अध्याय-7: गति एवं दूरियों का मापन
गति
सामान्य शब्दों में गति का अर्थ – वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है। गति (Motion)= यदि कोई वस्तु अपनी स्थिति अपने चारों ओर कि वस्तुओं की अपेक्षा बदलती रहती है तो वस्तु की इस स्थिति को गति कहते है। जैसे- नदी में चलती हुई नाव, वायु में उडता हुआ वायुयान आदि।
दूरि
एक निश्चित समय अंतराल में किसी वस्तु द्वारा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक की चली गई कुल लंबाई को दूरी कहते हैं।
दूरी एक अदिश राशि है। क्योंकि इसका सिर्फ परिमाण होता है। कोई दिशा नहीं होती है।
दूरी का मात्रक :- दूरी का SI पद्धति में मात्रक मीटर होता है।
इसके अलावा दूरी को किलोमीटर आदि में भी मापा जाता है।
मापन
विज्ञान मापन पर आधारित है। किसी भी राशि की माप के लिए कुछ मानक मापों की आवश्यकता होती है। इसी मानक को उस राशि का मात्रक कहते हैं।
किसी राशि का परिमाण उसके मात्रक के साथ तुलना करके ज्ञात किया जाता है।
उदाहरण के लिए,
जब हम यह कहते हैं कि किसी टेबल की लंबाई 2 मीटर है तो इसका अर्थ यह है कि दो मीटर स्केलों को एक सीध में सिरे से सिरा जोड़कर रखने पर वह टेबल के लंबाई के बराबर होंगे।
अतः टेबल की लंबाई का परिमाण है।
2 मीटर = 2 × 1 मीटर
इस प्रकार की किसी राशि के परिमाण के पूरी जानकारी के लिए निम्नलिखित दो बातों का ज्ञान आवश्यक है :-
एक मात्रक जिसमें राशि को व्यक्त किया गया, तथा एक संख्यांक जो यह बताता है कि दी गई राशि में वह मात्रक कितनी बार शामिल है।
लम्बाई की माप :
मात्रा की माप :
क्षेत्रफल की माप :
आयतन की माप :
तरल पदार्थ में आयतन की माप :
समय की माप :
लम्बाई की अंग्रेजी में माप :
अंग्रेजी एवं मैट्रिक मापों में संबंध :
मापन के ये चार स्तर (प्रकार)-
- नामित मापन (Nominal Measurement),
- क्रमित मापन (Ordinal Measurement),
- अन्तरित मापन (Interval Measurement), तथा
- अनुपातिक मापन (Ratio Measurement) है।
1 .नामित मापन
यह सबसे कम परिमार्जित स्तर का मापन है। इस प्रकार का मापन किसी गुण अथवा विशेषता के नाम पर आधारित होता है। इसमें व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को उनके किसी गुण अथवा विशेषता के प्रकार के आधार पर कुछ वर्गों या समूहों में विभक्त कर दिया जाता है।
2 .क्रमित मापन (Ordinal Measurement)
यह मापन वास्तव में गुण की मात्रा के आकार पर आधारित होता है। इस प्रकार के मापन में व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को उनके किसी गुण की मात्रा के आधार पर कुछ ऐसे वर्गों में विभक्त कर दिया जाता है, जिनमें एक स्पष्ट अन्तर्निहित क्रम निहित होता है।
3 . अन्तरित मापन (Interval Measurement)
यह नामित व क्रमित मापन से अधिक परिमार्जित होता है। अंतरित मापन गुण की मात्रा अथवा परिमाण (Quantity) पर आधारित होता है। इस प्रकार के मापन में व्यक्तियों अथवा वस्तुओं में विद्यमान गुण की मात्रा को इस प्रकार की ईकाइयों के द्वारा व्यक्त किया जाता है कि किन्हीं दो लगातार ईकाइया में अन्तर समान रहता है। जैसे छात्रों को उनकी गणित योग्यता के आधार पर अंक प्रदान करना अन्तरित मापन का एक सरल उदाहरण है। यहाँ यह स्पष्ट है कि 35 एवं 36 अंकों के बीच ठीक वही अन्तर होता है जो अन्तर 48 व 49 अंकों के बीच होता है। अधिकांश शैक्षिक, सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक चरों का मापन प्रायः अन्तरित स्तर पर ही किया जाता है। समान दूरी पर स्थित अंक ही इस स्तर के मापन की ईकाइयाँ होती है। इन ईकाइयों के साथ जोड़ व घटाने की गणितीय संक्रियाएँ की जा सकती है । इस स्तर के मापन में परम शून्य (Absolute zero) या वास्तविक शून्य (True zero) जैसा गुणविहीनता (Absence of Trait) को व्यक्त करने वाला कोई बिन्दु नही होता है जिसके कारण इस स्तर के मापन से प्राप्त परिणाम सापेक्षिक (Relative) तो होते हैं परन्तु निरपेक्ष (Absolute) नही होते हैं। इस स्तर पर शून्य बिन्दु तो हो सकता है परन्तु यह आभासी (Hypothetical) होता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई छात्र गणित परीक्षण पर शून्य अंक प्राप्त करता है तो इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वह छात्र गणित विषय में कुछ नहीं जानता है। इस शून्य का अभिप्राय केवल इतना है कि वह छात्र प्रयुक्त किये गये गणित परीक्षण के प्रश्नों को सही हल करने में पूर्णतया असफल रहा है परन्तु वह गणित के कुछ अन्य सरल प्रश्नों को सही हल भी कर सकता है। अन्तरित मापन से प्राप्त अक्को के साथ जोड़ तथा घटाव की गणनाएँ की जा सकती है। परन्तु गुणा तथा भाग की संक्रियाएं करना सम्भव नहीं होता है। शिक्षा शासत्र, समाज शास्त्र, तथा मनोविज्ञान में प्रायः अन्तरित स्तर के मापन का ही प्रयोग किया जाता है।
4. अनुपातिक मापन (Ratio Measurement) है।
यह मापन सर्वाधिक परिमार्जित स्तर का मापन है। इस प्रकार के मापन में अन्तरित मापन के सभी गुणों के साथ-साथ परम शून्य (Absolute zero) या वास्तविक शून्य (True zero) की संकल्पना निहित रहती है। परम शून्य वह स्थिति है जिस पर कोई गुण पूर्ण रूपेण अस्तित्व विहीन हो जाता है।
मापन के साधन
यातायात साधन :-
यातायात को सरल भाषा में परिवहन कहा जा सकता है और परिवहन का अर्थ होता है एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करना और जिन साधनों के द्वारा यातायात की जाती है उन्हें यातायात के साधन कहते हैं। उदाहरण के लिए रेल गाड़ी, हवाई जहाज, पानी जहाज, बस, मोटर साइकिल, आदि। आज यातायात बेहद सुगम और त्वरित हो चुके हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन के लिए बेहद तेज गति की यात्राएं उपलब्ध हैं। कुछ दशक पहले यातायात के लिए बेहद ही सीमित साधन थे। जिनमें यातायात करने का खर्च तथा समय बहुत ही ज्यादा लगता था। आने-जाने के साधन को यातायात कहते हैं।
आज यातायात की सुविधा फोन के एक क्लिक पर उपलब्ध हो गई है। यातायात को आधुनिक करने के लिए पर्यावरण से भी समझौता किया गया है अर्थात बड़ी मात्रा में वृक्षों को काटा गया है तथा उनके जगह यातायात के मार्गों का निर्माण किया गया है। जिसके दुष्प्रभाव अक्सर देखे जाते हैं।
- सड़क परिवहन :- साइकिल , मोटरसाइकिल , कार , बस एवं रेलगाड़ी आदि ।
- वायु परिवहन :- हेलीकॉप्टर , जेट विमान , हवाई जहाज आदि ।
- जल परिवहन :- नाव , स्टीमर , पानी जहाज आदि ।
यातायात के प्रकार:-
यातायात को मुख्यतः पांच भागों में बांटा गया है-
- जलमार्ग यातायात
- थलमार्ग यातायात
- हवाई यातायात
- रेल यातायात
- पाइपलाइन यातायात
- अंतरिक्ष यातायात (भविष्य)
जलमार्ग यातायात:-
जल के रास्तों से किए यातायात को जलमार्गीय यातायात कहा जाता है। पृथ्वी पर 73% जल है और ज्यादा वजन के साथ यातायात करना आकाशीय मार्ग तथा जमीनी मार्ग के यातायात के लिए अनुकूल नहीं होता इसलिए एक देशों से दूसरे देशों तक व्यापारिक परिवहन के लिए जल मार्गों का उपयोग किया जाता है। जलमार्ग के यातायात में पानी के जहाज इत्यादि साधन आते हैं।
थल मार्ग यातायात:-
थलमार्गीय यातायात अर्थात जमीनी रास्तों से किया जाने वाला परिवहन। सबसे ज्यादा जमीनी मार्गों से ही यातायात को चुना जाता है। जमीनी यातायात के लिए कुछ मानक निश्चित किए गए हैं जैसे कि नियम के अनुसार वाहन चलाना इत्यादि। कम दूरी के लिए यह अनुकूल है मगर लंबी दूरी के लिए अन्य प्रकार के यातायात को चुनना पड़ता है।
हवाई यातायात:-
आकाश मार्ग से किया जाने वाला यातायात नभीय यातायात कहलाता है। लंबी दूरी तथा कम समय के साथ यह कीमत में थोड़ा अधिक होता है। हवाई यातायात करने के भी कुछ नियम बनाए गए हैं जैसे कि किसी प्रकार के धातु तथा गैर कानूनी चीज़ों को ले जाने की इसमें मनाही होती है।
रेल यातायात:-
रेलवे के द्वारा दुनियाँ की एक बड़ी आबादी सफ़र करती है और सामान लाने ले जाने के लिए रेल मार्ग सबसे अच्छा जरिया है। रेल यातायात भारत में सबसे अधिक उपयोग में लिया जाने वाला परिवहन है।
पाइपलाइन यातायात:-
आज यातायात के साधन के सबसे उत्तम नमूने के रूप में पाइपलाइन परिवहन को ले सकते हैं। जहाँ एक ओर हज़ारों किलोमीटर के केबल परिवहन का जाल बिछा है वही पाइपलाइन परिवहन के उपयोग में बढ़ोत्तरी हुई है।
पाइपलाइन यातायात अभी इंसानों के लिए उपयोग में नहीं लिया जा रहा, कुछ देश अपनी सैन्य सामग्री को को गुप्त रूप से लाने ले जाने के लिए पाइपलाइन यातायत का उपयोग होता है।
अंतरिक्ष तक पैर पसारता यातायात:-
आज सिर्फ जमीन तक ही नहीं अंतरिक्ष तक भी यातायत चल रही है आज मानव चाँद तक पहुँच गया है और वहां अपने बसने के इंतजाम करने में लगा है। अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्ष यान में इंधन पहुँचाने के लिए ऐसे ही यातायात की मदद लेनी पड़ती है।
मात्रक :- किसी भी राशि की मात्रा का मान ज्ञात करने के लिए अर्थात उस राशि को मापने के लिए कुछ मानक मान लिया जाता है जिन्हे हम मात्रक कहते है | दुसरे शब्दों में कोई भौतिक राशि जिसके द्वारा मापी जाती है उसे मात्रक कहतें है | मापन के एक निश्चित राशि को मात्रक कहते हैं।
किसी भी राशि का मात्रक अर्थात ऐसा यन्त्र या मात्रक जिससे हम उस राशि को मापते है | क्यूंकि अलग – अलग राशियों के लिए अलग अलग मात्रक इस्तेमाल किये जातें है |
उसका संख्यात्मक मान : – उस राशि का परिमाण मतलब , इससे यह पता चल जाता है की उस राशि में, चुने गए मात्रक की मात्रा का कितनी बार इस्तेमाल किया गया है | इसे उदाहरण से समझतें है – माना की किसी क्षण की लम्बाई 10 मीटर है|
मात्रक को आसानी से समझने के लिए दो प्रकारों में विभाजित किया गया है –
- मूल मात्रक
- व्युत्पन्न मात्रक
मूल मात्रक
ऐसे भौतिक राशि जो की अन्य मात्रकों पर निर्भर नहीं करते अर्थात आधारित नहीं होते है बल्कि स्वयं में स्वतंत्र होते है, मूल मात्रक कहलाते है|
उदाहरण के लिए लम्बाई का मीटर तो समय का सेकंड और द्र्वयमान का किलोग्राम इत्यादि मूल मात्रक के उदाहरण है |
- इसमें लम्बाई या दूरी का मूल मात्रक मीटर होता है जिसे m से प्रदर्शित करतें है |
- इसमें द्रव्यमान का मूल मात्रक किग्रा. होता है जिसे kg से प्रदर्शित करतें है |
- इसमें समय का मूल मात्रक सेकेण्ड होता है जिसे s से प्रदर्शित करतें है |
- इसमें ताप का मूल मात्रक कैल्विन होता है जिसे k से प्रदर्शित करतें है |
- इसमें विद्युत धारा का मूल मात्रक ऐम्पियर होता है जिसे a से प्रदर्शित करतें है |
- इसमें ज्योति तीव्रता का मूल मात्रक कैण्डला होता है जिसे Cd से प्रदर्शित करतें है |
- इसमें पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक मोल होता है जिसे mol से प्रदर्शित करतें है |
पूरक मूल मात्रक:-
इसमें तलीय कोण का मूल मात्रक रेडियन होता है जिसे Rd से प्रदर्शित करतें है |
इसमें घन कोण का मूल मात्रक स्टेरेडियन होता है जिसे Srd से प्रदर्शित करतें है |
व्युत्पन्न मात्रक
जब हम एक या उससे अधिक मूल मात्रकों का उपयोग करके अर्थात मूल मात्रकों की कई घाटों का उपयोग करके नए मात्रक बनातें हैं उसे व्युत्पन्न मात्रक कहतें है |
उदाहरण के लिए –
मान लीजिये आपको किसी वस्तु के क्षेत्रफल का मात्रक ज्ञात करना है, परन्तु हमें नहीं पता की क्षेत्रफल का मात्रक क्या होता है? लेकिन हम जानते है की क्षेत्रफल , लम्बाई और चौड़ाई के गुणनफल के बराबर होता है |
क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
मात्रक = मीटर × मीटर = मीटर 2
इस उदाहरण से पता चलता है की क्षेत्रफल का मात्रक व्युत्पन्न मात्रक है, क्यूंकि इसका निर्माण मूल मात्रक की सहायता से हुआ है | यहां पर हमने लम्बाई और चौड़ाई के मूल मात्रक मीटर की सहायता से क्षेत्रफल का मात्रक मीटर2 प्राप्त किया है | इसी प्रकार से आयतन का मात्रक मीटर3, लम्बाई × चौड़ाई × ऊँचाई के मात्रक मीटर के 3 बार गुणा करने से प्राप्त होता है, घनत्व का मात्रक किग्रा/ मीटर3 इत्यादि व्युत्पन्न मात्रक के उदाहरण है |
माप के परिणाम :- 1. संख्या भाग और 2. मात्रक भाग
लम्बाई मापने के प्राचीन तरीके हैं :- पैर की लम्बाई, अंगुली की चौड़ाई, हाथ की लम्बाई, एक कदम की दूरी आदि ।
लम्बाई मापने के आधुनिक तरीके हैं :- मिलीमीटर, सेंटीमीटर, मीटर, तथा किलोमीटर आदि ।
संसार के विभिन्न भाग प्रयोग :- मात्रक के रूप
1 गज में कितना फुट होता है?
एक गज में 3 फुट होता है।
1 गज में कितना इंच होता है?
1 गज में 36 इंच होता है।
1 गज में कितना मीटर होता है?
1 गज में 0.91 मीटर होता है।
1 गज में कितना मीटर होता है?
1 गज में 0.91 मीटर होता है।
1 बीघा में कितना गज होता है?
1 बीघा में 965 गज होता है। (अलग – अलग राज्य में ये मापन अलग आयेगा)
फुट क्या है:-
फीट और फुट एक लम्बाई की इकाई होती है, जिसे शाही और अमेरिकी प्रथागत प्रणालियों द्वारा मान्यता प्राप्त है. साल 1959 में दोनों इकाइयों को अंतर्राष्ट्रीय समझौते द्वारा 0.3048 मीटर के बराबर माना गया है.
फीट, फुट का बहुवचन होता है. एक फुट में 12 इंच और एक गज में 3 फ़ीट होते हैं.
1 फुट में 12 इंच, 30.48 सेंटीमीटर और 0.3048 मीटर होता है.
वर्ग फीट क्या है: –
1 वर्ग फीट और कुछ नहीं बल्कि 1 फुट x 1 फुट होता है, ये एक वर्ग होता हैं जिसकी चारों दीवारे 1 फुट की होती हैं और इसका क्षेत्रफल 1 वर्ग फीट होता है.
हम इसे इस प्रकार भी समझा सकते हैं कि
Side2 = (1Foot)2 = 1 Square Foot
फीट को हम फुट के नाम से भी जानते हैं, एक फ़ीट का अर्थ 30.48 सेंटीमीटर होता है और 1 वर्ग फीट का अर्थ 929.0304 (सेंटीमीटर) 2 होता है.
1790 में , फ्रंसिसियों ने मापन की एक मानक प्रणाली की रचना की जिसे ‘ मीटर पद्धति ‘ कहते हैं।
S.I मात्रक :-
‘अंतर्राष्टीय मात्रक प्रणाली – ‘संसार के वैज्ञानिकों ने मापन के मानक मात्रकों के एक सेट को स्वीकार कर लिया है।
सेंटीमीटर :- प्रत्येक मीटर (M) को 100 बराबर भागों में विभाजित किया जाता है , जिन्हें सेंटीमीटर (Cm) कहते हैं।
मिलीमीटर :- एक सेंटीमीटर के दस बराबर भाग होते हैं , जिन्हें मिलीमीटर (mm ) कहते हैं।
1m = 100cm
1cm = 10 mm
किलोमीटर :- लंबी दूरियों के मापन के लिए बड़े मात्रक का प्रयोग करते हैं।
1km = 1000m
वक्र रेखा :- विभिन प्रकार की आकृतियों को मापने के लिए धागे का प्रयोग करते हैं। फिर धागे से मापक से मापना चाहिए।
जैसे :- वृत्त को मापना
गति :-
समय के साथ किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन को गति कहते हैं।
1. सरल रेखीय गति
2. वृत्तीय गति
3. घूर्णन गति
4. दोलन गति
5. आवर्ती गति
6. प्रक्षेप्य गति
सरल रेखीय गति
किसी वस्तु की सीधी रेखा के साथ गति को रेखीय गति या सरल रेखीय गति कहा जाता है।
जैसे कि सीधी सड़क पर साइकिल सवार की गति।
वर्तुल गति
जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर गति करती है तो इसे वस्तु की वर्तुल गति कहा जाता है।
जैसे :- घड़ी की सुई , पंखे की पंखुड़ियाँ आदि
घूर्णन गति
जब कोई वस्तु अपने अक्ष पर गति करती है तो इसे घूर्णन गति कहते हैं।
तो उसे घूर्णी गति (rotational motion) कहा जाता है। यूलर के घूर्णन प्रमेय (theorem) के अनुसार एक ही समय में स्थिर या तय अक्ष (axis) के चारों ओर समकालीन घूर्णन असंभव है। अगर एक ही समय में दो घूर्णन प्रक्रिया हुआ भी तो उनका एक अक्ष बन जाता है। इस प्रकार की गति तब अवतरित होती है जब वह घूर्णन अक्ष के सतह के सीधे हो रहा होता है।
किसी अनम्य (rigid) वस्तु की स्थिर अक्ष के चारो ओर की गतिशीलता उसी वस्तु के मुक्त घूर्णन गति के अपेक्षा कहीं बेहतर होता है। घूर्णन गति एक सीधी दिशा में हो रही गति के अनुरूप काम करता है।
घूर्णन गति तब अवतरित होता है जब कोई भी वस्तु एक वृत्त के अनुसार सीधी रेखा (straight line) में भ्रमण करता है। इस रेखा को घूर्णन अक्ष कहा जाता है। फिर त्रिज्या सदिश (radius vector) वस्तुओं के सारे अक्ष से होते हुए एक ही समय में सामान कोणीय विस्थापन (angular displacement) से गुजरती है।
किसी भी घूर्णन गति को हम तीन कोणीय विस्थापन जोकि तीन आयताकार समन्वय (rectangular coordinates) x, y एवं z के हिसाब से रहती है, मान लेते हैं। उदाहरण के लिए द्रव्यमान केंद्र (centre of mass) ।
उदाहरण :- 1. पृथ्वी के परित: चंद्रमा द्वारा गति करना,
2. हमारे शरीर मे रुधिर का परिसंचरण आदि।
दोलन गति
यदि कोई वस्तु आवर्त गति में एक ही मार्ग पर किसी निश्चित बिन्दु के इर्द – गिर्द गति करती है , तो वस्तु की गति को दोलन गति कहते हैं ।
आवर्ती गति
जब कोई बस्तु एक निश्चित पथ पर गतिमान हो तथा T एक निश्चित समय अंतराल के बाद बार-बार अपनी पूर्व गति को दोहराती है तो इस प्रकार की गति केा आवर्ती गति कहते है।
उदाहरण :-
1.प्रथ्वी का सूर्य के चारो ओर परिक्रमा करने में 365.5दिन का समय लगता है तथा इतने समय अंतराल के बाद अपनी पूर्व गति को दोहराती है । अत: 365.5 दिन उसका आवर्तकाल है
2.घडी की सुईयों की गति व घडी के पेण्डुलम की गति भी आवर्ती गति का उदाहरण है
3.झूले में झूलना ओर अणुओं में परमाणुओं के कम्पन भी आवर्ती गति है
4.ह्रदय का धडकना भी आवर्ती गति होती है
प्रक्षेप्य गति
प्रक्षेप्य गति ( Projectile Motion ) यदि एक पत्थर को तिर्यक रूप से भूमि से फेंका जाता है , तो यह पृथ्वी की सतह के निकट गुरुत्व बल क्षेत्र ( वायु प्रतिरोध की अनुपस्थिति ) में गति करता है । इस प्रकार की गति प्रक्षेप्य गति कहलाती है तथा फेंकी गयी वस्तु को प्रक्षेप्य कहते हैं।
गति का मात्रक
इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड (m/sec) होता है
गति की एस आई यूनिट
m/sec
दूरी को मापन
लंबी दूरी को मापने के लिए किलोमीटर (Km) का उपयोग किया जाता है मीटर और सेंटीमीटर लंबी दूरी को मापने के लिए एक सुविधा जनक मात्रक नहीं है। लंबाई तथा दूरियां मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाले (S.I मात्रक) = मिलीमीटर (mm), सेंटीमीटर (cm), मीटर (m), किलोमीटर (km)।
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 106)
प्रश्न 1 क्या वायु, जल तथा थल पर उपयोग किये जाने वाले परिवहन के साधनों के प्रत्येक के दो उदाहरण लिखिए |
उत्तर-
- वायु परिवहन के दो साधन: हेलीकाप्टर एवं हवाई जहाज |
- जल परिवहन के दो साधन: नाव एवं पानी जहाज |
- थल परिवहन के दो साधन: रेलगाड़ी एवं बस |
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए |
(क) एक मीटर में _____________ सेंटीमीटर होते हैं |
(ख) पांच किलोमीटर में _______________ मीटर होते हैं |
(ग) झूले पर किसी बच्चे की गति ______________ होती है |
(घ) किसी सिलाई मशीन की सुई की गति ____________ होती है
(ङ) किसी साइकिल के पहिये की गति _______________ होती है |
उत्तर-
(क) 100
(ख) 5000
(ग) आवर्ती गति
(घ) आवर्ती गति
(ङ) वर्तुल गति
प्रश्न 3 पग अथवा कदम का उपयोग लम्बाई के मानक मात्रक के रूप में क्यों नहीं किया जाता?
उत्तर- पग अथवा कदम प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होते है जो किसी भी मानक मात्रक के लिए उपयुक्त नहीं है | मानक मात्रक एक स्थिर संख्यात्मक मान होना चाहिए |
प्रश्न 4 निम्नलिखित को लम्बाई के बढ़ते परिणामों में व्यवस्थित कीजिए |
1 मीटर, 1 सेंटीमीटर, 1 किलोमीटर, 1 मिलीमीटर
उत्तर- 1 मिलीमीटर, 1 सेंटीमीटर, 1 मीटर, 1 किलोमीटर
प्रश्न 5. किसी व्यक्ति की लम्बाई 1.65 मीटर है तो इसे सेंटीमीटर में व्यक्त कीजिए |
उत्तर- व्यक्ति की लम्बाई = 1.65 मीटर
सेंटीमीटर में,
1 मीटर = 100 सेंटीमीटर
1.65 मीटर = 1.65 x 100 सेंटीमीटर
= 165 सेंटीमीटर
मिलीमीटर में,
1 सेंटीमीटर = 10 मिलीमीटर
1 मीटर = 100 सेंटीमीटर
या = 100 x 10 मिलीमीटर
= 1000 मिलीमीटर
1.65 मीटर = 1.65 x 1000 मिलीमीटर
= 1650 मिलीमीटर
प्रश्न 6 राधा के घर तथा उसके स्कूल के बीच की दुरी 3250 मीटर है | इस दुरी को किलोमीटर में व्यक्त कीजिए |
उत्तर-
प्रश्न 7 किसी स्वेटर बुनने की सलाई की लम्बाई मापते समय स्केल पर यदि इसके एक सिरे का पाठ्यांक 3.0 सेंटीमीटर तथा दुसरे सिरे का पाठ्यांक 33.1 सेंटीमीटर है तो सलाई कितनी है?
उत्तर-
सलाई के एक सिरे का पाठ्यांक = 3.0 सेंटीमीटर,
सलाई के दुसरे सिरे का पाठ्यांक = 33.1 सेंटीमीटर
दोनों सिरों के बीच की दुरी = 33.1 – 3.0
= 30.1 सेंटीमीटर
प्रश्न 8 किसी चलती हुई साइकिल के पहिये तथा चलते हुए छत के पंखे की गतियों में समानताएँ तथा असमानताएँ लिखिए |
उत्तर-
- समानताएँ: साइकिल के पहिए तथा छत के पंखे चलते समय दोनों ही वर्तुल गति करते हैं |
- असमानताएँ: साइकिल सरल रेखा में गई करता है लेकिन छत का पंखा सरल रेखा में नहीं चलता है |
प्रश्न 9 आप दूरी मापने के लिए किसी प्रत्यास्थ मापक फीते का उपयोग क्यों नहीं करते? यदि आप किसी दूरी को प्रत्स्थान फीते से मापें तो अपनी माप को किसी अन्य को बताने में आपको जो समस्याएँ आएँगी उनमें से कुछ समस्याएँ लिखिए |
उत्तर- प्रत्यास्थ मापक फीता सही माप नहीं देता क्योंकि खींचने पर वह लंबा होता है और छोड़ देने पर इसको लंबाई घाट जाती है | प्रत्यास्थ मापक फीते से यदि माप ली जाती है तो बताने के लिए हमें कगना होगा कि यदि फीता खीचां गया था तो कितना, यह कहना बहुत कठिन होगा |
प्रश्न 10. आवर्ती गति के दो उदाहरण लिखिए |
उत्तर- आवर्ती गति के दो उदाहरण:
- झूले पर किसी बच्चे की गति |
- वृक्ष की शाखाओं का इधर-उधर लहराना |
