से सम्बन्धित अंग है लेकिन यह श्वसन के साथ-साथ उत्सर्जन का भी कार्य करता है। फेफड़े द्वारा दो प्रकार के गैसीय पदार्थों कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प का उत्सर्जन होता है। कुछ पदार्थ जैसे-लहसुन, प्याज और कुछ मसाले जिनमें कुछ वाष्पशील घटक पाये जाते हैं, का उत्सर्जन फेफड़ों के द्वारा होता है।
  • यकृत: यकृत कोशिकाएं आवश्यकता से अधिक ऐमीनो अम्ल तथा रुधिर की अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित करके उत्सर्जन में मुख्य भूमिका निभाती हैं। इसके अतिरिक्त यकृत तथा प्लीहा कोशिकाएं टूटी-फूटी रुधिर कोशिकाओं को विखंडित कर उन्हें रक्त प्रवाह से अलग करती हैं। यकृत कोशिकाएं हीमोग्लोबिन का भी विखण्डन कर उन्हें रक्त प्रवाह से अलग करती हैं।
  • पाचन तंत्र: यह शरीर से कुछ विशेष लवणों, कैलिशयम, आयरन, मैगनीशियम और वसा को उत्सर्जित करने के लिए जिम्मेदार होता है।

मानव मूत्र प्रणाली के प्रमुख घटक

  • वृक्क
  • वृक्काणु
  • नलिकीय स्रवण

उत्सर्जन तंत्र के कार्य

  • ये शरीर में जल और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखते हैं।
  • पूरे शरीर में जल संतुलन का नियमन करके, रक्त के प्लाज्मा आयतन को स्थिर बनाए रखते हैं।
  • ये शरीर में स्थित तरल के परासरणी दाब को बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • ये अमोनिया पैदा कर शरीर में रक्त का हाइड्रोजन आयतन सांद्रण स्थिर रखते हैं।
  • ये शरीर के तरलों की मात्रा, उनकी तनुता और प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
  • ये रेनिन नामक एन्जाइम को पैदा करते हैं जो रक्तदाब का नियमन करने में मदद करता है।

NCERT SOLUTIONS

प्रश्न (पृष्ठ संख्या 8-10)

प्रश्न 1 कॉलम A में दी गई संरचाओं का कॉलम B में दिए गए प्रक्रमों से मिलान कीजिए |

कॉलम Aकॉलम B
(क) रंध्र(ख) जाइलम(ग) मूल रोम(घ) फ्लोएम(ङ) क्लोरोप्लास्ट(i) जल का अवशोषण(ii) वाष्पोत्सर्जन(iii) भोजन का परिवहन(Iv) जल का परिवहन(v) कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

उत्तर-

कॉलम Aकॉलम B
(क) रंध्र(ख) जाइलम(ग) मूल रोम(घ) फ्लोएम(ङ) क्लोरोप्लास्ट(ii) वाष्पोत्सर्जन(iv) जल का परिवहन(i) जल का अवशोषण(iii) भोजन का परिवहन(v) कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) ह्रदय से रक्त का शरीर के सभी अंगों में परिवहन _______के द्वारा होता हैं|

(ख) हिमोग्लोबिन _______ कोशिकाओं में पाया जाता हैं|

(ग) धमनियाँ और शिराएँ _______ के जाल द्वारा जुडी रहती हैं|

(घ) ह्दय का लयबद्ध विस्तार और संकुचन ________ कहलाता हैं|

(च) मानव शरीर के प्रमुख उत्सर्जित उत्पाद ________हैं|

(छ) पसीने में जल और _______ होता हैं|

(ज) वृक्क अपशिष्ट पदार्था को द्र्व्र रूप में बाहर निकलते हैं, जिसे हम________ कहते हैं|

(झ) वृक्षों में बहुत ऊँचाइयों तक जल पहुँचाने के कार्य में ________ द्वारा उत्पन्न चूषण अभिकर्ष्ण बल सहायता करता हैं|

उत्तर- 

(क) धमनियाँ

(ख) लाल रक्त

(ग) कोशिकाओं 

(घ) दिल का धड़कन 

(च) यूरिया

(छ) लवण

(ज) मूत्र

(झ) वाष्पोंत्सर्तन

प्रश्न 3 सही बिकल्प का चयन करिए-

  1. पादपों में जल का परिवहन होता हैं|
  1. जाइलम के द्वारा
  2. फ्लोएम के द्वारा
  3. रंधों के द्वारा
  4. मूलरोमों के द्वारा
  5. मूलों द्वारा जल के अवशोषण की दर को बढाया जा सकता हैं, उन्हें
  1. छाया में रखकर |
  2. मंद प्रकाश में रखकर |
  3. पंखे के नीचे रखकर |
  4. पॉलीथिन |

उत्तर- a. जाइलम के द्वारा |

c. पंखे के नीचे रखकर |

प्रश्न 4 पादपों अथवा जंतुओं में पदार्था का परिवहन क्यों आवश्यक हैं? समझाइए |

उत्तर- पौधों और जानवरों के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं को कार्य करने के लिए विभिन्न आवश्यकता होती हैं | इन कार्य के दौरान विभिन्न प्रकार के उपयोगी तथा अपशिष्ट उत्पाद बनाए जाते हैं | इन आवश्यक पदार्था की आपूर्ति करने और अपशिष्ट उत्पादों को हटाने के लिए सामग्रियों का परिवहन आवश्यक हैं |

प्रश्न 5 क्या होगा यागी रक्त में पट्टिकाणु नहीं होगे |

उत्तर- पट्टिकाणु रक्त के धक्के के लिए उत्तरदायी होते हैं| यही पट्टिकाणु नहीं हैं, तो चोट लगाने पार खून का बहना नहीं रूकेगा | इससे शरीर में रक्त कमी हो जाएगी और अंतः में व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी| 

प्रश्न 6 रंध्र क्या हैं? रंध्रों के दो कार्य बताइए|

उत्तर- पत्ती की सतह के नीचे के कई छिद्रों को रंध्र कहा जाता हैं | गैंसों का विनिमय तथा वाष्पोंत्सर्जन रंध्र के मुख्य कार्य हैं |

प्रश्न 7 क्या वाष्पोत्सर्जन पादपों में कोई उपयोगी कार्य करता हैं | 

उत्तर- वाष्पोंत्सर्जन पौधों में बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता हैं | वाष्पोत्सर्जन से वाष्पोत्सर्जन खिचांव पैदा होता हैं, जो कि लम्बे तथा वाष्पोत्सर्जन रंध्र के मुख्य कार्य हैं |

प्रश्न 8 रक्त के घटकों के नाम बताइए |

उत्तर- रक्त एक तरल हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं | रक्त के मुख्य घटक निमालिखित हैं |

  • प्लाज़्मा : रक्त के तरल भाग को प्लाज़्मा कहा जाता हैं|
  • लाल रक्त कोशिकाएं : ये लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) विशेष प्रकार की होती हैं | जिसमे हिमोग्लोबिन नामक एक लाल वर्णक होता हैं|
  • सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ : रक्त में सफ़ेद रक्त कोशिकाएं (WBC) भी होती हैं| ये उन कीटाणु से लड़ती हैं जो हमारे शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं |
  • पट्टिकाणु : पट्टिकाणु रक्त में धक्का बनाने का कार्य करते हैं | 

प्रश्न 9 शरीर के सभी अंगों को रक्त की आवश्यकता क्यों होती हैं |

उत्तर- शरीर के प्रत्येक भाग को अपने कार्य के लिए कुछ पदार्था की आवश्यकता होती हैं | इसके अतिरिक्त, हर भाग कुछ अपशिष्ट उत्पाद भी बनता हैं, जिसे हटाने की आवश्यकता होती हैं | रक्त पचे हुए भोजन को छोटी आंत से अहरीर के अन्य भागों तक पहुंचता हैं | यह फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुचता हैं | यह शरीर से निष्कासन क लिए अपशिष्ट पदार्था का परिवहन भी करता हैं | इस प्रकार यह विभिन्न पदार्था के वाहक के रूप में कार्य करता हैं | अत: विभिन्न पदार्था की आपूर्ति के लिए और अपशिष्ट पदार्था के निष्कासन के लिए शरीर के सभी हिस्सों को रक्त की आवश्यकता होती हैं | 

प्रश्न 10 रक्त लाल रंग का क्यों दिखाई देता हैं?

उत्तर- लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) में हिमोग्लोबिन नामक एक लाल वर्णक होता हैं | जिसकी उपस्थिति से रक्त लाल दिखाई देता हैं |

प्रश्न 11 ह्रदय के कार्य बताइए|

उत्तर- ह्रदय एक पंप के रूप में कार्य करता हैं | यह लगातार धड़कता रहता हैं | इससे शरीर में रक्त का परिवहन लगातार होता रहता हैं| रक्त अपने साथ अन्य उपयोगी पदार्था को भी शरीर के विभिन्न भागों तक ले जाता हैं | ह्रदय फेफड़ों से ऑक्सीजन रहित रक्त भेजता हैं और फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता हैं | यह रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता हैं |  

प्रश्न 12 शरीर द्वारा अपशिष्ट पदार्था को उत्सर्जित करना क्यों आवश्यक हैं |

उत्तर- जब शरीर की विभिन्न कोशिकाएँ अपने कार्य करती हैं | तो कुछ अपशिष्ट पदार्थ बन जाते हैं | ये  हमारे शरीर के लिए विषैल होता हैं | इसलिए शरीर द्वारा इन पदार्था को उत्सर्जित करना आवश्यक हैं | 

प्रश्न 13- मानव उत्सर्जन तंत्र का चित्र बनाइए और उसके विभिन्न भागो को नामांकित कीजिए |

उत्तर-

A picture containing text, clipart

Description automatically generated