अध्याय-7: टिकट अलबम

-सुंदरा रामस्वामी

सारांश

टिकट अलबम कहानी सुंदरा राम स्वामी जी द्वारा लिखी गयी एक बाल प्रद कहानी है। कहानी में राजप्पा नाम के एक लड़के के बारे में बताया गया है ,जिसे टिकट एलबम बनाने का शौक है। वह टिकट इकठ्ठा करने के लिए बहुत मेहनत करता था। स्कूल से घर लौटने पर वह मीलों पैदल चलाकर टिकट लाने जाता था। कभी कभी वह अपने दो टिकट देकर उनका एक टिकट लाता। इस प्रकार उसने एक भारी भरकम टिकट एलबम बना लिया था। जिसके कारण कक्षा में उसकी धाक जम गयी थी। लेकिन कहानी में बदलाव तब आया। जब कक्षा में ही पढने वाले नागराजन के मामा ने सिंगापूर से टिकट एलबम भेज दिया। वह बहुत ही सुन्दर एलबम था ,जिसे कक्षा में सभी लोगों ने पसंद किया। अब नागराजन की धाक जम गयी। इसके कारण राजप्पा को कोई पूछता ही नहीं था। राजप्पा ,नागराजन से चिढ़ने लगा। अब उसका मन,पढाई लिखाई में नहीं लगता था। कक्षा में सभी लोग उसे चिढ़ाने लगे ,जिससे उसका मन विद्यालय भी जाने को नहीं कहता था। 

राजप्पा ,एक दिन नागराजन के घर मिलने गया। घर पर नागराजन नहीं था। नागराजन की बहन ने बताया कि वह शहर गया हुआ है। अकेले कमरे में बैठे होने के कारण दराज में रखे हुए नागराजन के एलबम को राजप्पा ने चुरा लिया और कमीज के नीचे खोस कर घर भागा। शाम तक नागराजन और उसके सभी दोस्तों को खबर हो गयी है कि उसका एलबम चोरी हो गया है। एलबम लाकर राजप्पा ने अपने कमरे की आलमारी के पीछे छिपा दिया। वह बहुत डर गया था। उसे रात भर नींद नहीं आई। दूसरे दिन अप्पू ने बताया कि नागराजन की बहन बता रही है कि तुम्ही उसके कमरे में गए थे और सभी लोग तुम पर शक कर रहे हैं। उसके पिता पुलिस के दफ्तर में काम करते हैं। हो सकता है कि वे पुलिस की शिकायत करें। यह बातें सुनकर राजप्पा बहुत डर गया गया। अब हर आहट उसे पुलिस की लगने लगी। वह अम्मा के दरवाजा खटखटाने से डरने लगा। वह थक हार कर नागराजन ने एलबम को अंगीठी पर जला दिया। दूसरे दिन जब नागराजन ,उसके घर आया तो वह पश्चाताप से भरा हो के कारण अपना एलबम उसे सौंप दिया। नागराजन बार – बार मना करता रहा ,लेकिन राजप्पा नहीं माना और रोते रोते अपना एलबम उसे सौंप दिया।

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कहानी से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 66-67)

प्रश्न 1 नागराजन के अलबम के मुख्य पृष्ठ पर क्या लिखा था और क्यों? इसका असर कक्षा के दूसरे लड़के-लड़कियों पर क्या हुआ?

उत्तर- नागराजन के अलबम के मुख्य पृष्ठ पर उसका नाम लिखा था- ए.एम. नागराजन और नीचे ये पंक्तियाँ लिखी थीं- ‘इस अलबम को चुराने वाला बेशर्म है। ऊपर लिखे नाम को कभी देखा है? यह अलबम मेरा है। जब तक घास हरी है और कमल लाल, सूरज जब तक पूर्व से उगे और पश्चिम में छिपे, उस अनंत काल तक के लिए यह अलबम मेरा है, रहेगा।’ इन पंक्तियों को लिखने का उद्देश्य यह था कि उस अलबम को कोई चुराए नहीं। लड़के-लड़कियों को यह पंक्तियाँ इतनी पसंद आईं कि उन्होंने इसे अपने किताब-कॉपी और अलबम पर उतार लिया।

प्रश्न 2 नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्पा के मन की क्या दशा हुई?

उत्तर- नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्पा कुढ़ने लगा। उसका स्कूल जाने का मन न होता। दोस्तों से भी वह दूर रहने लगा। टिकट संग्रह में भी उसकी रुचि पहले जैसी न रही। वह हर वक्त अपना अलबम हाथ में लिए बैठा रहता। उसे अपने अलबम से चिढ़ होने लगी। जो टिकट उसने इतनी मेहनत से एकत्र किए थे, वही उसे कूड़ा लगने लगे।

प्रश्न 3 अलबम चुराते समय राजप्पा किस मानसिक स्थिति से गुज़र रहा था?

उत्तर- अलबम चुराते समय राजप्पा का दिल तेजी से धड़क रहा था। अलबम कमीज के नीचे खोंसकर वह भागता हुआ अपने घर पहुँचा। उसका शरीर जल रहा था। गला सूख गया था और चेहरा तमतमा रहा था। रात का खाना भी वह नहीं खा सका। उसकी सूरत भयानक हो गई थी। घर के लोग उसे देखकर चिंतित हो गए थे। रात में उसे ठीक से नींद भी नहीं आई। अलबम को तकिए के नीचे रखकर ही वह सो पाया।

प्रश्न 4 राजप्पा ने नागराजन का टिकट-अलबम अँगीठी में क्यों डाल दिया?

उत्तर- नागराजन के पिता डी.एस.पी. के दफ्तर में काम करते थे। अप्पू ने राजप्पा को बताया था कि वह अलबम खोने की सूचना पुलिस को देने वाले हैं। राजप्पा यह सोचकर डर गया कि पुलिस के तलाशी लेने पर वह पकड़ा जाएगा इसलिए घबराहट में उसने नागराजन का अलबम अँगीठी में डाल दिया।

प्रश्न 5 लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से क्यों की?

उत्तर- जिस तरह मधुमक्खी रात-दिन एक करके अपना शहद इकट्ठा करती है, उसी तरह राजप्पा भी सब कुछ भूल कर टिकट इकट्ठा करने के पीछे पड़ा रहता। वह सुबह आठ बजे ही टिकट की खोज में निकल जाता। मीलों पैदल चलकर वह अपने टिकट इकट्ठा करने वाले दोस्तों के पास जाता और दो टिकट देकर एक दूसरा टिकट लेता। उसकी इसी धुन के कारण लेखक ने उसकी तुलना मधुमक्खी से की है।

कहानी से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 67)

प्रश्न 1 टिकटों की तरह ही बच्चे और बड़े दूसरी चीजें भी जमा करते हैं। सिक्के उनमें से एक हैं। तुम कुछ अन्य चीज़ों के बारे में सोचो जिन्हें जमा किया जा सकता है। उनके नाम लिखो।

उत्तर- टिकटों और सिक्कों के अतिरिक्त पेंटिंग्स, बैग, जूते, या कुछ अनमोल कलाकृतियाँ जमा की जा सकती हैं।

प्रश्न 2 टिकट-अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में क्या फ़र्क है? तुम अपने शौक के लिए कौन-सा तरीका अपनाओगे?

उत्तर- राजप्पा ने टिकट एकत्र करने में जी-जान लगा दिया था। उसे टिकट इकट्ठा करने की धुन थी। बड़ी मेहनत से उसने अपना अलबम तैयार किया था। परंतु नागराजन को बैठे-बिठाए सुंदर-सा अलबम मिल गया। उसके मामाजी ने सिंगापुर से उसके . लिए टिकट अलबम भेज दिया था। उसे टिकट जुटाने में कोई परेशानी नहीं हुई। यदि मुझे टिकट अलबम बनाना हो, तो मैं राजप्पा का तरीका अपनाऊँगा क्योंकि अपनी मेहनत से कुछ बनाने और बिना मेहनत के पा लेने में फर्क होता है।

प्रश्न 3 इकट्ठा किए हुए टिकटों का अलग-अलग तरह से वर्गीकरण किया जा सकता है, जैसे-देश के आधार पर। ऐसे और आधार सोचकर लिखो।

उत्तर- टिकटों का वर्गीकरण निम्न आधार पर किया जा सकता है-पशु-पक्षियों के आधार पर, महापुरुषों के आधार पर, सामाजिक समस्याओं के आधार पर, ऐतिहासिक घटनाक्रम के आधार पर, स्वतंत्रता संग्राम के आधार पर, इत्यादि।

प्रश्न 4 कई लोग चीजें इकट्ठी करते हैं और ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। इसके पीछे उनकी क्या प्रेरणा होती होगी? सोचो और अपने दोस्तों से इस पर बातचीत करो।

उत्तर- चीजें इकट्ठा करने का शौक जब चरम सीमा तक पहुँच जाता है और वह दुनिया के बाकी लोगों को पीछे छोड़ देता है, तब नाम गिनीज बुक में दर्ज होता है। अक्सर प्रसिद्धि पाने की लालसा में लोग इस तरह के काम करते हैं।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 67)

प्रश्न 1 राजप्पा अलबम जलाए जाने की बात नागराजन को क्यों नहीं कह पाता है? अगर वह कह देता तो क्या कहानी के अंत पर कुछ फ़र्क पड़ता? कैसे?

उत्तर- राजप्पा पुलिस द्वारा पकड़ लिए जाने के डर से नागराजन को नहीं बता पाता है कि उसका अलबम उसने जला दिया है। अगर वह बता देता तो कहानी का अंत कुछ और होता। संभव है नागराजन उससे लड़ पड़ता। उसके माता-पिता से इसकी शिकायत करता। राजप्पा को डाँट सुननी पड़ती। हो सकता है, नागराजन स्कूल में भी सबको बता देता और राजप्पा को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती।

प्रश्न 2 कक्षा के बाकी विद्यार्थी स्वयं अलबम क्यों नहीं बनाते थे? वे राजप्पा और नागराजन के अलबम के दर्शक मात्र क्यों रह जाते हैं? अपने शिक्षक को बताओ।

उत्तर- कक्षा में बस एक राजप्पा ही था, जिसे टिकट इकट्ठा करने की धुन थी। वह एक-एक टिकट हासिल करने के लिए दोस्तों के घर के कई चक्कर लगाता था। उसका अलबम कक्षा में सबसे बड़ा था। अन्य विद्यार्थी इस काम में इतनी रुचि नहीं रखते थे। उन्होंने इसके लिए कभी प्रयास भी नहीं किया, इसलिए उनके पास टिकटों का इतना बड़ा संग्रह नहीं था। यही कारण है कि वे सब बड़े मन से राजप्पा का अलबम देखा करते थे। बाद में नागराजन को उसके मामा से एक बना बनाया अलबम मिल गया, जो राजप्पा के अलबम से अधिक सुंदर था। यद्यपि नागराजन का इसमें कोई योगदान नहीं था, फिर भी उस अलबम की सुंदरता के कारण लड़के उसके दर्शक हो गए थे।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 67-68)

प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों को कहानी में ढूँढ़कर उनका अर्थ समझो। अब स्वयं सोचकर इनसे वाक्य बनाओ

खोंसनाअगुआ
टटोलकरखलना
जमघटपुचकारना
कुढ़नाहेकड़ी
ठहाकातारीफ़

उत्तर- खोंसना (फँसाना)- खोंसना (फँसाना) माँ ने मेरे बालों में पिन खोंस दी।

अगुआ (आगे रहने वाला)- अगुआ (आगे रहने वाला) मोहन पढ़ाई-लिखाई में अपनी कक्षा का अगुआ है।

जमघट (भीड़)- जमघट (भीड़) आँगन में लोगों का जमघट देख वह घबरा गया।

पुचकारना (तसल्ली देना)- पुचकारना (तसल्ली देना) मैंने उस छोटे बच्चे को पुचकारकर चुप कराया।

टटोलना (छूकर अंदाजा लगाना)- टटोलना (छूकर अंदाजा लगाना) मेरी जेब मत टटोलो, एक रुपया भी नहीं मिलेगा।

खलना (कमी का एहसास होना)- खलना (कमी का एहसास होना) माँ का चले जाना उसे बहुत खल रहा है।

कुढ़ना (ईर्ष्या होना)- कुढ़ना (ईर्ष्या होना) दूसरों की सफलता देखकर कुढ़ना नहीं चाहिए।

हेकड़ी (घमंड)- हेकड़ी (घमंड) राघव अपने रुतबे की हेकड़ी दोस्तों में दिखाता फिरता है।

ठहाका (जोर की हँसी)- ठहाका (जोर की हँसी) उसके चुटकुले को सुन सभी ठहाका लगाकर हँस पड़े।

तारीफ (प्रशंसा)- तारीफ (प्रशंसा) उसके गुणों की सभी तारीफ करते हैं।

प्रश्न 2 कहानी में व्यक्तियों या वस्तुओं के लिए प्रयुक्त हुए ‘नहीं’ का अर्थ देने वाले शब्दों (नकारात्मक विशेषण) को छाँटकर लिखो। उनका उलटा अर्थ देने वाले शब्द भी लिखो।

उत्तर-

नकारात्मक विशेषणउलटा अर्थ देने वाले शब्द
घमंडीस्वाभिमानी
फिसड्डीअगुआ
बेशर्मशर्मीला
ईर्ष्यालुस्पर्धालु
कूड़ासुंदर, अच्छा
कीमतीसस्ता
फालतूफायदेमंद, अच्छे
चिंतितनिश्चित
भयानकमनभावन
उतराचढ़ा, खिला