अध्याय-13:  अपशिष्ट जल की कहानी

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अपशिष्ट:- किसी भी पदार्थ का प्राथमिक उपयोग करने के बाद जो शेष बचता है, उसे अपशिष्ट कहते है।

उदाहरण के लिए नगरपालिका (घरेलु कचरा), जल अपशिष्ट (सिवेज- शारीरिक मल-मूत्र), रेडियोधर्मी अपशिष्ट इत्यादि।

A large pile of trash

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अपशिष्ट जल:-

झाग से भरपूर, तेल मिश्रित, काले, भूरे रंग का जल जो सिंक, शौचालय, लॉन्‍ड्री आदि से नालियों में जाता है, वह अपशिष्ट जल कहलाता है। इस प्रकार के कार्यों में प्रयुक्त जल को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। हमें ऐसे जल से दूषित पदार्थों को हटाकर उसे स्वच्छ बना लेना चाहिए।

एक रिपोर्ट के अनुसार एक अरब से अधिक व्यक्तियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध् नहीं है। इसके कारण विश्व की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग जल संबंधित रोगों से पीड़ित रहता है और मृत्यु का ग्रास हो जाता है।

Waste Water Management

स्वच्छ जल मानवों की मूलभूत आवश्यकता है। ” जल है तो कल है ” ” यदि जल उपलब्ध है तो आपका भविष्य सुरक्षित है ” 22 मार्च ‘ विश्व जल दिवस ‘ मनाया जाता है।

वाहित मल :-

1. कार्बनिक अशुद्धियाँ :- मानव मल , तेल , मूत्र , फल और सब्जी का कचरा आदि।

2. अकार्बनिक अशुद्धियाँ :- नाट्रेट , फॉस्फेट , धातुएँ आदि।

3. पोषक तत्व :- फॉस्फोरस और नाइट्रोजन युक्त पदार्थ आदि

4. जीवाणु :- विब्रियो कोलर एवं स्लमानेला पैराटाइफी आदि।

5. सूक्ष्मजीव :- प्रोटोजोआ आदि

मलजल प्रशोधन, या घरेलू अपशिष्ट जल प्रशोधन (सीवेज ट्रीटमेन्ट), अपवाही (गन्दा जल) और घरेलू दोनों प्रकार के अपशिष्ट जल और घरेलू मलजल से संदूषित पदार्थों को हटाने की प्रक्रिया है। इसमें भौतिक, रासायनिक और जैविक संदूषित पदार्थों को हटाने की भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाएं शामिल हैं। इसका उद्देश्य एक अपशिष्ट प्रवाह (या प्रशोधित गन्दा जल) और एक ठोस अपशिष्ट या कीचड़ का उत्पादन करना है जो वातावरण में निर्वहन या पुनर्प्रयोग के लिए उपयुक्त होता है। यह सामग्री अक्सर अनजाने में कई विषाक्त कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों से संदूषित हो जाती है।

स्वच्छता की स्थिति के लिए, कम लागत के लिए वाहित मल निबटान तंत्रो को बढ़ावा दिया जा रहा है। अपने पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में हम सभी को भूमिका निभानी है। ”मानवीय और पथ प्रदर्शक कार्य प्रारंभ करने के लिए किसी को भी किसी दूसरे का मुहँ नही देखना चाहिए।“

जल शोधन :- घरों की जल की आपूर्ति के लिए सीवर बिछाया जाता हैं। घर का गंदा जल निकासी और मल विसर्जन की व्यवस्था करता है।

प्रदूषित जल का उपचार:-

जल प्रदूषण पर नियंत्रण करने का एक प्रभावशाली साधन जल उपचार है अर्थात् वाहित मल, घरेलू गंदगी आदि को विविध विधियों से उपचारित कर उसे जल स्रोतों में मिलने से पूर्व शोधित किया जाये, तत्पश्चात् उसका उपयोग सीधा सिंचाई में अथवा अन्यत्र विसर्जन हेतु कर दिया जाये।

सामान्य रूप से विभिन्न प्रकार के छलनों का उपयोग कर मोटे रूप में जल की गंदगी अलग की जा सकती है। कुंओं के जल को उबाल कर अथवा कतिपय रसायन मिश्रित कर उपयोग योग्य बनाया जा सकता है।

किंतु प्रमुख समस्या वाहित मल के उपचार की है जो नगरों एवं कस्बों की नालियों से बहता हुआ जल स्रोतों तक पहुँच जाता है। इसके उपयोग की अनेक विधियाँ हैं तथा अनेक संयंत्रों का इसमें प्रयोग होता है। वाहित मल उपचार प्रक्रम तीन चरणों में, क्रमश: प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक उपचार में पूर्ण होता है।

Microbes for better sewage treatment | PNAS

1. प्राथमिक उपचार:

प्राथमिक उपचार में छानना, अवसादन आदि होता है। छानने की प्रक्रिया में जाली से पानी को गुजारने पर तैरती हुई वस्तुएँ, जैसे- कपड़ा, प्लास्टिक के टुकड़े, लकड़ी के टुकड़े, छोटे-छोटे कीट, कूड़ा-करकट आदि उसमें रुक जाते हैं। छानने के पश्चात् मल जल को मशीन से पीसा जाता है तथा उसे अवसादन कक्षों से गुजारा जाता है जिससे ठोस पदार्थ नीचे बैठ जाते हैं।

2. द्वितीयक उपचार:

द्वितीयक उपचार में मुख्यतया जैविक उपचार किया जाता है तथा इससे सूक्ष्म घुलित या निलंबित पदार्थों के कण अलग कर दिये जाते हैं। जैविक उपचार तीन प्रकार का होता है, प्रथम- अवायवी आपंक पाचक, द्वितीय- स्वच्छ बहिःस्राव उपचार एवं तृतीय- च्यावित निस्यंदक में ऑक्सीकरण, इस क्रिया में समस्त जीवाणुओं को नष्ट कर अंत में क्लोरीनीकरण क्रिया द्वारा उसकी दुर्गंध समाप्त कर दी जाती है। इस क्रिया में अनेक प्रकार की विकसित मशीनों का भी प्रयोग किया जाने लगा है।

3. तृतीयक उपचार:

तृतीयक उपचार में दोनों क्रियाओं से प्राप्त जल को रासायनिक एवं यांत्रिकी पद्धतियों से उपचारित किया जाता है तथा उसमें शेष नाइट्रेट एवं फास्फेट पदार्थों का भी निराकरण कर दिया जाता है। उपर्युक्त सभी क्रियाओं से उपचारित जल पुन: किसी भी उपयोग में लिया जा सकता है। इसके पश्चात् यदि किसी जल स्रोत में भी इसे डाला जाता है तो इससे कोई हानि नहीं होती।

हम किस तरह जल अपशिष्ट पदार्थो को कम कर सकते है:-

अपशिष्ट पदार्थों और प्रदूषकों को उनके स्त्रोत पर ही कम करने अथवा हटा देने की एक विधि इस बात के प्रति सचेत रहना है कि आप नालियों में किस प्रकार के पदार्थ बहा रहे हैं।

  • खाना पकाने के तेल और वसाओं को नाली में नहीं बहाना चाहिए। ये पाइपों में कठोर पदार्थों की परत जमाकर उन्हें अवरुद्ध कर सकते हैं। खुली नाली में वसा, मृदा के रंध्रों को बंद कर देती है, जिससे उसकी जल को पिफल्टर करने की प्रभाविता कम हो जाती है। तेल और वसाओं को कूड़ेदान में ही फेंके।
  • पेंट, विलायक, कीटनाशक, मोटर तेल, औषधिया आदि रसायन उन सूक्ष्मजीवों को मार सकते हैं, जो जल के शुद्धिकरण में सहायक होते हैं। इसलिए इन्हें नाली में मत बहाइए।
  • प्रयुक्त चाय की पत्ती, बचे हुए ठोस खाद्य पदार्थ, मृदु खिलौनों, रुई, सैनिटरी टावेल आदि को भी कूड़ेदान में ही फेंका जाना चाहिए। ये नालियों को अवरुद्ध कर देते हैं। ऐसे अपशिष्ट ऑक्सीजन का मुक्त प्रवाह नहीं होने देते हैं, जिससे निम्नीकरण का प्रक्रम बाधित होता है।

स्वच्छ्ता और रोग

स्वच्छता की कमी और संदूषित पेयजल अनेक रोगों का कारण बनते हैं। हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग आज भी मल व्यवन व्यवस्था की सुविधओं से वंचित है। हमारी जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग खुले स्थानों, नदी के किनारों, रेल की पटरियों, खेतों और अनेक बार सीधे जल स्त्रोतो में ही मलत्याग करते हैं। अनुपचारित मानव मल, स्वास्थ्य संकट का एक कारक है। इससे जल और मृदा का प्रदूषण हो सकता है। सतह पर उपलब्ध जल और भौमजल दोनों मानव मल से प्रदूषित हो जाते हैं। ‘भौमजल’ कुँओं, ट्यूबवैल (नलकूपों), झरनों और अनेक नदियों के लिए जल का स्त्रोत है। अतः अनुपचारित मानव मल, जल जनित रोगों का सबसे सुगम पथ बन जाता है। इनमें हैजा, टायफाइड, पोलियो, मेनिन्जाइटिस, हेपैटाइटिस और पेचिश जैसे रोग सम्मिलित हैं।

NCERT SOLUTIONS

प्रश्न (पृष्ठ संख्या 239-240)

प्रश्न 1 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. जल को स्वच्छ करना _________ को दूर करने का प्रक्रम हैं |
  2. घरों द्वारा निर्मुक्त किए जाने वाला अपशिष्ट जल _________ कहलाता हैं |
  3. शुष्क __________ का उअपयोग खाद के रूप में किया जाता हैं |
  4. नालियाँ __________ और __________ के द्वारा अबरूद्ध हो जाती हैं |

उत्तर-

  1. प्रदूषक 
  2. वाहित मल
  3. मल
  4. तेल, वसा

प्रश्न 2 वाहित मल क्या हैं? अनुपचारित वाहित मल को नादियों अथवा समुद्र में विसर्जित कारन हानिकारक क्यों हैं? समझाइए |

उत्तर- वाहित मल एक तरल अपशिष्ट हैं जिसमें विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों होती हैं | जैसे घरों, कार्यालयों, कारखानों, अस्पतालों आदि से पानी के साथ – साथ अशुद्धियाँ भी एक बड़े घटक के रूप में पानी में होती हैं, इसे वाहित माल कहा जाता हैं | इसमें जटिल मिश्रण होता हैं जिसमें ठोस, कार्बनिक और अकार्बनिक अशुद्धियां, विभिन्न प्रकार के रोग वाहक जीव होते है, जो बैकटीरिया और अन्य रोगाणुओं का कारण बनाते हैं |

नदियों या समुद्रों में अनुपाचित वाहित माल का निर्वहन जल संसाधनों को प्रदूषित करेगा | दूषित पानी जलीय पौधों और जानवरों के लिए खतरनाक हैं | इससे हेजा, टाइफाइड, पोलियों, मेनिनजाइटिस, मलेरिया, डेंगू आदि कई बीमारियाँ भी फैलाती हैं |

प्रश्न 3 तेल और वसाओं को नाली में क्यों नहीं बहाना चाहिए? समझाइए |

उत्तर- तेल और वसा नालियों में बहाने वाले पानी को रोक कर नालियों को अवरूद्ध कर सकते हैं | खुली नालियों में, वे मिट्टी में छिद्रों को अवरूद्ध करते हैं और इस प्रक्रार मिट्टी द्वारा पानी के अवशोषण में बाधा आती हैं | इसलिए, तेल और वसा को नाली में नहीं छोड़ा जाना चाहिए |

प्रश्न 4 अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के प्रक्रम में सम्म्तिलित चरणों का वर्णन करिए |

उत्तर- अपशिष्ट जल के उपचार में भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रम सम्मिलित होते हैं, जो जल को संदूषित करने वाले भौतिक, रासायनिक और जैविक द्रव्यों को पृथक करने में सहायता करते हैं | 

इसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं

सर्वप्रथम अपशिष्ट जल को ऊर्ध्वाधर लगी छड़ों से बने शलाका छन्नों (बार स्क्रीन) से गुजरा जाता हैं | इसमें अपशिष्ट जल में अपशिष्ट जल में उपस्थित बड़ी वस्तुएं जैसे टुकड़े, डंडे, डिब्बे, प्लास्टिक के पैकेट, नैपकिन आदि को हटा दिए जाते हैं |

अब वाहित अपशिष्ट जल को ग्रिट और बालू अलग करने वाली टंकी से गुजरा जाता हैं, जहाँ रेत, ग्रिट और कंकड़ – पत्थर अलग हो जाते हैं |

जल को एक बड़ी टंकी में लि जाया जाता हैं जहाँ इसे घाटों रखा जाता हैं | यहाँ ठोस तथा निलंबित सूक्ष्म जीव आदि तली में बैठ जाते हैं और उन्हें अलग कर लिया जाता हैं | शीर्ष भाग को अलग कर लिया जाता हैं |

उपचारित जल में, अल्प मात्र में कार्बनिक पदार्थ और निलंबित तत्त्व होते हैं | जल को वितरण तंत्र से निर्मुक्त करने से पहले उसे क्लोरिन अथवा ओज़ोन जैसे रसायनों से रोगाणु रहित किया जाता हैं इसके बाद इसे समुद्र, नदी अथवा भूमि में विसर्जित कर दिया जाता हैं |

प्रश्न 5 आपंक क्या हैं? समझाइए इसे कैसे उपचारित किया जाता हैं |

उत्तर- अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के दौरान, अपशिष्ट जल में पड़े हुए कीचड़, मानव अपशिष्ट आदि को आपंक कहते हैं | चूंकि यह जैविक कचरा हैं, इसलिए इसका उपयोग बायो गेंस और खाद बनाने के लिए किया जाता हैं | कीचड को एकत्र किया जाता हैं | इसे एक अलग टैंक में स्थानांतरित किया जाता हैं जहाँ इसे अवायवीय बैक्टीरिया द्वारा विघटित किया जाता हैं | इस प्रक्रिया में उत्पादित बायोगैंस का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता हैं | जलवाहक टैंक के बाद, रोगाणुओं और मानव अपशिष्ट का निपटन होता हैं और सक्रीय कीचड़ बनत हैं | सक्रीय कीचड़ में लगभग 97% पानी हैं | सुखाने  वाली मशीन द्वारा पानी निकला जाता हैं | सूखे केचाद का उपत्योग खाद के रूप में किया जाता हैं |

प्रश्न 6 अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ संकट हैं | समझाइए |

उत्तर- अनुपचारित मानव मल में कई रोगाणु तथा विषाणु जैसे सूक्ष्ण जीव कई बिमारियों जैसे हैजा, दस्त, टाइफाइड, पोलियों, मेनिनजाइटिस, हेपेटाइटिस आदि के लिए उत्तरदायी होते हैं | इन रोगों के कीटाणु हवा, पानी या कीड़ों द्वारा आसानी से भोजन या पीने के पानी दो दूषित कर सकते हैं | इस प्रक्रार, अनुपचारित मानव मल स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं |

प्रश्न 7 जल को रोगाणुनाशित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो रसायनों के नाम बताइए |

उत्तर- क्लोरिन और ओज़ोन (दवा उघोग में) जैसे रसायनों का उपयोग आमतौर पर जल को रोगाणुनाशित (रोगाणु मुक्त) करने के लिए किया जाता हैं |

प्रश्न 8 अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र में शलाका छन्नों के कार्या को समझाइए |

उत्तर- अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के प्रक्रम में सर्वप्रथम अपशिष्ट जल को उर्ध्वाधर लगी छड़ों से बने शलाका छन्नों से गुजरा जाता हैं | इससे अपशिष्ट जल में उपस्थित बड़ी वस्तुएँ जैसे टुकड़े, डंडे, डिब्बे, प्लास्टिक के पैकेट, नैपकिन आदि को हटा दिए जाते हैं |

प्रश्न 9 स्वच्छता और रोग के बीच संबंध को समझाइए |

उत्तर- आस – पास की गन्दगी और दूषित पेयजल के कारण बड़ी संख्या में बीमारियाँ होती हैं | गन्दगी से हानिकारक रोगाणुओं, मक्खियाँ और मच्छरों का विकास होता हैं | जो हैजा, टाइफाइड, पोलियों, मेनिनजाइटिस, हेपेटाइटिस और पेचिश जैसी कई बीमारियों को फ़ैलाने का स्नोत हैं |

प्रश्न 10 स्वच्छता के सन्दर्भ में एक सक्रीय नागारिक के रूप में अपनी भूमिका को समझाइए |

उत्तर- अपशिष्ट जल उपचार संयत्र को बाने और ब्वानाए राकहने के लिए महंगे बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती हैं | इसलिए, हमें एक सक्रिया नागारिक बनाकर कचरे को सीमित करना चाहिए | निम्नलिखित का अनुसरण करने का प्रयास करे

खुली नालियों को ढकना चाहिए और आस – पास को साफ़ रखे |

तेल और वसा से बनी चीजों को नालियों में नहीं फेंकना चाहिए |

रसायन जैसे पेंट, कीटनाशक. गाड़ियों से निकला तेल आदि को नाली में नहीं फेंकना चाहिए |

लोगों को जागरूक करें तथा पर्यावरण को सवच्छ रखने के लिए सामुदायिक प्रथाओं को प्रोत्साहित करें |

पुनर्चक्रित तथा गैर – पुनार्न्विनिकर्ण को अलग – अलग जगह फेकें |

प्रश्न 11 प्रस्तुत वर्ग पहेली को दिए गए संकेतों की सहायता से हल कीजिए |

संकेत बाएँ से दाएँ 

2. वाहित माल उपचार संयंत्र से प्राप्त गैसीय उत्पाद |

4. इस प्रक्रम में प्रदूषित जल से वायु को गुजारा जाता हैं |

7. वाहित माल के जाने वाले पाइपों की व्यवस्था |

8. उपयोग के बाद नालियों में बहता जल |

ऊपर से नीचे

1. जल उपचार में रोगाणुनाशित के लिए प्रयुक्त एक रसायन |

3. वह सूक्ष्म जीव, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्था का विघटन करते हैं |

5. संदूषित जल |

6. वह स्थान, जहाँ वाहित मल से प्रदूषक पृथक किए जाते हैं |

9. अनेक व्यक्ति उसका विसर्जन खुले स्थनों में करते हैं |

उत्तर-

प्रश्न 12 ओज़ोन के बारे में निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए|

  1. वह सजीव जीवों के श्वसन के लिए अनिवार्य हैं|
  2. इसका उपयोग जल को रोगाणु रहित करते के लिए किया जाता हैं|
  3. यह पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती हैं|
  4. वायु में इसका अनुपात लगभग 3% हैं|

इनमें से कौन से वक्तव्य सही हैं:

  1. (a), (b) और (c)
  2. (a) और (c)
  3. (a) और (c)
  4. सभी चार

उत्तर- (ii) (a) और (c)